Saturday, November 23, 2024
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पूर्व सीएजी विनोद राय ने संजय निरुपम से माँगी माफी तो 2G और कोयला घोटाले में कॉन्ग्रेस समर्थकों ने पार्टी को दिया ‘क्लीन चिट’

विनोद राय द्वारा माफी माँगने पर कॉन्ग्रेस नेता मनीष तिवारी संजय निरुपम को ट्विटर के जरिए बधाई दी। उन्होंने ट्वीट किया, "उन्हें (विनोद राय) को अपनी काल्पनिक 2G और कोयला ब्लॉक आवंटन रिपोर्ट के लिए भी राष्ट्र से माफी माँगनी चाहिए।"

पूर्व नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) विनोद राय ने संजय निरुपम से बिना शर्त माफी माँगी है। उन्होंने यह माफी निरुपम का नाम उन सांसदों में शामिल करने के लिए माँगी है, जिन्होंने 2G स्पेक्ट्रम आवंटन मामले से पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का नाम बाहर करने के लिए उन पर दबाव बनाया था। इस मामले में संजय निरुपम ने विनोद राय के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया था, जिसके बाद माफी माँगते हुए विनोद राय ने कहा कि उन्होंने गलती से निरुपम का नाम लिया था। राय ने पटियाला हाउस में मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत के समक्ष एक हलफनामे में यह बात कही।

हालाँकि, इस माफी को कॉन्ग्रेस समर्थकों, नेताओं और ट्रोल्स ने खारिज कर दिया और आरोप लगाया कि पूर्व पीएम मनमोहन सिंह और कॉन्ग्रेस को आवंटन घोटाले में ‘क्लीन चिट’ मिली थी। उन्होंने आगे माफी का इस्तेमाल यह आरोप लगाने के लिए किया कि 2G आवंटन घोटाला हुआ ही नहीं था। अन्ना हजारे और विनोद राय ने देश को गुमराह किया था।

विनोद राय द्वारा माफी माँगने पर कॉन्ग्रेस नेता मनीष तिवारी संजय निरुपम को ट्विटर के जरिए बधाई दी। उन्होंने ट्वीट किया, “उन्हें (विनोद राय) को अपनी काल्पनिक 2G और कोयला ब्लॉक आवंटन रिपोर्ट के लिए भी राष्ट्र से माफी माँगनी चाहिए।”

इस बीच कॉन्ग्रेस के ट्रोल रचित सेठ ने लोगों को याद दिलाया कि विनोद राय और अन्ना हजारे ने देश को नुकसान पहुँचाया। दरअसल, वह यह कहना चाह रहे थे कि 2G स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले पर विनोद राय की रिपोर्ट ने ‘देश को नुकसान पहुँचाया’, क्योंकि वह रिपोर्ट झूठी थी।

एक अन्य कॉन्ग्रेस ट्रोल ने कहा कि क्या राष्ट्र को गुमराह करने के लिए विनोद राय की ‘बिना शर्त माफी’ पर्याप्त नहीं है। यहाँ तक ​​कि उन्होंने कैग रिपोर्ट को ‘राष्ट्र-विरोधी कृत्य’ करार दिया।

कॉन्ग्रेस नेताओं, ट्रोल्स और समर्थकों ने ऐसे सैकड़ों ट्वीट्स किए। इसमें विनोद राय द्वारा संजय निरुपम से माफी का इस्तेमाल करते हुए दावा किया कि 2G घोटाला हुआ ही नहीं था। इसके साथ ही इस माफी ने कॉन्ग्रेस और पूर्व पीएम मनमोहन सिंह को बरी कर दिया।

हालाँकि, ऐसे कई सवाल भी खड़े हुए हैं। मसलन क्या विनोद राय की माफी कॉन्ग्रेस को दोषमुक्त करती है? क्या इसका मतलब यह है कि वास्तव में कॉन्ग्रेस सांसदों ने उन पर मनमोहन सिंह का नाम रिपोर्ट से हटाने के लिए दबाव नहीं डाला?

माफी में क्या कहा विनोद राय ने

पूर्व सीएजी विनोद राय ने साल 2014 में अपनी पुस्तक के विमोचन के मौके पर बार-बार ये कहा था कि 2G स्पेक्ट्रम आवंटन की रिपोर्ट से पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का नाम हटाने के लिए कॉन्ग्रेस के कई सांसदों ने उन पर दबाव बनाया था। अपने हलफनामे में राय ने कहा, “मैंने संजय निरुपम के खिलाफ विशेष रूप से 2014 में अपनी पुस्तक ‘नॉट जस्ट ए अकाउंटेंट: द डायरी ऑफ द नेशन्स कॉन्साइंस कीपर’ के लॉन्च के बाद कुछ बयान दिए थे। मैंने महसूस किया है कि मैंने अनजाने में और गलत तरीके से संजय निरुपम का नाम उन सांसदों में से एक के रूप में उल्लेख किया था, जिन्होंने मुझ पर तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नाम को 2G स्पेक्ट्रम आवंटन पर सार्वजनिक लेखा समिति और संयुक्त संसदीय समिति की बैठकों के दौरान सीएजी रिपोर्ट से बाहर रखने के लिए दबाव डाला था।”

राय ने निरुपम और उनके शुभचिंतकों को उनके कमेंट के कारण हुई पीड़ा के लिए भी माफी भी माँगी। संजय निरुपम के वकील आरके हांडू ने कहा, “विनोद राय मामले में बरी हो गए हैं। संजय निरुपम ने उनकी माफी स्वीकार कर ली और निरुपम का बयान दर्ज करने के बाद मामले का निपटारा कर दिया गया।”

क्या विनोद राय की माफी से कुछ बदलेगा?

विनोद राय के माफी माँगने के बाद कॉन्ग्रेस के ट्रोल और नेता अब खुलकर सामने आ गए हैं। इनका मानना है कि संजय निरुपम का नाम लेने के लिए विनोद राय की माफी का मतलब है कि पूरी 2G स्पेक्ट्रम आवंटन रिपोर्ट बेकार थी, जबकि सच्चाई इससे अलग है।

विनोद राय ने अपने माफीनामे में कहा, “मैंने महसूस किया है कि मैंने अनजाने में और गलत तरीके से संजय निरुपम के नाम का उल्लेख उन सांसदों में से एक के रूप में किया था, जिन्होंने मुझ पर 2G के मुद्दे पर लोक लेखा समिति और संयुक्त संसदीय समिति की बैठकों के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का नाम सीएजी रिपोर्ट से बाहर रखने के लिए दबाव डाला था।”

इससे ये स्पष्ट है कि राय ने माफी केवल गलती से निरुपम का नाम लेने के लिए माँगी थी। हालाँकि, उन्होंने यह नहीं कहा कि पूर्व पीएम मनमोहन सिंह का नाम घोटाले की रिपोर्ट से बाहर रखने के लिए कॉन्ग्रेस के अन्य सांसदों ने उन पर दबाव नहीं डाला। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में घोटाले के अपने निष्कर्षों को वापस लेने के बारे में भी कुछ नहीं कहा। जो रिपोर्ट उन्होंने प्रस्तुत की थी उसमें घोटाले का विवरण दिया गया था।

इसलिए, यह समझ से परे है कि कॉन्ग्रेस इसे 2G घोटाले और कोयला घोटाले में मनमोहन सिंह और कॉन्ग्रेस दोनों का ‘क्लीन चिट’ कैसे मान रही है। इसका मतलब यह भी नहीं है कि अन्य कॉन्ग्रेसी सांसदों ने मनमोहन सिंह को रिपोर्ट से बाहर करने के लिए उन पर दबाव नहीं डाला।

दिलचस्प बात यह है कि 2017 में सीबीआई की एक विशेष अदालत ने 2G स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाला मामलों में पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा और द्रमुक सांसद कनिमोझी समेत सभी आरोपितों को बरी कर दिया था। प्रवर्तन निदेशालय के मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सभी 19 आरोपितों को सभी आरोपों से बरी कर दिया गया था, जो 2G घोटाला मामले के दायरे में आता है। फिर भी कॉन्ग्रेस और उससे सहानुभूति रखने वाले पत्रकारों ने कॉन्ग्रेस को दोषमुक्त करने के लिए ट्विटर का सहारा लिया और दावा किया कि 2G घोटाला हुआ ही नहीं था।

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 2012 में कहा था कि कॉन्ग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार द्वारा 2G स्पेक्ट्रम का आवंटन ‘गैर-कानूनी’ था और वह सत्ता के मनमाने प्रयोग का एक उदाहरण था। इसके बाद ही उसने पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा के कार्यकाल के दौरान 11 कंपनियों को 10 जनवरी 2008 को या उसके बाद आवंटित सभी 122 दूरसंचार लाइसेंस रद्द कर दिए थे।

इस मामले में यह ठीक वैसा ही है, जैसा कि आरोपी के छूटने पर यह कह दिया जाय कि हत्या तो हुई ही नहीं। कहने का तात्पर्य यह है कि एक व्यक्ति का नाम गलती से शामिल हो गया तो दूसरे ने भी गलत नहीं किया। पूर्व सीएजी विनोद राय ने आँकलन किया था कि 2G घोटाला 1.76 लाख करोड़ रुपए का था। लेकिन कॉन्ग्रेस चाहती है कि हम विश्वास करें कि वास्तव में किसी ने घोटाला नहीं किया था। इस घटना से इस बात को आसानी से समझा जा सकता है कि अपनी भ्रष्ट छवि को चमकाने के लिए कॉन्ग्रेस कितनी बेताब है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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