दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की करीबी और दिल्ली महिला आयोग (DCW) की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल की मुश्किलें बढ़ती दिख रहीं हैं। दिल्ली की एक अदालत ने दिल्ली महिला आयोग में नियुक्तियों में हुई अनियमितता के एक मामले में स्वाति मालीवाल समेत चार अन्य लोगों पर आरोप तय करने के आदेश दिए हैं।
कोर्ट ने क्या कहा
रिपोर्ट्स के अनुसार, गुरुवार (8 दिसंबर 2022) को हुई सुनवाई में दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट के स्पेशल जस्टिस दिगविनय सिंह ने कहा है कि दिल्ली महिला आयोग में नियुक्तियाँ 6 अगस्त 2015 से लेकर 1 अगस्त, 2016 के बीच की गईं थी। स्वाति मालीवाल व अन्य आरोपितों पर पद के दुरुपयोग का शक काफी मजबूत है। साथ ही, प्रथम दृष्टया उनके खिलाफ आरोप तय करने के लिए पर्याप्त सामग्री भी उपलब्ध है।
Court ordered framing of charges against DCW chairperson Swati Maliwal & other members for “prima facie” abusing their official positions to appoint workers of the AAP at different posts in the women’s rights organization.@bhavatoshsingh shares the latest updates. pic.twitter.com/203WNaV8ZE
— TIMES NOW (@TimesNow) December 9, 2022
भ्रष्टाचार और नियुक्तियों में अनियमितता को लेकर कोर्ट ने कहा है कि महिला आयोग द्वारा अलग-अलग डेट्स पर बैठकें की गईं थीं। कोर्ट में पेश किए मीटिंग से जुड़े दस्तावेज, ‘मिनट्स ऑफ मीटिंग्स’ पर चारों आरोपितों के साइन थे। इसलिए, प्रथम दृष्टया यह संदेह होता है कि ये सभी नियुक्तियाँ इन्हीं आरोपितों द्वारा की गई थीं। कोर्ट ने यह भी कहा है कि किसी भी आरोपित ने ‘अवैध नियुक्तियों’ पर न तो आपत्ति दर्ज की और ना ही असहमति दिखाई बल्कि महिला आयोग की बैठकों में नियुक्ति को लेकर सर्वसम्मति से निर्णय लिए गए थे।
यही नहीं कोर्ट ने, स्वाति मालीवाल के अलावा महिला आयोग की तत्कालीन सदस्य प्रोमिला गुप्ता, सारिका चौधरी और फरहीन मलिक पर आईपीसी की धारा 120 (बी) और भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धारा 13 (2), 13(1)(डी) के तहत आरोप तय करने के आदेश दिए हैं।
Delhi Court frames #corruption charges against #DCW Chairperson #SwatiMaliwal and 3 others in a case alleging that they abused their official position in illegally appointing various acquaintances, including Aam Aadmi Party workers, in DCW between August 2015 to August 2016. pic.twitter.com/N5MaGqYUXn
— Live Law (@LiveLawIndia) December 8, 2022
कोर्ट ने यह भी कहा है कि महिला आयोग दिल्ली सरकार से रिक्त पदों पर नियुक्ति करने के लिए कह रहा था। लेकिन, दिल्ली सरकार ने समय पर नियुक्तियाँ नहीं कीं। इसका मतलब यह नहीं है कि महिला आयोग के पास मनमानी ढंग से नियुक्ति करने का अधिकार मिल गया था।
कोर्ट ने आगे कहा है, “प्रस्तुत तथ्य एक मजबूत संदेह पैदा करते हैं कि आरोपितों के कार्यकाल के दौरान विभिन्न पदों पर भर्ती मनमाने ढंग से की गई थी। इसमें, सभी नियमों और विनियमों का उल्लंघन किया गया था जिसमें करीबी और प्रियजनों को नियुक्त करते हुए सरकारी खजाने से वेतन दिया गया था।”
जस्टिस दिग विनय सिंह ने यह भी कहा है, “प्रथम दृष्टया यह स्पष्ट हो रहा है कि महिला आयोग में की गईं अधिकांश नियुक्तियाँ आरोपित व्यक्तियों/ आम आदमी पार्टी के करीबी और प्रिय लोगों को दी गई थीं। इस प्रकार, आरोपित व्यक्तियों द्वारा यह दावा नहीं किया जा सकता है कि उन्होंने अपने पद का गलत इस्तेमाल कर आर्थिक लाभ नहीं लिया, या ऐसा करने (नियुक्ति करने) के पीछे कोई गलत इरादा नहीं था।”
अगर ये मान लिया जाए कि दिल्ली महिला आयोग (DCW) एक स्वायत्त संस्था है और पद भी उसी ने बनाया है, या नियुक्ति की प्रक्रिया और शर्तें भी उसी ने बनाई हैं, तब भी प्रथम दृष्टया उन पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 (1) (डी) के तहत केस बनता है। चूँकि, आरोपितों ने सरकार से पैसा लिया है इसलिए उनके खिलाफ केस चलाया जा रहा है।”
कोर्ट ने ‘अवैध’ नियुक्तियों पर जोर देते हए कहा है, “दिल्ली महिला आयोग में न तो मनमाने ढंग से पद बनाए जा सकते और ना ही अपने करीबियों के लिए नियमों का उल्लंघन किया जा सकता है। अपने लोगों के हितों को तरजीह और भाई-भतीजावाद भी एक तरह का भ्रष्टाचार है।”
भ्रष्टाचार और नियुक्तियों में अनियमितता को लेकर कोर्ट ने कहा है कि महिला आयोग द्वारा अलग-अलग डेट्स पर बैठकें की गईं थीं। कोर्ट में पेश किए मीटिंग से जुड़े दस्तावेज, ‘मिनट्स ऑफ मीटिंग्स’ पर चारों आरोपितों के साइन थे। इसलिए, प्रथम दृष्टया यह संदेह होता है कि ये सभी नियुक्तियाँ इन्हीं आरोपितों द्वारा की गई थीं। कोर्ट ने यह भी कहा है कि किसी भी आरोपित ने ‘अवैध नियुक्तियों’ पर न तो आपत्ति दर्ज की और ना ही असहमति दिखाई बल्कि महिला आयोग की बैठकों में नियुक्ति को लेकर सर्वसम्मति से निर्णय लिए गए थे।
स्वाति मालीवाल व अन्य पर क्या हैं आरोप
इस मामले में दिल्ली महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष और भारतीय जनता पार्टी की विधायक बरखा शुक्ला सिंह की शिकायत के बाद एंटी करप्शन ब्यूरो ने एफआईआर दर्ज की थी। बरखा शुक्ला ने आरोप लगाए थे कि स्वाति मालीवाल ने नियमित प्रक्रिया की अनदेखी कर AAP कार्यकर्ताओं और करीबी लोगों को दिल्ली महिला आयोग में अलग-अलग पदों पर नियुक्तियाँ की थीं। महिला आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों के इस फैसले से वे लोग नौकरी से वंचित हो गए थे जो इसके हकदार थे।
FIR के अनुसार, दिल्ली महिला आयोग में 6 अगस्त, 2015 से 1 अगस्त, 2016 के बीच 90 नियुक्तियाँ की गईं थीं। इनमें से 71 लोगों को अनुबंध (कॉन्ट्रैक्ट) के आधार पर नियुक्त किया गया था। वहीं, 16 को ‘डायल 181’ संकट हेल्पलाइन के लिए नियुक्त किया गया। यही नहीं, इस मामले में शेष तीन लोगों की नियुक्तियों का कोई रिकॉर्ड प्राप्त नहीं हुआ।
आरोपों के बाद जाँच में क्या हुआ
बरखा शुक्ला सिंह की शिकायत के बाद दर्ज हुई एफआईआर के आधार पर एंटी करप्शन ब्यूरो ने जाँच शुरू की। इस जाँच में एसीबी ने पाया कि 27 जुलाई 2015 को स्वाति मालीवाल को दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष नियुक्त करने के साथ प्रोमिला गुप्ता, सारिका चौधरी और फरहीन मलिक को सदस्य बनाया गया था।
इस दौरान, 6 अगस्त 2015 से 1 अगस्त 2016 के बीच इनके कार्यकाल में आयोग में 26 स्वीकृत पदों की जगह 87 लोगों की नियुक्ति की गई। यही नहीं, इस जाँच में यह भी पाया गया था कि नियुक्त किए गए 87 व्यक्तियों में से कम से कम 20 लोग सीधे आप से जुड़े हुए थे।
इस जाँच के दौरान, एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने यह दावा भी किया था कि ये नियुक्तियाँ चयन प्रक्रिया और नियमों के विरुद्ध थीं। इसमें सामान्य वित्त नियम (GFR) का भी उल्लंघन किया गया था। अप्रैल 2016 में सदस्य सचिव की नियुक्ति उप राज्यपाल की अनुमति के बिना की गई थी। यही नहीं, महिला आयोग को 676 लाख रुपए किश्तों में जारी करने के बजाय एक मुश्त राशि जारी की गई थी।
स्वाति मालीवाल समेत प्रोमिला गुप्ता, सारिका चौधरी और फरहीन मलिक को आरोपित बनाते हुए दाखिल किए गए आरोप पत्र में कहा गया है कि दिल्ली महिला आयोग ने स्टाफ की संख्या बढ़ाने के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग से अनुमति नहीं ली थी।
एंटी करप्शन ब्यूरो द्वारा की गई जाँच के दौरान महिला आयोग की ओर से जवाब दिया गया था कि नियुक्तियों के लिए इंटरव्यू लिए गए थे, लेकिन इसको लेकर महिला आयोग किसी प्रकार के दस्तावेज प्रस्तुत नहीं कर सका। आरोप पत्र में यह भी कहा गया है कि नियुक्ति के बाद वेतन नियमों में उल्लंघन करते हुए दो लोगों का वेतन कुछ ही समय में दोगुना कर दिया गया था।
स्वाति मालीवाल और अरविंद केजरीवाल के बीच संबंध
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल के बीच संबंधों को लेकर सोशल मीडिया से लेकर मीडिया तक में चर्चा होती रही है। महिला आयोग में स्वाति मालीवाल की नियुक्ति के बाद कई बार उन्हें केजरीवाल की बहन तक कहा गया है। हालाँकि, दोनों ही आपसी संबंधों की किसी बात से इनकार करते रहे हैं।
हालाँकि, दोनों के बीच के संबंध कैसे हैं इसका अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि स्वाति मालीवाल केजरीवाल के एनजीओ ‘परिवर्तन’ से जुड़ी रहीं हैं। इसके अलावा, दिल्ली की सत्ता संभालने के बाद केजरीवाल ने उन्हें अपना सलाहकार भी नियुक्त था। इस दौरान स्वाति की सैलरी को लेकर भी काफी बवाल हुआ था। दरअसल, अरविंद केजरीवाल ने उन्हें 1.5 लाख (डेढ़ लाख रुपए) रुपए की सैलरी दे रहे थे।
यही नहीं, जब दिल्ली महिला आयोग में स्वाति मालीवाल को अध्यक्ष बनाया गया था, तब वह आम आदमी पार्टी के नेता नवीन जयहिंद की पत्नी थीं। हालाँकि, दोनों के बीच अब तलाक हो चुका है। नवीन जयहिंद आम आदमी पार्टी हरियाणा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष हैं और उन्हें केजरीवाल का करीबी माना जाता है।