सोहराबुद्दीन शेख और तुलसीराम प्रजापति एनकाउंटर मामले में एक नया मोड़ आया है। विशेष अदालत ने सीबीआई पर तल्ख़ टिपण्णी करते हुए कहा है कि जांच एजेंसी का मकसद सच्चाई तक पहुंचना नहीं बल्कि नेताओं को फंसाना था। अदालत ने कहा कि मुठभेड़ की जांच शुरू करने से पहले ही सीबीआई ने सबकुछ तय कर लिया था कि किस तरह से और कौन से राजनितिक व्यक्तियों को इस मामले में घसीटना है। मालूम हो कि 2121 दिसम्बर को सीबीआई के विशेष न्यायाधीश एसजे शर्मा ने इस मामले में सभी आरोपियों को बरी करने का निर्णय सुनाया था। अपने 350 पन्नो वाले फैसले में उन्होंने ये तल्ख़ टिपण्णी की।
अदालत के फैसले में कहा गया है;
“मेरे समक्ष पेश किए गए तमाम सबूतों और गवाहों के बयानों पर करीब से विचार करते हुए मुझे यह कहने में कोई हिचक नहीं है कि सीबीआई जैसी एक शीर्ष जांच एजेंसी के पास एक पूर्व निर्धारित सिद्धांत और पटकथा थी, जिसका मकसद राजनीतिक नेताओं को फंसाना था। सीबीआई ने मामले की अपनी जांच के दौरान सच्चाई को सामने लाने के बजाय किसी अन्य चीज पर काम किया।”
आगे इसी फैसले में अदालत ने सीबीआई पर सख्त टिपण्णी करते हुए कहा;
“पूरी जांच एक किसी तरह राजनेताओं को फंसाने के क्रम में गढ़ी गई कहानी पर केंद्रित थी। सीबीआई ने किसी तरह साक्ष्य तैयार किया और आरोपपत्र में गवाहों का बयान आपराधिक दंड प्रकिया की धारा 161 या धारा 164 के तहत दर्ज किया गया झूठा बयान पेश किया।”
अदालत के बयान से ये साफ़ है कि उसकी नजर में केंद्रीय जांच एजेंसी ने जांच की बजाय एक कहानी गढ़ी और कुछ लोगों को इस मामले में घसीटने के लिए उन्हें आरोपित बनाया गया। अदालत का सीबीआई पर गवाहों के झूठे बयान पेश करने वाली टिपण्णी भी जाँच एजेंसी के कार्यप्रणाली पर काफी सवाल खड़ी करती है। अदालत का मानना था कि जांच में गवाहों के गलत बयान रिकॉर्ड किये गए।
ज्ञात हो कि इस मामले की सुनवाई के दौरान करीब 92 गवाह अदालत में अपने पुलिस को दिए गए बयानों से मुकर गए थे। न्यायमूर्ति शर्मा ने कहा कि उन्हें साफ़-साफ़ प्रतीत हो रहा था कि ये गवाह अदालत के सामने सच बोल रहे हैं।
“मुझसे पहले वाले जज ने आरोपित नंबर 16 (अमित शाह) को आरोपमुक्त करते हुए ये साफ़-साफ़ कहा था कि जांच राजनीति से प्रेरित थी।”
– न्यायमूर्ति एसजे शर्मा, विशेष अदालत
बता दें कि इसी मामले में अमित शाह सहित 15 अन्य आरोपियों को 2014 में आरोपमुक्त कर बरी किया जा चुका है जबकि बाँकी के सभी आरोपियों को विशेष अदालत ने इस महीने बरी कर दिया। ये मामला पुलिस और अपराधियों में हुए मुठभेड़ों से जुड़ा है। नवम्बर 2015 में गुजरात और राजस्थान की एसटीएफ ने अपराधी सोहराबुद्दीन शेख को एक मुठभेड़ में मार गिराया था और इनके लगभग एक साल बाद उसके सहयोगी तुलसीराम प्रजापति को भी एक एनकाउंटर में मार गिराया गया था। सीबीआई के अनुसार ये फर्जी मुठभेड़ थे। इस मामले में अधिकतर अभियुक्त नेता और पुलिस अधिकारी थे जिनमे सभी बरी हो चुके हैं।
इसी महीने दिए गये अपने निर्णय में न्यायमूर्ति एसजे शर्मा ने अपने कार्यकाल का अतिम फैसला सुनाते इस मुठभेड़ को फर्जी मानने से इनकार कर दिया था और कहा था कि सीबीआई द्वारा पेश किये गए सबूत अभियुक्तों को दोषी ठहरानी के लिए काफी नहीं हैं। शर्मा इस महीने के अंतिम तारीख को रिटायर हो रहे हैं।