‘एक-एक पैसा मुजफ्फरनगर व सहारनपुर के मदरसों को दिया’: शाहिद सिद्दीकी ने अपने सांसद फंड को लेकर खोले राज़

पूर्व सांसद शाहिद सिद्दीकी ने अपने MPLADS फंड को लेकर किया बड़ा खुलासा (फाइल फोटो)

पूर्व सांसद शाहिद सिद्दीकी का एक वीडियो वायरल हो रहा है। इसमें वो कहते दिख रहे हैं कि उनके जितने भी फंड्स थे, उनमें से एक-एक पैसा उन्होंने मदरसों, स्कूलों और कॉलेजों को दिया। उदाहरण के रूप में उन्होंने सहारनपुर और मुजफ्फरनगर जिलों का नाम लिया और कहा कि उन्होंने अपने फंड्स के अधिकतर रुपए यहाँ खर्च किए हैं। किसी मौलाना निसार का नाम लेते हुए उन्होंने बताया कि उसके मदरसे को तो 1 करोड़ रुपए दिए थे।

शाहिद सिद्दीकी के बारे में बता दें कि वो ऐसे नेता रहे हैं, जो कॉन्ग्रेस के साथ-साथ समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और राष्ट्रीय लोक का भी हिस्सा रहे हैं। 90 के दशक के अंत में वो कॉन्ग्रेस के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष हुआ करते थे। पेशे से पत्रकार 71 वर्षीय शाहिद सिद्दीकी अभी भी ‘नई दुनिया’ नाम की साप्ताहिक उर्दू पत्रिका के संपादक हैं। इस पत्रिका को दिल्ली से प्रकाशित किया जाता है।

हालाँकि, उनका वायरल वीडियो कब का है ये साफ़ नहीं है। इसमें वो कहते हैं, “अल्लाह का करम है कि मैंने एक-एक रुपया मदरसों और स्कूलों को दिया है। लेकिन, हराम है कि मैंने किसी के यहाँ एक प्याली चाय तक भी पी हो। क्योंकि मुझे पता है कि मेरी जवाबदेही अल्लाह के प्रति है। आपलोगों के ऊपर आपके परिवार की जिम्मेमदारी रहती है। सांसदों-विधायकों से तो अल्लाह पूछेगा कि इन लोगों ने तुम्हें चुना था, तुमने इनके लिए क्या किया?”

बकौल शाहिद सिद्दीकी, अल्लाह उनसे सवाल करेगा कि जैसे लोग अपने बच्चों और बहन-बेटियों के लिए काम करते हैं, तुमने लोगों के लिए क्या किया। शाहिद सिद्दीकी 2002-08 में सपा से राज्यसभा सांसद रहे थे। इसके बाद वो बसपा में शामिल हुए, जहाँ मायावती के खिलाफ बोलने पर उन्हें निकाल बाहर किया गया। जब रालोद ने कॉन्ग्रेस से गठबंधन किया तो शाहिद सिद्दीकी वापस सपा में आ गए थे।

नरेंद्र मोदी का इंटरव्यू लेने के कारण जुलाई 2012 में सपा ने भी उन्हें निकाल बाहर किया था। शाहिद सिद्दीकी इससे पहले भी विवादों में रहे हैं। नवंबर 2020 में दीवाली के दौरान उन्होंने पूछा था कि सुबह के साढ़े 4 बजे किस किस्म के लोग पटाखे उड़ाते हैं? उन्होंने दावा किया था कि उन्हें तब भी तेज़ आवाज़ में पटाखे छोड़ने की गूँज सुनाई दे रही थी। साथ ही उन्होंने पूछा था कि जब कोई फैसला लागू ही नहीं किया जा सकता है तो पटाखों को प्रतिबंधित करने का क्या फायदा?

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया