केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने बयान दिया है कि हिंदुस्तान अब सिंधु जल समझौते के तहत अपने हिस्से का पानी पाकिस्तान को और नहीं लेने देगा। बुधवार को ANI से बात करते हुए शेखावत ने कहा, “हिंदुस्तान के हिस्से के पानी में से काफी ज्यादा पाकिस्तान को चला जाता है। इनमें से कई नदियाँ रावी, व्यास और सतलज तंत्र की उपनदियाँ हैं, और इनके कैचमेंट एरिया (हौज़, जलग्रहण क्षेत्रों) में से पानी उस तरफ (पाकिस्तान को ) चला जाता है। हम इस पर तेज़ी से काम कर रहे हैं कि कैसे हमारे हिस्से का पानी जो पाकिस्तान में चला जाता है, उसे घुमा कर अपने किसानों, उद्योगों और लोगों के प्रयोग के लिए इस्तेमाल किया जा सके।”
उन्होंने इस योजना की तकनीकी और जलशास्त्रीय (हाइड्रोलॉजिकल) अनुकूलता पर शोध शुरू करने की भी बात कही। उनके अनुसार उन्होंने इस विषय पर अध्ययन जल्दी खत्म करने का निर्देश दिया है, ताकि योजना को अमली जामा पहनाया जा सके।
शेखावत की बातें 370 हटाने के बाद से पाकिस्तान पर लगातार कड़े होते जा रहे मोदी सरकार के रुख में एक और कड़ी हैं। और यह कोई नई योजना भी नहीं है। मई में तत्कालीन जल संसाधन मंत्री नितिन गडकरी ने भी पाकिस्तान द्वारा जिहादियों को समर्थन में कमी न होने के चलते मोदी सरकार द्वारा पानी का बहाव रोकने पर विचार करने की बात कही थी।
1960 में नेहरू और पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति अयूब खान के बीच हुए सिंधु जल समझौते में हिंदुस्तान को रावी, व्यास और सतलज के पानी का पूरा अधिकार मिला था, जिसके बदले हमें पाकिस्तान को सिंधु, चेनाब और झेलम के पानी पर पूरा हक़ देना होता है।