मध्य प्रदेश में जब से कमलनाथ के नेतृत्व में कॉन्ग्रेस की सरकार बनी है तुष्टिकरण की आवाज जोर पकड़ने लगी है। राज्य के उज्जैन शहर में मदरसों ने सरकार से मिड डे मील के लिए अलग से व्यवस्था करने की मॉंग की है। मदरसों ने केंद्रीयकृत किचन से भोजन लेने से मना कर दिया है। मौजूदा व्यवस्था के अनुसार सभी शासकीय और अनुदान प्राप्त स्कूलों में केंद्रीयकृत किचन से ही भोजन उलब्ध कराने का प्रावधान है। जिला पंचायत ने मदरसों की माँग पर प्रदेश शासन से राय माँगी है।
वैसे, ये पहली बार नहीं है, जब उज्जैन के मदरसों ने अपने लिए अलग से मिड डे मील की माँग की हो। यहाँ के मदरसों ने मिड डे मील को लेकर पहले भी विरोध किया है और अपने लिए अलग से भोजन की व्यवस्था की माँग करते रहे हैं। अगस्त 2015 में उज्जैन के मदरसों ने यह कहकर भोजन लेने से इनकार कर दिया था कि भोजन बनाने वाली संस्था इस्कॉन हिन्दुओं का धार्मिक संगठन है। उन्होंने इस संस्था पर आरोप लगाया था कि भोजन बनाने के बाद उसे भगवान को भोग लगाया जाता है और इसमें गंगाजल मिलाकर स्कूलों में भेजा जाता है।
इसके बाद 2016 में मध्यान्ह भोजन का ठेका इस्कॉन से लेकर माँ पृथ्वी साँवरी और बीआरके फूड को दे दिया गया, मगर फिर भी मदरसा समिति ने भोजन लेने से इनकार कर दिया। तभी से शहर के मदरसे मिड डे मील नहीं लेते हैं।
बता दें कि, उज्जैन शहर में 35 मदरसे हैं, जिनमें लगभग 2 हजार विद्यार्थी हैं। अभी चूँकि मदरसों में मिड डे मील नहीं पहुँच रहा है, इसलिए उनके विद्यार्थियों के लिए पैसा भी जारी नहीं हो रहा है। फिलहाल, पिछले आठ महीने से मिड डे मील की व्यवस्था उज्जैन शहर में शानू स्वसहायता समूह संभाल रहा है।
जिला पंचायत के मिड डे मील प्रभारी कीर्ति मिश्र ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि मदरसों के लिए मदरसा समिति ने अलग भोजन व्यवस्था की माँग की है। चूँकि शासन की बनी व्यवस्था अनुसार सभी स्कूलों को एक ही किचन में बना भोजन मुहैया कराने का प्रावधान है, इसलिए मध्यान्ह भोजन प्रकोष्ठ से अभिमत माँगा है। वहीं, जिला मदरसा समिति के अध्यक्ष अशफाकउद्दीन ने कहा कि मदरसों में भी विद्यार्थियों को मध्यान्ह भोजन मिले, इसके लिए अलग भोजन निर्माण की माँग का पत्र जिला पंचायत को भेजा था। इस पर अब निर्णय नहीं हुआ है।
इसके अलावा, उज्जैन जिला पंचायत के सीईओ ने इस बारे में बात करते हुए कहा कि मदरसों में मध्यान्ह भोजन की अलग व्यवस्था करने की माँग जिला मदरसा समिति ने की है। मौजूदा प्रावधान के अनुसार यह संभव नहीं है। उनकी माँग पर क्या निर्णय लिया जाए, इस संबंध में शासन से अभिमत माँगा गया है।