महाराष्ट्र में शनिवार (नवंबर 23, 2019) का दिन बेहद उथल-पुथल भरा रहा। बीजेपी ने शिवसेना, एनसीपी और कॉन्ग्रेस को तगड़ा झटका देते हुए अजित पवार के समर्थन के साथ सरकार बना ली। महाराष्ट्र का ये सियासी घमासान अब भी जारी है। मामला सर्वोच्च अदालत में पहुँच गया है। राज्यपाल के फैसले के खिलाफ शिवसेना, कॉन्ग्रेस और एनसीपी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। इस पर आज यानी रविवार (नवंबर 24, 2019) को सुनवाई होगी।
सुप्रीम कोर्ट के दूसरे नंबर के वरिष्ठतम न्यायाधीश एनवी रमन की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में सरकार गठन के खिलाफ शिवसेना, एनसीपी और कॉन्ग्रेस की याचिका पर सुबह 11 बजकर 30 मिनट पर सुनवाई करेगी। पीठ में न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना भी शामिल हैं। न्यायमूर्ति भूषण 2018 में कर्नाटक राजनीतिक संकट के दौरान फ्लोर टेस्ट का आदेश देने वाली तीन-सदस्यीय पीठ के भी सदस्य रहे हैं।
#SupremeCourt: Justice NV Ramana, Justice Ashok Bhushan&Justice Sanjiv Khanna to hear tomorrow at 1130 am the joint plea of Shiv Sena, Nationalist Congress Party and Congress against the decision of Maharashtra Governor inviting Devendra Fadnavis to form the government on Nov 23 https://t.co/5fSEkcsTHs
— ANI (@ANI) November 23, 2019
एनसीपी-शिवसेना-कॉन्ग्रेस की तरफ से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी कोर्ट में पक्ष रखेंगे। उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र में शनिवार की सुबह देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाए जाने के बाद शिवसेना, राष्ट्रवादी कॉन्ग्रेस पार्टी और कॉन्ग्रेस तीनों ने देर शाम संयुक्त रूप से शीर्ष अदालत में याचिका दायर की और इसमें केंद्र सरकार, महाराष्ट्र सरकार, फडणवीस एवं एनसीपी नेता अजित पवार को प्रतिवादी बनाया है। याचिकाकर्ताओं ने न्यायालय से मामले की त्वरित सुनवाई की माँग की।
सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री ने मामले की विशेष सुनवाई रविवार सुबह 11:30 बजे का समय निर्धारित किया है। इस तरह एक बार फिर शीर्ष अदालत छुट्टी के दिन विशेष सुनवाई करेगी। सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में राज्य के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी द्वारा देवेंद्र फडणवीस को सरकार गठन के लिए आमंत्रित किए जाने को असंवैधानिक, निरंकुश, गैर-कानूनी एवं संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करार देने का शीर्ष अदालत से अनुरोध किया गया है।
इसके साथ ही याचिकाकर्ताओं ने शिवसेना- एनसीपी और कॉन्ग्रेस गठबंधन ‘महा विकास अघाड़ी’ को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करने का राज्यपाल को निर्देश देने की भी माँग की है। याचिकाकर्ताओं का दावा है कि शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले गठबंधन ‘महाविकास अघाड़ी’ की पर्याप्त विधायकों का समर्थन प्राप्त है, जबकि देवेंद्र फडणवीस सरकार बहुमत के आँकड़े से काफी पीछे है।
शनिवार को एनसीपी विधायकों की बैठक में अजित पवार को विधायक दल के नेता पद से हटा दिया गया। पार्टी प्रवक्ता नवाब मलिक ने बताया कि सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास कर अजित पवार को विधायक दल के नेता पद से हटाया गया और कहा गया कि पार्टी उनके फैसले का समर्थन नहीं करती। उन्होंने बताया कि नए नेता के चुनाव तक जयंत पाटिल को विधायक दल की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
Nawab Malik, NCP: 5 of our MLAs are not in contact with us, 6 are about to arrive&rest have arrived. On the basis of numbers we have, we’ll defeat the government in election of speaker itself. After which, Shiv Sena-NCP-Congress government will definitely be formed in Maharashtra pic.twitter.com/bDArinlvgJ
— ANI (@ANI) November 23, 2019
गौरतलब है कि एनसीपी नेता अजित पवार के सहयोग से महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के तौर पर भाजपा के देवेंद्र फड़णवीस की शनिवार की सुबह शपथ ली। अजित पवार ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली। राजभवन में तड़के हुए शपथ ग्रहण समारोह के बारे में लोगों को भनक तक नहीं लगी। राज्य में राष्ट्रपति शासन हटाने के तुरंत बाद शपथ ग्रहण समारोह हुआ। महाराष्ट्र में 12 नवंबर को राष्ट्रपति शासन लगाया गया था। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने केंद्र का शासन हटाने के लिए घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए और इस संबंध में एक गजट अधिसूचना शनिवार तड़के 5 बजकर 47 मिनट पर जारी की गई।
यह शपथ ग्रहण ऐसे समय में हुआ जब एक दिन पहले शिवसेना-एनसीपी-कॉन्ग्रेस के बीच मुख्यमंत्री पद के लिए शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के नाम पर सहमति बनी थी। शपथ ग्रहण के बाद एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने दावा किया कि भाजपा के साथ जाने का फैसला अजित का व्यक्तिगत निर्णय है न कि पार्टी का। वहीं, शिवसेना सांसद संजय राउत ने भाजपा के साथ हाथ मिलाने के फैसला को लेकर अजित पवार पर पीठ में छुरा घोंपने का आरोप लगाया। साथ ही उन्होंने अजित पवार के लौट आने का भी दावा किया। ऐसे में अब सबकी नजरें रविवार को होने वाली सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पर टिक गई है।