महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर जारी सियासी उठापठक के बीच एक पत्र सामने आया है। यह पत्र कॉन्ग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गाँधी को लिखा गया है। पत्र जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख अरशद मदनी ने लिखा है। जमीयत वही मुस्लिम संगठन है जिसने हिंदुवादी नेता कमलेश तिवारी के हत्यारों को मदद की पेशकश की थी।
पत्र में सोनिया से शिवसेना को समर्थन नहीं देने की अपील की गई है। मदनी ने कहा है कि शिवसेना को समर्थन देना कॉन्ग्रेस के लिए घातक साबित होगा। मदनी ने पत्र में लिखा, “मैं आपका ध्यान महाराष्ट्र के राजनीति की तरफ आकर्षित करना चाहता हूँ। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि आप शिवसेना का समर्थन करने की सोच रही हैं। यह कॉन्ग्रेस के लिए बहुत ही खतरनाक और घातक कदम साबित होगा। उम्मीद है कि आप मेरा निवेदन अच्छी भावना के साथ लेंगी।”
बता दें कि यह वही इस्लामिक संस्था है, जिसने हिंदू समाज पार्टी के अध्यक्ष कमलेश तिवारी की दिनदहाड़े गला रेत कर, गोली मार कर हत्या करने वाले हत्यारों को कानूनी लड़ाई में साथ देने की घोषणा की थी। कमलेश तिवारी की नृशंस हत्या का विरोध करने और हत्यारों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की बात करने के बजाय जमीयत उलेमा-ए-हिंद हत्यारों के बचाव में सामने आया था। हिंदू समाज पार्टी के नेता कमलेश तिवारी की 18 अक्टूबर को निर्मम हत्या कर दी गई थी।
जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने इस मामले में गिरफ्तार पाँचों आरोपितों के परिवार से मुलाकात की। उन्होंने कानूनी लड़ाई लड़ने में असमर्थता जताई तो जमीयत ने अपने खर्चे पर वकील और अन्य सहायता करने का भरोसा दिलाया था। जमीयत उलेमा-ए-हिंद के इस कदम ने साबित कर दिया था कि वो इस तरह के कुकृत्य और नृशंस हत्या करने वालों के साथ है।
यह पत्र ऐसे वक्त में लिखा गया है जब महाराष्ट्र में कॉन्ग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बनाने की शिवसेना की उम्मीदें धूमिल हुई है। शुरुआत में ऐसी खबरें आई थी कि सरकार चलाने को लेकर तीनों दलों ने कॉमन मिनिमम एजेंडा तय कर लिया है और शिवसेना हिंदुत्व के अपने एजेंडे से पीछे हटने को तैयार है।
लेकिन, इसके बाद कहा जाने लगा कि शिवसेना का समर्थन करने को लेकर सोनिया गॉंधी असमंजस में हैं। इस संबंध में अंतिम फैसला सोमवार को दिल्ली में एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार और सोनिया के बीच हुई बैठक में होना था। लेकिन, बैठक के बाद पवार ने कहा कि सरकार गठन को लेकर कोई बात नहीं हुई। वैसे एनसीपी के बदलते स्टैंड का संकेत पवार ने दिल्ली पहुॅंचते ही दे दिया था। उन्होंने पत्रकारों के सवाल के जवाब में कहा था कि शिवसेना ने विधानसभा चुनाव कॉन्ग्रेस एनसीपी के खिलाफ लड़ा था। ऐसे में उसके सरकार कैसे बनाई जा सकती है।
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