अल्पसंख्यक (मुस्लिम) मंत्रालय खत्म करेगी मोदी सरकार, यूपीए ने 2006 में बनाया था: PIB ने रिपोर्ट्स को नकारा

अल्पसंख्यक मंत्रालय को खत्म करेगी मोदी सरकार (प्रतीकात्मक फोटो/ तस्वीर साभार: newsclick)

अपडेट: PIB ने स्पष्ट किया है कि अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय को ख़त्म करने का केंद्र सरकार का कोई इरादा नहीं है। सरकारी मीडिया एजेंसी ने अपने फैक्ट-चेक में कहा कि इस मंत्रालय को ख़त्म करने या इसे किसी और मंत्रालय के साथ मिलाने की कोई योजना नहीं है।

केंद्र की मोदी सरकार यूपीए सरकार द्वारा बनाए गए अल्पसंख्यक मंत्रालय (Ministry of Minority Affairs) को समाप्त करने का विचार कर रही है। ऐसा दावा डेक्कन हेराल्ड की रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से किया गया। इसके मुताबिक अगर ऐसा हुआ तो सरकार इस मंत्रालय का विलय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय (Ministry of Social Justice and Empowerment) के साथ करेगी। वहीं मंत्रालय द्वारा चलाई जा रही स्कीम वैसी की वैसी ही चलती रहेंगी।

खबर में कहा गया है कि मंत्रालय के अधिकारियों ने अभी इस मामले पर कुछ भी बताने से मना कर दिया है। लेकिन सूत्र ने कहा है, “भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार का मानना है कि अल्पसंख्यक मामलों के लिए अलग से मंत्रालय की जरूरत नहीं है। उनके मुताबिक ये मंत्रालय सिर्फ यूपीए (मनमोहन सरकार) की तुष्टिकरण की राजनीति के चलते (साल 2006 में) बना। अब मोदी सरकार इसे दोबारा से सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण मंत्रालय के अंतर्गत लाना चाहती है।”

बता दें कि मंत्रालय समाप्त किए जाने को लेकर अभी कोई आधिकारिक सूचना नहीं आई है। मगर कॉन्ग्रेस ने और मुस्लिम संगठनों ने अभी से अपनी नाराजगी को व्यक्त करना शुरू कर दिया।

कॉन्ग्रेस के राज्यसभा सदस्य सैयद नसीर हुसैन ने कहा है कि भाजपा ऐसा करके समजा को बाँटना चाहती है। ऐसा मंत्रालय कॉन्ग्रेस वाली यूपीए सरकार इसलिए लाई ताकि अल्पसंख्यक मुख्यधारा में आएँ और उनका विकास हो। मगर भाजपा सरकार तो हर अवसर को अल्पसंख्यकों के खिलाफ ही प्रयोग करती है।

वहीं जमात-ए-इस्लामी के सचिव सैयद तनवीर अहमद ने कहा कि ये सब संविधान की आत्मा के खिलाफ है इसके मानव विकास रुकेगा। सरकार को तो ज्यादा से ज्यादा पैसा देकर मंत्रालय को मजबूत करना चाहिए ताकि अल्पसंख्यकों का कल्याण हो।

उल्लेखनीय है कि अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम की धारा 2 (ग) के तहत छह समुदाय को केंद्र सरकार ने अल्पसंख्यक के तहत अधिसूचित कर रखा है। ये हैं- मुस्लिम, ईसाई, जैन, बौद्ध, पारसी और सिख। लेकिन इस मंत्रालय के गठन के समय से ही ‘मुस्लिम तुष्टिकरण’ की सोच झलकती रही है, चाहे वह योजनाओं का क्रियान्वयन हो या फंडिंग या फिर उनका नामकरण।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया