1984 सिख दंगों के लिए नरसिम्हा राव दोषी! ‘सुप्रीम परिवार’ के लिए मनमोहन सिंह ने चल दी कॉन्ग्रेसी चाल

मनमोहन सिंह की टिप्पणी पर नरसिम्हा राव के पोते ने किया पलटवार

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 1984 के सिख दंगा को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि अगर उस समय के गृह मंत्री नरसिम्हा राव ने इंद्र कुमार गुजराल की सलाह मान ली होती, तो 1984 के सिख दंगे को टाला जा सकता था। यह बात उन्होंने बुधवार (4 दिसंबर) को पूर्व प्रधानमंत्री इंद्र कुमार गुजराल की 100वीं जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में बोलते हुए कही। इस कार्यक्रम में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, केंद्रीय मंत्री जयशंकर प्रसाद और पूर्व केंद्रीय मंत्री कर्ण सिंह भी मौजूद थे।

पूर्व पीएम सिंह ने कार्यक्रम के दौरान कहा, “दिल्ली में जब 84 के सिख दंगे हो रहे थे, गुजराल जी उस समय के गृह मंत्री नरसिम्हा राव के पास गए थे। उन्होंने राव से कहा कि स्थिति इतनी गंभीर है कि सरकार के लिए जल्द से जल्द सेना को बुलाना आवश्यक है। अगर राव गुजराल की सलाह मानकर जरूरी कार्रवाई करते तो शायद 1984 के नरसंहार से बचा जा सकता था।”

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पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के इस बयान पर दिवंगत नरसिम्हा राव के पोते एनवी सुभाष ने कहा, “परिवार के एक सदस्य के रूप में, मैं डॉ मनमोहन सिंह के इस बयान से आहत महसूस कर रहा हूँ, यह अस्वीकार्य है। क्या कोई गृह मंत्री कैबिनेट की मंज़ूरी के बिना स्वतंत्र निर्णय ले सकता है? अगर वहाँ सेना को बुला लिया गया होता, तो अनर्थ हो जाता।”

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स्वर्गीय इंद्र कुमार गुजराल 21 अप्रैल 1997 से 19 मार्च 1998 तक देश के 12वें प्रधानमंत्री थे। उनका निधन 92 वर्ष की उम्र में 30 नवंबर 2012 को हुआ था।

पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि इंद्र कुमार गुजराल ने 1984 के सिख दंगा को रोकने के लिए सेना को तैनात करने की सलाह दी थी, लेकिन तत्कालीन गृहमंत्री नरसिम्हा राव ने उनकी इस सलाह पर ग़ौर नहीं किया। गुजराल ने सिख दंगा भड़कने की रात को गृह मंत्री नरसिम्हा राव से मुलाक़ात भी की थी।

इससे पहले, जस्टिस ढींगरा की अध्यक्षता वाली SIT ने 1984 के सिख विरोधी दंगे मामले में बंद किए गए 186 मामलों को लेकर जाँच कोर्ट को सौंप दी है। कोर्ट ने SIT के दूसरे सदस्य अभिषेक भुल्लर को वापस CBI में जाने की अनुमति दे दी। अब शीर्ष अदालत इस रिपोर्ट पर ग़ौर करेगी और तय करेगी कि रिपोर्ट की कॉपी याचिकाकर्ता को सौंपी जा सकती है कि नहीं। इस मामले की सुनवाई अगले दो हफ़्ते के बाद की जाएगी।

दरअसल, 1984 के सिख विरोधी दंगे पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी की हत्या के बाद दिल्ली से शुरू हुए थे। 31 अक्टूबर 1984 को उनकी सुरक्षा में तैनात दो सिख गार्ड्स ने उनकी हत्या कर दी थी। दिल्ली से शुरू हुए सिख विरोधी दंगे देश के कई हिस्सों में फैल गए थे। इस दौरान केवल दिल्ली में 2,733 लोगों की जान चली गई थी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया