महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद यह स्थिति साफ़ हो गई कि सरकार बनाने के लिए ज़रूरी बहुमत किसी भी दल के पास नहीं है। भाजपा 105 सीटों के साथ सबसे बड़े दल के रूप में उभरी थी मगर शिवसेना के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन के बावजूद राज्य में सरकार बनाने को लेकर दोनों दलों में एक राय नहीं बन पाई। दरअसल उद्धव ठाकरे और उनकी शिवसेना राज्य की होने वाली सरकार में 50-50 प्लान के तहत अपनी पार्टी की हिस्सेदारी माँग रहे थे। वहीं उद्धव ने अपनी पार्टी के लिए मुख्यमंत्री पद की भी माँग रखी थी जिसे भाजपा ने ख़ारिज कर दिया था।
इसके बाद से ही राज्य में सरकार बनाने के लिए शिवसेना उन पार्टियों से संपर्क साधने में जुट गई, जिन्होंने अपना चुनाव ही शिवसेना के खिलाफ लड़ा था। इसी बात को लेकर एक शख्स ने पुलिस थाने में जाकर अपनी शिकायत दर्ज कराई है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार औरंगाबाद के रहने वाले इस शख्स का नाम रत्नाकर चौरे है। इस व्यक्ति ने शिवसेना पर आरोप लगाया है कि शिवसेना ने उनके और उनके परिवार के साथ छल किया है। पुलिस को दी गई इस शिकायत में रत्नाकर ने तीन लोगों के नाम लिखवाए हैं। वोट के साथ चीटिंग को लेकर की गई इस कंप्लेंट में रत्नाकर ने विधायक प्रदीप जैसवाल, चंद्रकान्त खैरे और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे का नाम डाला है।
बता दें कि यह शिकायत बेगमपुरा पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई है। प्रदीप जैसवाल, चंद्रकान्त खैरे और उद्धव ठाकरे पर की गई इस शिकायत में चौरे ने आरोप लगाया है कि शिवसेना ने हिंदुत्व की रक्षा के नाम पर वोट माँगा था। इसके उलट नतीजे आने के बाद शिवसेना अपने खिलाफ चुनाव लड़ने वाली पार्टियों के साथ सरकार बनाने की कोशिश कर रही है जबकि उसने भाजपा-शिवसेना गठबंधन की सरकार बनाने के नाम पर वोट माँगा था। चौरे के मुताबिक यह उनके और उनके परिवार के साथ चीटिंग का मामला है, उन्होंने तीनों पर मामला दर्ज करने की तहरीर दी है।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिल सका था। यही वजह है कि गठबंधन के बगैर कोई भी राजनीतिक दल सूबे में सरकार नहीं बना सकता। यही वजह है कि भाजपा से गठबंधन टूटने के बाद शिवसेना ने शरद पवार की एनसीपी और कॉन्ग्रेस पार्टी का मुँह ताकना शुरू कर दिया था। कयास यह भी लगाए जा रहे हैं कि एनसीपी और कॉन्ग्रेस के समर्थन देने से महाराष्ट्र में शिवसेना के नेतृत्व वाली सरकार बन सकती है। दरअसल महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने भाजपा को सबसे बड़े दल के रूप में उभरने के बाद सरकार बनाने के लिए न्योता भेजा था। भाजपा के बाद उन्होंने शिवसेना और एनसीपी को भी न्योता भेजा था मगर पर्याप्त बहुमत और आपसी मतभेद के चलते दलों में एक राय नहीं बन पाई थी। इसके बाद से ही महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया था।