सिक्किम की रूलिंग पार्टी सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट (एसडीएफ) ने यूनिवर्सल बेसिक इनकम स्कीम की घोषणा की है। एसडीएफ ने विधानसभा व लोकसभा चुनाव 2019 को ध्यान में रखते हुए 2022 से राज्य में यूबीआई स्कीम को शुरू करने की घोषणा की है। यूबीआई स्कीम को एसडीएफ ने अपने चुनाव घोषणा पत्र का हिस्सा बनाया है। राज्य सरकार ने इस स्कीम को लॉन्च करने की पूरी तैयारी कर ली है।
यदि सिक्किम में सरकार बनने के बाद एसडीएफ इस घोषणा को पूरा करने में सफ़ल हो जाती है, तो सिक्किम इस महत्वपूर्ण योजना को शुरू करने वाला देश का पहला राज्य बन जाएगा।
सिक्किम दूसरे राज्यों के लिए रह चुका है रोल मॉडल
यूबीआई की घोषणा से पहले भी सिक्किम सरकार ने कई महत्वपूर्ण योजनाओं की शुरुआत की है। इन सभी योजनाओं की सफ़लता के ज़रिए सिक्किम सरकार देश के दूसरे राज्यों के लिए रोल मॉडल रह चुकी है। सिक्किम में सरकार बनाने के बाद एसडीएफ ने राज्य की शिक्षा व्यवस्था में कई अहम बदलाव किए थे।
सरकार के इस प्रयास के बाद सिक्किम में साक्षरता दर 68.8 प्रतिशत (साल 2001 में) से बढ़कर 82.2 प्रतिशत पर पहुँच गई है। यही नहीं, 2004-05 की तुलना में वर्तमान समय में राज्य की जीडीपी लगभग दोगुनी हो गई है। इसके अलावा 2004-05 में सिक्किम में रहने वाले लगभग 1.7 लाख लोग गरीबी रेखा से नीचे थे, जबकि 2011-12 में यह आँकड़ा घटकर महज 51,000 रह गया था। सिक्किम ने 2018 में पूर्ण जैविक राज्य बनने का रिकॉर्ड भी अपने नाम किया। सिक्किम को यह अवॉर्ड संयुक्त राष्ट्र के द्वारा दिया गया था।
क्या है यूनिवर्सल बेसिक इनकम?
यूनिवर्सल बेसिक इनकम एक तरह से बेरोजगारी बीमा है। इस योजना के अंतर्गत किसी क्षेत्र में रहने वाले लोगों को उस क्षेत्र की सरकार के ज़रिए भत्ता के रूप में कुछ निश्चित रकम दिए जाते हैं। अपने देश में 2016-17 की आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट में यूबीआई की चर्चा की गई थी। जिसके बाद इस बात का अंदेशा लगाया जाने लगा कि केंन्द्र सरकार यूबीआई स्कीम लागू कर सकती है। लेकिन बाद में सरकार ने साफ़ किया कि केंन्द्र सरकार इस स्कीम को लागू करने में अभी सक्षम नहीं है।
शिवराज सरकार यूबीआई तर्ज पर ला चुकी है एक योजना
2011-13 के दौरान मध्य प्रदेश में भाजपा सरकार ने यूबीआई की तर्ज पर एक योजना की शुरुआत की थी। इस योजना का नाम मध्य प्रदेश अनकंडिशनल कैश ट्रांसफ़र प्रोजेक्ट दिया गया था। इस योजना के तहत राज्य के हर युवाओं को 300 रुपए जबकि बच्चों को 150 रुपए प्रति माह के दर से दिया जाने लगा था। इस योजना से राज्य के युवाओं और बच्चों के जीवन स्तर में बेहतरीन सुधार देखने को मिला था।