Saturday, November 23, 2024
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बढ़ते विवादों पर अनुपम खेर ने तोड़ी चुप्पी, सिनेमा और राजनीति को बताया एक दूसरे का असली चेहरा

राष्ट्रीय अवार्डों से सम्मानित बॉलीवुड के दिग्गज कलाकार अनुपम खेर अपनी आने वाली फिल्म ‘द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ की वजह से विवादों का हिस्सा बनते जा रहे हैं। कुछ समय पहले उनकी इस फ़िल्म का ट्रेलर लॉन्च हुआ था, जिसके कारण उन्हें काफी सोशल मीडिया पर काफी ट्रॉल किया जाने लगा।

बीते बुधवार, अनुपम खेर को और इस फ़िल्म में उनके साथी कलाकारों पर बिहार, मुजफ्फरपुर के चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट कोर्ट में शिकायत भी दर्ज की गई है। जिसकी सुनवाई 8 जनवरी को होनी है। बता दें कि ये शिकायत उनके ऊपर दिग्गज राजनेताओं की छवि बिगाड़ने की वजह से की गई है।

‘द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ को लेकर बढ़ते विवादों की वजह से अनुपम खेर ने बयान दिया है, कि सिनेमा और राजनीति ऐसी चीजें नहीं हैं, जिन्हें एक दूसरे से अलग किया जा सके। अनुपम की माने तो ये दोनों (राजनीति और सिनेमा) एक दूसरे का प्रतिबिंब हैं। इन दोनों के प्रभावों का असर एक दूसरे पर हमेशा से देखने को मिलता रहा है। अनुपम का कहना है कि ‘द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ किसी नेता की छवि बिगाड़ने के लिए बनाई गई फ़िल्म नहीं है, बल्कि इस फ़िल्म में ये दर्शाया गया है कि किस तरह एक साधारण व्यक्ति अपनी क्षमता और काबिलियत के आधार पर देश का प्रधानमंत्री बनता है।

अनुपम खेर ने आईएएनएस को दिए इंटरव्यू के दौरान कहा कि जब दर्शक सिनेमा हॉल में घुसता है तो वह सिर्फ दर्शक ही होता है, लेकिन जब वो बाहर आता है तब उनके मन में कई तरह की बातें घूम रही होती हैं, क्योंकि राजनीति और सिनेमा दोनों एक दूसरे का चेहरा दिखाती हैं।

अनुपम ने अपनी बात को बढ़ाते हुए कहा कि एक फ़िल्म निर्माता और कलाकार कभी इस बात को तय नहीं कर सकते कि जनता एक निश्चित पार्टी को क्यों वोट देती है। हर किसी के पास अच्छे और बुरे की सूची होती है, जिससे वो तय करते हैं कि वो किस पार्टी को वोट देंगे। अब इसमें कोई फ़िल्म अपना योगदान कैसे दे सकती है?

अनुपम की माने तो ये फ़िल्म मात्र एक साधारण व्यक्ति की कहानी है, जो मध्यम वर्गीय परिवार में जन्मा और और अपनी काबिलियत की वजह से भारत का प्रधान मंत्री बन पाया।

ये फ़िल्म 2014 के चुनावों में मनमोहन सिंह के जीवन पर आई एक किताब पर आधारित है। जिसमें मनमोहन सिंह की जीवन यात्रा का विवरण दिया गया है। ये किताब संजय बारू ने लिखी है जो कि उनके प्रधानमंत्री काल में उनके मीडिया सलाहकार और मुख्य प्रवक्ता रह चुके हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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