महा विकास अघाड़ी के विधायक दल के नेता के रूप में शिव सेना सुप्रीमो उद्धव बालासाहेब ठाकरे ने महाराष्ट्र के 18वें मुख़्यमंत्री के रूप में शपथ ले ली है। वे अपनी पार्टी से तीसरे (मनोहर जोशी और नारायण राणे के बाद) और महाराष्ट्र पर मज़बूत पकड़ रखने वाले अपने परिवार के पहले मुख्यमंत्री हैं।
https://twitter.com/PTI_News/status/1200041061839560705?ref_src=twsrc%5Etfw https://twitter.com/moneycontrolcom/status/1199349815206760448?ref_src=twsrc%5Etfwरणभेरी और तालियों की गड़गड़ाहट के बीच शिवाजी पार्क में हुए शपथ ग्रहण समारोह में राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी द्वारा शपथ और पदभार ग्रहण करने के लिए बुलाए जाने पर मराठी माणूस राजनीति के खुल कर पैरोकार बने उद्धव ठाकरे ने छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा के चरण स्पर्श किए, और उसके बाद मराठी में ही शपथ ली। उन्होंने अपनी सरकार के न्यूनतम साझा कार्यक्रम में भी 80% नौकरियों का आरक्षण स्थानीय और मराठी युवाओं के लिए करने का ऐलान किया हुआ है।
https://twitter.com/MirrorNow/status/1200041618704748545?ref_src=twsrc%5Etfwअपनी शपथ में पहला शब्द ही हिन्दू पदपादशाही के नायक “छत्रपति शिवाजी” के नाम को रखने वाले महाराष्ट्र के माननीय मुख्यमंत्री के लिए सबसे बड़ी चुनौती इस बेमेल गठबंधन का औचित्य जनता के सामने साबित करने का होगा। लेकिन ऐसा लग नहीं रहा है कि इस चुनौती में उनके नए-नए संगी बने कॉन्ग्रेस नेता उनकी अधिक सहायता करेंगे। कॉन्ग्रेस के दोनों ही आलाकमान सोनिया गाँधी और राहुल गाँधी ने उनके शपथ ग्रहण से किनारा कर लिया है। दोनों ने महज़ पत्र लिखकर उन्हें शुभकामना देने और सहयोग के आश्वासन की खानापूर्ति कर डाली।
और यह हाल तब है जब उद्धव के बेटे आदित्य ठाकरे खुद सोनिया गाँधी को न्यौता देने गए थे।
जहाँ साथ में सरकार बनाने के बावजूद सोनिया-राहुल ने उद्धव के शपथ ग्रहण में आना ज़रूरी नहीं समझा, वहीं नाराज़ चल रहे चचेरे भाई और उद्धव के प्रमोशन से ही बिफर कर शिव सेना छोड़ने वाले महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना प्रमुख राज ठाकरे भाई के लिए महत्वपूर्ण मौके पर मौजूद रहे।
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