कोलकाता न्यूज केबल से हटने के बाद ABP संपादक को पुलिस ने भेजा समन: प्रेस फ्रीडम को लेकर ममता पर उठे सवाल

अनिबार्न चट्टोपाध्याय और ममता बनर्जी (फाइल फोटो)

क्या पश्चिम बंगाल में ममता सरकार की नीतियों के कारण प्रेस की स्वतंत्रता खतरे में आ चुकी है? क्या ममता सरकार कोरोना संकट के बीच प्रेस को नियंत्रित करने की कोशिश कर रही है? क्या बंगाल में राज्य सरकार के ख़िलाफ़ आवाज उठाने का मतलब अब नौकरी से हाथ धो बैठना हो गया है?

उक्त सभी सवाल आनंद बाजार पत्रिका के संपादक अनिबार्न चट्टोपाध्याय के इस्तीफे के बाद पैदा हुए हैं। जिन्होंने कुछ समय पहले कोरोना संकट के बीच ममता बनर्जी सरकार के ख़िलाफ़ अपने समाचार पत्र में एक न्यूज प्रकाशित करने की इजाजत दी थी और इसके बाद कोलकाता पुलिस ने उन्हें इस मामले के संबंध में समन भेज दिया था।

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बाद में खबर आई थी कि 31 मई को अनिबार्न चट्टोपाध्याय ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया और उनकी जगह अब ईशानी दत्ता 1 जून से एक्टिंग एडिटर की तरह काम करेंगी।

बता दें, चटर्जी को पुलिस द्वारा भेजे गए के समन की खबर तब सामने आई थी जब राज्यपाल जगदीप धनकड़ ने 28 मई को ट्वीट कर बताया था कि उन्होंने इस मामले में मुख्य सचिव से अपडेट माँगा है।

https://twitter.com/jdhankhar1/status/1265880918457114624?ref_src=twsrc%5Etfw

एक ओर जहाँ अनिबार्न के फैसले के पीछे गवर्नर ने सीएम ममता को जिम्मेदार बताया था। वहीं सीपीआई (एम) के एक नेता ने इसके लिए मोदी सरकार को उत्तरदायी कह दिया था।

इससे पहले 25 मई को हारे स्ट्रीट पुलिस स्टेशन से चट्टोपाध्याय के पास नोटिस आया था कि उन्हें पूछताछ के लिए थाने आना है। मगर, यहाँ अनिबार्न ने पुलिस स्टेशन जाने की बजाय, उन्हें अपनी ओर से एक लेटर लिखा और बताया कि वह थाने में खुद नहीं आ पाएँगे।

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उन्होंने पत्र में ये भी लिखा कि वे हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए याचिका दायर कर चुके हैं और उनकी उम्र की वजह से उन्हें इस कोरोना काल में सार्वजनिक स्थानों पर जाने की मनाही है।

अपने पत्र में समाचार पत्र के पूर्व संपादक ने लिखा कि पुलिस समन पर उनके ऑफिस का लीगल डिपार्टमेंट देख रहा है और फिलहाल अभी इससे आगे वह कुछ नहीं कहेंगे।

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इस पत्र को 1 जून को शेयर करते हुए भाजपा बंगाल ने ममता सरकार पर निशाना साधा था। भाजपा बंगाल के ट्विटर पर इसे शेयर करते हुए लिखा गया, “बंगाल में प्रेस स्वतंत्रता के बारे में बात करनी है? अगर आप यहाँ ममता बनर्जी के इशारों पर नहीं नाचेंगे तो वह पुलिस का इस्तेमाल करेंगी और आपको आपकी नौकरी छोड़ने पर मजबूर कर देगी।”

गौरतलब है कि अनिबार्न के इस्तीफे के बाद से ही सोशल मीडिया पर ये प्रेस स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की आजादी का मुद्दा गरमाया हुआ है। हालाँकि, ABP के पूर्व संपादक की पत्नी ने ममता सरकार पर लगाए जा रहे इन आरोपों से इंकार किया है। इस संबंध में उन्होंने पोस्ट करके बताया है कि उनके पति इस इस्तीफे पर पहले से विचार कर रहे थे। इसलिए ये मामला मीडिया की स्वतंत्रा का नहीं है।

वहीं, वामपंथी पोर्टल द क्विंट के अनुसार, चटर्जी ने इस मामले पर उनसे कहा,” आनंदबाजार पत्रिका के एडिटर पद से इस्तीफा देने का फैसला मैंने काफी पहले लिया था। मैं एक साल से भी ज्यादा समय से खुद को इस जिम्मेदारी से मुक्त करने की सोच रहा था, लेकिन कुछ मुद्दे थे जिन्हें सुलझाना था।”

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उल्लेखनीय है कि भले ही अनिबार्न और उनकी पत्नी इस मामले के संबंध में अपने ऊपर कोई भी राजनैतिक दबाव न होने की बातों का बयान दे रहे हों और ममता सरकार पर लग रहे सभी आरोपों को खारिज कर रहे हों। लेकिन ये ध्यान रखने वाली बात है कि ये पहला मामला नहीं है, जब बंगाल में प्रेस स्वतंत्रता को लेकर सवाल उठे हों।

इससे पहले कोलकाता न्यूज का मामला पिछले माह प्रकाश में आया था, जब सरकार से सवाल पूछने पर कई केबल नेटवर्क से कोलकाता न्यूज गायब कर दिया गया था। जिसके बाद लोगों ने सोशल मीडिया पर आरोप लगाए थे कि ममता सरकार द्वारा ही कोलकाता न्यूज को प्रतिबंधित किया गया है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया