केरल में कॉन्ग्रेस की एक सहयोगी पार्टी है। नाम है- इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML)। विचारधारा से प्योर कट्टरपंथी है। मोटे शब्दों में कहें तो इस पार्टी की सोच भी वही है जिसने 1947 में भारत का विभाजन करवाया। एक सवाल के जवाब में राहुल गाँधी ने इस पार्टी को ‘सेकुलर’ बताया है। 10 दिवसीय अमेरिकी दौरे पर गए कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष से 1 जून 2023 को वाशिंगटन के नेशनल प्रेस क्लब में इस पार्टी को लेकर सवाल पूछा गया था।
वैसे यह बयान हैरान करने वाला नहीं है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तो कई साल पहले ही बता चुके हैं कि कॉन्ग्रेस मुस्लिम लीग वायरस से संक्रमित है। ऐसे में राहुल गाँधी ने कट्टर मजहबी विचारों वाली पार्टी को विदेश में सेकुलर बताकर बस इसका प्रदर्शन किया है कि यह संक्रमण कितना गहरा है। सेकुलरिज्म की कॉन्ग्रेस की परिभाषा कितनी छद्म है। इस छद्म को सालों पहले दिवंगत सुषमा स्वराज ने लोकसभा में अपने संबोधन के दौरान भी उजागर किया था।
#WATCH | Washington, DC: …" Muslim League is a completely secular party, there is nothing non-secular about the Muslim League…": Congress leader Rahul Gandhi on being asked about Congress's alliance with Indian Union Muslim League (IUML) in Kerala pic.twitter.com/wXWa7t1bb0
— ANI (@ANI) June 1, 2023
योगी आदित्यनाथ में 5 अप्रैल 2019 2019 में कॉन्ग्रेस पर मुस्लिम लीग के प्रभाव को बताते हुए ट्वीट किए थे। उन्होंने लिखा था, “मुस्लिम लीग एक वायरस है। एक ऐसा वायरस जिससे कोई संक्रमित हो गया तो वो बच नहीं सकता और आज तो मुख्य विपक्षी दल कॉन्ग्रेस ही इससे संक्रमित हो चुका है। सोचिए अगर ये जीत गए तो क्या होगा? ये वायरस पूरे देश मे फैल जाएगा।” एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा था, “1857 के स्वतंत्रता संग्राम में मंगल पांडे के साथ पूरा देश अंग्रेजों के खिलाफ मिलकर लड़ा था, फिर ये मुस्लिम लीग का वायरस आया और ऐसा फैला कि पूरे देश का ही बँटवारा हो गया। आज फिर वही खतरा मंडरा रहा। हरे झंडे फिर से लहरा रहे है। कॉन्ग्रेस, मुस्लिम लीग वायरस से संक्रमित है, सावधान रहिए।”
वहीं भारतीय राजनीतिक दलों के छद्म सेकुलरिज्म को जून 1996 में लोकसभा में सुषमा स्वराज ने भी उजागर किया था। इसमें उन्होंने बताया था कि कैसे तथाकथित सेकुलरों का सेकुलरिज्म हिंदुओं को गाली देने से शुरू होता है। कैसे हिंदू और राष्ट्र हित की बात करने वालों को साम्प्रदायिक घोषित कर दिया जाता है।
राहुल गाँधी ने अमेरिका से जिस सेकुलरिज्म का संदेश देने की कोशिश की है, वैसी ही सोच पर प्रहार करते हुए सुषमा स्वराज ने कहा था, “हम साम्प्रदायिक हैं, हाँ, हम साम्प्रदायिक हैं, क्योंकि हम वंदे मातरम् गाने की वकालत करते हैं। हाँ, हम साम्प्रदायिक हैं, क्योंकि राष्ट्रीय ध्वज के सम्मान के लिए लड़ते हैं। हम साम्प्रदायिक हैं, क्योंकि धारा 370 को समाप्त करने की माँग करते हैं। हाँ, हम साम्प्रदायिक हैं, क्योंकि हिन्दुस्तान में गोरक्षा और उसके वंश और वर्धन की बात करते हैं। हम साम्प्रदायिक हैं, क्योंकि हिंदुस्तान में समान नागरिक संहिता बनाने की माँग करते हैं। हम साम्प्रदायिक हैं, क्योंकि कश्मीरी शरणार्थियों के दर्द को जुबान देने का काम करते हैं।”