दरअसल 3 जून 2025 को बम्हौर गाँव के युवक राकेश कन्नौजिया की शादी थी। इस मौके पर दलित समुदाय की महिलाएँ और लड़कियाँ पारंपरिक विवाह-पूर्व की रस्में निभा रही थीं। उत्सव का माहौल तब तनावपूर्ण हो गया जब मुस्लिम समुदाय के कई युवक वहाँ पहुँच गये और महिलाओं की सहमति के बिना उनका वीडियो बनाने लगे। इस पर आपत्ति जताने पर मुस्लिम युवकों ने अभद्र भाषा का इस्तेमाल करते हुए महिलाओं से छेड़छाड़ किया। घबराकर महिलाओं ने मदद के लिए शोर मचाया, जिससे पुरुष रिश्तेदारों को बीच-बचाव करना पड़ा। इस दौरान दोनों पक्षों के बीच मारपीट शुरू हो गई, जिसमें करीब 20 लोग घायल हो गए।
पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और 10 आरोपितों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने घायलों को स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया है और मामले की जाँच शुरू कर दी है।
गाँव के राकेश कन्नौजिया, बृजेश गोंड और रामअवध समेत कई दलित परिवारों का आरोप है कि मुस्लिम समुदाय के लोग घूम-घूमकर धमकी दे रहे हैं। उन्होने दावा है कि 3 जून की झड़प कोई अकेली घटना नहीं थी, बल्कि उत्पीड़न का सिलसिला बहुत दिनों से जारी है। दलित परिवारों का आरोप है कि महीनों से उन्हें भक्ति गीत बजाने, शादियों में डीजे बजाने या सांस्कृतिक उत्सवों में भाग लेने पर दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ता है। यहाँ तक कि ‘जय श्रीराम’ के नारे लगाने और त्यौहार मनाने में भी इन्हें दिक्कतों ता सामना करना पड़ता है।
दलित परिवारों का कहना है कि महिलाएँ और लड़कियाँ घर से बाहर नहीं निकल पाती हैं। उनके साथ छेड़छाड़ की जाती है और धमकियाँ दी जाती है। उन्होने चेतावनी दी है कि अगर सुरक्षा की पर्याप्त व्यवस्था नहीं की गई तो वे लोग पलायन कर जाएँगे। एक दलित व्यक्ति ने कहा, “हमारी बेटियाँ और पत्नियाँ घर से बाहर नहीं निकल पाती हैं। त्यौहार खुशियों के बजाय तनावपूर्ण हो गए हैं। और जब हम शिकायत करते हैं, तो कुछ नहीं होता।”
एक दूसरे दलित व्यक्ति ने कहा, “हम कई बार पुलिस के पास गए। हमने बेहतर सुरक्षा और सख्त कार्रवाई का अनुरोध किया, लेकिन कुछ नहीं बदला। इसलिए हमने अपने घर बेचने का फैसला किया है। कम से कम हम कहीं और शांति से रह सकते हैं।”
आजमगढ़ के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) मधुवन कुमार सिंह ने कहा कि पुलिस ऐसे परिवारों से संपर्क कर उन्हें सुरक्षा का आश्वासन दे रही है। उन्होंने कहा, “हमने ऐसी रिपोर्ट देखी है कि कुछ परिवार पलायन करने की योजना बना रहे हैं। हम उनसे संपर्क कर रहे हैं और उन्हें सुरक्षा सुनिश्चित करने का आश्वासन भी दे रहे हैं।”
मुबारकपुर पुलिस स्टेशन के प्रभारी निहान नंदन ने भी कहा कि शांति बहाल करने के लिए 3 जून की घटना के बाद इलाके में गश्त बढ़ा दी गई है। हालाँकि पुलिस के आश्वासन के बावजूद अधिकांश परिवार आश्वस्त नहीं दिखते। दलित परिवारों का कहना है कि “पहले यह सुरक्षा कहाँ थी? प्रशासन को जागने के लिए सुर्खियों और विरोध प्रदर्शनों की क्या जरूरत है?”