Friday, March 29, 2024
Homeरिपोर्टमीडियासावरकर पर ‘नायक या खलनायक’ कार्यक्रम चलाना ABP माझा के लिए पड़ा महँगा

सावरकर पर ‘नायक या खलनायक’ कार्यक्रम चलाना ABP माझा के लिए पड़ा महँगा

ABP के एक ग्राहक, कॉटन किंग, जो लंबे समय से एबीपी माझा पर विज्ञापन देते रहे हैं, उन्होंने चैनल से अपने सभी विज्ञापन वापस ले लिए और चैनल के विवादित कार्यक्रम के कारण चैनल का आर्थिक बहिष्कार शुरू कर दिया।

एबीपी समूह के स्वामित्व और नियंत्रण वाले मराठी क्षेत्रीय चैनल एबीपी माझा द्वारा वीर सावरकर की जयंती पर एक विवादस्पद शीर्षक, ‘सावरकर-एक नायक एक खलनायक?’ से एक विशेष कार्यक्रम (बहस) किया गया था। इस कार्यक्रम के शीर्षक पर वहाँ मौजूद पैनलिस्ट ने कड़ी आपत्ति दर्ज की थी। ख़बर है कि एबीपी चैनल ने कार्यक्रम के विवादास्पद शीर्षक के लिए सार्वजनिक भावनाओं को आहत करने के लिए माफ़ी माँगी है।

एबीपी माझा ने एक स्पष्टीकरण जारी करते हुए कहा, “स्वातंत्र्यवीर वीर सावरकर की जयंती पर, ‘सावरकर-एक नायक या एक खलनायक’ शीर्षक से एक बहस का कार्यक्रम- एबीपी माझा पर प्रसारित किया गया था। इस शीर्षक से लोगों की भावनाओं को आहत करने या वीर सावरकर का अनादर करने का माझा (चैनल) का कोई इरादा नहीं था। वास्तव में, माझा ने 2 शो टेलीकास्ट किए थे कि वीर सावरकर का जीवन कितना प्रेरणादायक था। यदि बहस और शीर्षक ने दर्शकों की भावनाओं को आहत किया है, तो हमें इसके लिए खेद है और हम इसके लिए माफ़ी माँगते हैं।”

ख़बर के अनुसार, 28 मई 2019 को वीर सावरकर की जयंती के मौके पर कुछ हफ़्ते पहले, एबीपी माझा ने ‘सावरकर-एक नायक या एक खलनायक?’ शीर्षक से एक बहस शुरू की थी- जिसे लोगों ने वीर सावरकर के अपमान के रूप में लिया और अपनी कड़ी प्रतिक्रिया दर्ज की क्योंकि भारत के स्वतंत्रता संग्राम में उनका बहुत बड़ा योगदान था।

ABP के एक ग्राहक, कॉटन किंग, जो लंबे समय से एबीपी माझा पर विज्ञापन देते रहे हैं, उन्होंने चैनल से अपने सभी विज्ञापन वापस ले लिए और चैनल के विवादित कार्यक्रम के कारण चैनल का आर्थिक बहिष्कार शुरू कर दिया।

ब्रिटिश उत्पीड़न के ख़िलाफ़ लड़ने व अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह में सेलुलर जेल में क़ैद की सजा भुगतने वाले वीर सावरकर को अक्सर अपमानित किया जाता रहा है। जबकि सच्चाई यह है कि वो भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के प्रबल सेनानी एवं प्रखर राष्ट्रवादी नेता थे। वीर सावरकर विश्वभर के क्रांतिकारियों में अद्वितीय थे। उनका नाम ही भारतीयों के लिए उनका संदेश था। वे एक ऐसे महान क्रांतिकारी, इतिहासकार, समाज सुधारक, विचारक, चिंतक और साहित्यकार थे। उनकी पुस्तकें क्रांतिकारियों के लिए गीता के समान थीं। उनका जीवन बहुआयामी था।

Special coverage by OpIndia on Ram Mandir in Ayodhya

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

इस बूथ पर होती है 100%, क्योंकि वोटर है केवल 1: मतदान कराने के लिए तैनात करने पड़ते हैं 15 कर्मचारी

खास उन्हीं के लिए बनाए जाने वाले मतदान केंद्र को देखते हुए वो कभी मतदान से पीछे नहीं हटते। ऐसे में इस बार भी 100 प्रतिशत मतदान की गारंटी है।

जिसे जेल में मछली खिलाने के लिए खुदवा ली गई थी तालाब, उसे सुबह की नमाज़ के बाद किया जाएगा सुपुर्द-ए-ख़ाक: मुख़्तार अंसारी के...

मुख़्तार अंसारी का रसूख ऐसा था कि गाजीपुर जेल में उसे मछलियाँ खिलाने के लिए तालाब तक खुदवा ली गई थी, बड़े-बड़े अधिकारी उसके साथ बैडमिंटन खेलने आते थे।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -

हमसे जुड़ें

295,307FansLike
282,677FollowersFollow
418,000SubscribersSubscribe