आजादी के 78 साल के बाद छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित एक गाँव में बिजली पहुँची है। राज्य के सुदूर इलाके में बसा छुटवाही नाम का यह गाँव एक साल पहले तक नक्सलियों के कब्जे में था। यहाँ गुरुवार (28 नवंबर 2024) को पहली बार बिजली पहुँची। इस गाँव तक सड़क भी नहीं है। सरकार ने अगले साल तक यहाँ सड़क बनाने की योजना बनाई है।
छुटवाही गाँव बीजापुर जिले में स्थित है। यह बीजापुर मुख्यालय से करीब 50 किलोमीटर दूर है। दो महीने पहले सुरक्षाबलों ने इस इलाके को माओवादियों से पूरी तरह मुक्त कराने के लिए बड़े पैमाने पर नक्सल विरोधी अभियान था। इस दौरान यहाँ कई मुठभेड़ों को अंजाम दिया गया था। इलाके को नक्सलियों से मुक्त कराने के बाद यहाँ एक सुरक्षा शिविर स्थापित किया गया था।
बीजापुर के जिलाधिकारी संबित मिश्रा ने कहा, “आजादी के बाद पहली बार हम ग्रामीणों को बिजली उपलब्ध कराने में सक्षम हुए हैं, क्योंकि बीजापुर में नए सुरक्षा शिविर बनने से हम यहाँ तक पहुँच पा रहे हैं। हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता यहाँ बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध कराना है, ताकि गाँवों तक हमारी पहुँच बने। अगले साल तक हम उन्हें सड़क से जोड़ने का प्रयास करेंगे।”
जिलाधिकारी संबित मिश्रा ने आगे बताया, “नियाद नेल्लनार योजना के तहत बिजली के अलावा हम उन्हें मोबाइल टावर, स्कूल, आँगनवाड़ी केंद्र, सार्वजनिक वितरण प्रणाली और जल जीवन मिशन के तहत पानी की आपूर्ति प्रदान कर रहे हैं।” तमाम तरह की चुनौतियों को पूरा करते हुए भारी सुरक्षा घेरे में इंजीनियर और कर्मचारियों ने बिजली के खंभे और ट्रांफॉर्मर आदि स्थापित किए।
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, अधिकारी ने बताया कि बीजापुर के 100 से अधिक गाँवों में अभी भी बिजली कनेक्शन नहीं है। अधिकारी ने कहा कि जैसे-जैसे सुरक्षाबल आगे बढ़ेंगे और गाँवों को माओवादियों से मुक्त कराएँगे, वैसे-वैसे प्रशासन वहाँ के निवासियों को बिजली-सड़क सहित केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं के तहत अन्य लाभ प्रदान करने में समर्थ हो पाएगा।
बता दें कि इस साल छत्तीसगढ़ में सुरक्षाबलों ने 210 माओवादियों को मार गिराया है। 1 नवंबर 2000 को राज्य के गठन के बाद से एक साल में माओवादियों को हुई ये सबसे बड़ी क्षति है। इस अवधि में राज्य के बस्तर क्षेत्र में माओवादी हिंसा में 17 सुरक्षाकर्मी और 62 नागरिक मारे गए हैं। बस्तर क्षेत्र में बीजापुर सहित सात जिले आते हैं।