Friday, March 29, 2024
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मोदी सरकार ने लिया J&K में अब तक का सबसे बड़ा फैसला: JKLF पर लगा प्रतिबंध

गौरतलब है कि लगभग 40 वर्षों तक JKLF पर प्रतिबंध नहीं लगाया जा सका था इस दृष्टि से अलगाववाद को रोकने के लिए उठाया गया यह बहुत ही महत्वपूर्ण कदम है।

केंद्र सरकार ने आतंकी संगठन जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट पर प्रतिबंध लगा दिया है। केंद्रीय गृह सचिव राजीव गाबा ने प्रेस से बात करते हुए बताया कि सरकार ने यह निर्णय गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम, 1967 (UAPA) के तहत लिया है। गौरतलब है कि लगभग 40 वर्षों तक JKLF पर प्रतिबंध नहीं लगाया जा सका था इस दृष्टि से अलगाववाद को रोकने के लिए उठाया गया यह बहुत ही महत्वपूर्ण कदम है।

जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट पर यह कार्रवाई पुलवामा आतंकी हमले के बाद कश्मीर के अलगाववादियों पर सरकार की जीरो-टॉलरेन्स नीति का परिणाम है। गत 14 फरवरी को हुए इस हमले में 40 CRPF जवान वीरगति को प्राप्त हुए थे। हमलावर आदिल अहमद डार कश्मीर का ही रहने वाला था, और हमले की जिम्मेदारी जैश-ए-मोहम्मद ने ली थी।

यासीन मलिक एक आतंकी है और ‘अलगाववादी नेता’ के रूप में प्रचारित किया जाता रहा है। वह जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट का चीफ भी है। जेकेएलएफ मूलतः एक आतंकवादी संगठन है जिसकी स्थापना 1977 में की गई थी। सन 1989 में इसी संगठन के आतंकियों ने हाई कोर्ट के जस्टिस नीलकंठ गंजू समेत कई कश्मीरी पंडितों की हत्या की थी। दिसंबर 1989 में JKLF द्वारा मुफ़्ती मुहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद का अपहरण किया गया था जिसके बदले में पाँच आतंकियों को छोड़ा गया था।

दिसंबर 8, 1989 को रुबैया सईद के अपहरण के बाद पंद्रह दिनों तक ड्रामा चला था जिसके बाद वी पी सिंह सरकार द्वारा अब्दुल हमीद शेख़, शेर खान, नूर मोहम्मद कलवल, अल्ताफ अहमद और जावेद अहमद जरगर नामक आतंकियों को जेल से छोड़ा गया था। चौदह साल बाद जेकेएलएफ के जावेद मीर ने रुबैया सईद के अपहरण की बात कबूल की थी। 

अगले साल जनवरी 25 जनवरी 1990 को जेकेएलएफ ने भारतीय वायु सेना के पाँच अधिकारियों की हत्या कर दी थी। खुद यासीन मलिक ने भी बीबीसी को दिए इंटरव्यू में यह स्वीकार किया था कि उसने ड्यूटी पर जा रहे 40 वायुसैनिकों पर गोलियाँ चलाई थीं। कुछ समय पहले ही सीबीआई ने यासीन मलिक पर शिकंजा कसा था। प्रवर्तन निदेशालय ने भी कई अलगाववादी नेताओं समेत मलिक की सम्पत्ति जब्त की थी

जिस जेकेएलएफ और यासीन मलिक पर महबूबा मुफ्ती की बहन के अपहरण का आरोप है, महबूबा उसी के समर्थन में खड़ी हो गईं हैं। ट्वीट करते हुए उन्होंने कहा कि यासीन मलिक ने हिंसा कब की छोड़ दी है। उनके अनुसार उसके संगठन को प्रतिबंधित करने से कुछ हासिल नहीं होगा, बल्कि कश्मीर खुली जेल में तब्दील हो जाएगा।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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