Thursday, March 28, 2024
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हत्या के गुनहगार अकील पठान ने गीता पढ़ने की जताई इच्छा, ग्वालियर के केंद्रीय कारागार में है कैद

ADG के गीता जागृति अभियान का दिख रहा असर। दशहरे पर जेल में बॉंटी गई गीता। गीता मिलने पर पठान ने कहा- धर्म हमें एकता सिखाता है, मतभेद नहीं। इसके उपदेशों पर अमल करने की कोशिश करूॅंगा।

ग्वालियर परिक्षेत्र के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक राजा बाबू सिंह ने इन दिनों समाज के विभिन्न वर्गों में गीता के जरिए जागृति फैलाने का अभियान शुरू किया हुआ है। इस कड़ी में दशहरे पर उन्होंने ग्वालियर के केंद्रीय जेल में गीता का वितरण किया और सबको एक-एक माला दी। हत्या के मामले में कैद अकील पठान को भी गीता दी गई। इसके बाद उसने गीता पढ़ने की इच्छा जताई और कहा कि धर्म हमें एकता सिखाता है, मतभेद नहीं।

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक अकील पठान ने गीता की प्रति मिलने के बाद कहा कि धर्म हमेशा अच्छी चीजें सिखाता है। उसका कहना है कि वो जेल में रहकर किताबें पढ़ता रहता है और मुस्लिम होने के नाते वो अपने मजहब की किताबें भी पढ़ता रहा है। लेकिन अब उसे गीता मिली है, जिसे पढ़ने का वो इच्छुक है। अकील का कहना है कि वो गीता में दिए उपदेशों को समझने का और उन पर अमल करने की कोशिश करेगा।

रिपोर्ट के अनुसार एडीजी राजा बाबू सिंह समाज के अलग-अलग वर्गों में जाकर गीता के जरिए जागृति फैलाने की कड़ी में स्कूलों तक में जाकर बच्चों को गीता की प्रतियाँ देते हैं और गीता में दिए ज्ञान के बारे में बच्चों से बात करते हैं।

उन्होंने इंडिया टुडे से बातचीत करते हुए बताया कि उनका मानना है लोग अपने बुरे कर्मों के कारण अपराधी बनते हैं और फिर उन्हें जेल आना पड़ता है। वो बताते हैं कि गीता उन लोगों को आध्यात्म के प्रति जागृति और धार्मिक दिशा दिखाती है जो अपने पथ से डगमगा गए हैं।

इस आयोजन में वृंदावन के एक आध्यात्मिक गुरु आनंदेश्वर दास चैतन्य ने भी कैदियों को धार्मिक जीवन के गुणों के बारे में पढ़ाया। उन्होंने कहा, “गीता सिर्फ़ एक धार्मिक किताब नहीं है, यह एक आध्यात्मिक विकास है जिसे मनुष्य को जीवन के संविधान के रूप में स्वीकार करना चाहिए।” उन्होंने बताया कि जो देश के संविधान के ख़िलाफ़ जाता है, वो जेल में जाता है। इसी तरह जो आध्यात्म के संविधान का उल्लंघन करता है, वो इस जीवन चक्र में फँस जाता है।”

रिपोर्ट के अनुसार ग्वालियर की सेंट्रल जेल में 3,396 कैदी हैं, जिनमें 164 महिलाएँ हैं और उनके साथ 21 बच्चे हैं। अधिकतर कैदियों ने मजहब से ऊपर उठकर गीता पढ़ने की इच्छा जताई है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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