चीन और पाकिस्तान के लिए बुरी खबर: जो बायडेन ने भारत के पुराने मित्र को बनाया अमेरिका का नया विदेश मंत्री

एंटोनी ब्लिंकेन लम्बे समय से जो बायडेन के सलाहकार रहे हैं

अमेरिका के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति ने अपनी टीम के गठन की प्रक्रिया शुरू कर दी है और इसी क्रम में एंटोनी ब्लिंकन को ‘सेक्रेटरी ऑफ स्टेट’ बनाया गया है। अर्थात, वो संयुक्त राष्ट्र अमेरिका के नए विदेश मंत्री होंगे। ये भारत के लिए अच्छी, तो पाकिस्तान और चीन के लिए बुरी खबर है। वो पहले से ही जो बायडेन की विदेशी नीतियों को बनाने वाली टीम के मुखिया रहे हैं। वो जो बायडेन के उपराष्ट्रपति के कार्यकाल में उनके NSA भी रह चुके हैं।

वो ‘स्टेट फॉरेन रिलेशन कमिटी’ के स्टाफ डायरेक्टर भी रहे हैं। फिर वो डिप्टी सेक्रेटरी बन गए। उनके पिता हंगरी में एम्बेस्डर रहे थे। उन्होंने तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के विदेशी मुद्दों पर स्पीच लिखने से अपने करियर की शुरुआत की थी। मध्य-पूर्व, चीन, यूरोप, ईरान और भारत को लेकर जो बायडेन की रणनीतियों के पीछे एंटोनी ब्लिंकन ही रहे हैं। भारत-अमेरिका परमाणु करार के समय उन्होंने सीनेट में इसके पक्ष में माहौल तैयार किया था

तब बराक ओबामा तक इस करार को सीनेट में पास करने से हिचक रहे थे और डेमोक्रेट पार्टी के फार लेफ्ट वर्ग में एकमत नहीं था, तब उन्होंने बड़ी भूमिका निभाई थी। इस साल की शुरुआत में हडसन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में भारत के साथ रिश्तों पर बोलते हुए उन्होंने कहा था कि भारत के साथ रिश्तों को मजबूत करना और भारत-अमेरिका संबंधों में गहराई लाना जो बायडेन की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक होगी।

उन्होंने कहा था कि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में भारत-अमेरिका के रिश्ते का महत्व है और इसीलिए वैश्विक मुद्दों पर स्थिरता के लिए इस पर आगे बढ़ना ज़रूरी है क्योंकि ये काफी लोकतांत्रिक होगा। उन्होंने याद दिलाया कि पेरिस क्लाइमेट समझौते के वक्त भारत को उसमें शामिल करने में तत्कालीन अमेरिकी उपराष्ट्रपति जो बायडेन ने बड़ी भूमिका निभाई थी, क्योंकि भारत और चीन के बिना इस समझौते का कोई अर्थ ही नहीं रह जाता।

उन्होंने कहा था कि भारत को हमने समझाया कि वो इस समझौते में आने के बाद ज्यादा समृद्ध और सुरक्षित होगा। उन्होंने कहा कि ये कठिन था लेकिन भारत को मनाने में हम कामयाब रहे। साथ ही बताया कि अगर भारत इसका हिस्सा नहीं बनता तो वैश्विक चुनौतियों का समाधान नहीं हो पाता। पेरिस समझौते, WHO और ईरान JCPOA से डोनाल्ड ट्रम्प ने नाता तोड़ लिया था। नए अमेरिकी राष्ट्रपति इन तीनों में फिर से अमेरिका को वापस लेकर जाएँगे।

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एंटोनी ब्लिंकन का मानना है कि जम्मू कश्मीर या अन्य मुद्दों पर, जिनमें दोनों देशों के बीच सहमति न हो, उस पर भारत जैसे देश से खुल कर बात की जा सकती है। चीन और पाकिस्तान में उनकी नियुक्ति को लेकर नाराजगी देखने को मिल सकती है। 58 वर्षीय एंटोनी ब्लिंकन ने याद किया था कि अमेरिका और भारत के रक्षा पार्टनर बनने के पीछे जो बायडेन का भी योगदान था।

उन्होंने ये भी कहा था कि न सिर्फ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, बल्कि अन्य वैश्विक संगठनों में भी भारत को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दिलाने के लिए प्रयास किया जाएगा। उन्होंने कहा था कि जिस तरह सीमा से लेकर आर्थिक मोर्चों तक चीन आक्रामक होकर गलत तरीके से फायदा उठा रहा है, उससे हमें निपटना है। साथ ही वो आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति की भी वकालत करते रहे हैं और लोकतांत्रिक मूल्यों पर भारत को मुख्य पार्टनर बताते हैं।

उधर चीन की कम्युनिस्ट सरकार के एक सलाहकार का कहना है कि चीन को इस ग़लतफ़हमी को दूर कर लेना चाहिए कि जो बायडेन प्रशासन के अंतर्गत उसके अमेरिका के साथ रिश्ते अपने-आप सुधरने लगेंगे। उसने चेताया कि उनके अंतर्गत अमेरिका अब चीन के खिलाफ और ज्यादा सख्त रवैया अपना सकता है। उसका मानना है कि वो अच्छे और पुराने दिन अब चले गए हैं। SCMP के अनुसार, 40 साल पहले एक-दूसरे के देश में दूतावास स्थापित होने के बाद दोनों के रिश्ते सबसे बुरी स्थिति में हैं।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया