कैलाश पर्वत के इलाके में चीन कर रहा मिसाइलों की तैनाती, निर्माण कार्य भी हुआ पूरा: इंडिया टुडे की रिपोर्ट

कैलाश मानसरोवर (साभार: तिब्बत विस्टा)

चीन ने मानसरोवर कैलाश पर्वत के पास अपनी मिसाइलों को तैनात करने के लिए निर्माण कार्य पूरा कर लिया है। यह दावा इंडिया टुडे ने हालिया सैटेलाइट द्वारा ली गई तस्वीरों का हवाला देते हुए किया है।

रिपोर्ट का दावा है कि यह निर्माण कार्य इसी वर्ष अप्रैल में शुरू हुआ था, जिसे चीन ने भारत के क्षेत्रों को घेरने के लिहाज से प्रारंभ किया था। अब चीन हमारे उस क्षेत्र का भारी सैन्यकरण कर रहा है, जो बौद्धों और हिंदुओं दोनों के लिए आस्था की दृष्टि से महत्वपूर्ण है।

रिपोर्ट में हालिया सैटेलाइट तस्वीरों के आधार पर दावा किया गया है कि इलाके में सेना की मूवमेंट शुरू हो गई है। विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि तस्वीरों में तिरपाल के कवर में HQ-9 SAM (Surface To Air Missile – SAM) सिस्टम देखा जा रहा है।

साभार: इंडिया टुडे

इसके अलावा जिस पैटर्न के साथ इनकी तैनाती की जा रही है, वह चार से आठ SAB ट्रांसपोर्टर इरेक्टर लॉन्चर और तीन रडार कैंपों के साथ TELs के लिए कुल चार प्लेटफॉर्मों की ओर इशारा करता है।

ये मिसाइलें भारतीय सीमा से मात्र 90 किलोमीटर दूर तैनात की जाएँगी। ये मध्यम रेंज की मिसाइलें होंगी। इस साइट के जरिए चीन का उद्देश्य यह होगा कि यदि उन्हें आने वाले समय में इसकी जरूरत पड़े तो वह इसे जल्द से जल्द इस्तेमाल कर पाए।

रिपोर्ट्स के मुताबिक पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने यहाँ पहले तीर्थयात्रियों के बहाने एक छोटा सा अस्थाई रहवास जैसा निर्माण करवाया था और फिर तिब्बतियों के घरों को बुनियादी सुविधाओं के नाम पर अपने कब्जे में लेकर वहाँ होटल व अन्य सुविधाओं को खड़ा करके चकित कर दिया था।

इंडिया टुडे की रिपोर्ट यह भी बताती है कि पहले एक छोटे इलाके को ही वहाँ की पुलिस ने निष्क्रिय किया था। लेकिन अब इसके आस-पास बने कई घरों और होटलों पर पूर्ण रूप से उनका कब्जा दिखाया गया है।

सैटेलाइट से मिली तस्वीरों से इस बात का खुलासा भी होता है कि चीन मानसरोवर झील के किनारे HT-233 रडार सिस्टम लगा रहा है, जिससे मिसाइल का फायर सिस्टम काम करता है। इसके अलावा टाइप 305बी, टाइप 120, टाइप 305ए, वाईएलसी-20 और डीडब्ल्यूएल-002 रडार सिस्टम भी लगाए जा रहे हैं। ये सभी टारगेट्स को ट्रैक कर उन्हें खत्म करने में मदद करते हैं।

कैलाश मानसरोवर की महत्ता और चीन की चालाकी

कैलाश मानसरोवर को लेकर हिंदुओं में काफी आस्था है। लोग यहाँ तीर्थयात्रा के लिहाज से जाते हैं। इसकी पवित्रता का उल्लेख न केवल हिंदू ग्रंथों में है बल्कि बौद्ध ग्रंथों में भी इसका जिक्र है। पर अफसोस, चीन ने अब व्यापक स्तर पर सेना तैनात करके इसे युद्ध क्षेत्र बना दिया है।

बीते समय की बात करें तो इन इलाकों पर भारत का नियंत्रण हुआ करता था। लेकिन जब चीन ने तिब्बत पर कब्जा किया तो माउंट कैलाश वाला इलाका भी अपने हिस्से में ले लिया। अब चीन सड़कों को बंद करके उन क्षेत्रों तक पहुँचकर उन्हें नियंत्रित करने की कोशिश कर रहा है, जो लोगों को यहाँ तक पहुँचा सकते हैं। बता दें यहाँ तक जाने के लिए उत्तराखंड के पिथौरागढ़ के माध्यम से एक रास्ता खुला रहता है लेकिन पूरे वर्ष भर में इसे सबसे चुनौतीपूर्ण मार्ग माना जाता है।

गौरतलब है कि कैलाश-मानसरोवर जैसे धार्मिक स्थान को सैनिकों से घेर देना चीन की एक साजिश का हिस्सा है। वह लद्दाख वाले तनाव के बाद से ऐसा कर रहा है। चीन ने भारत द्वारा लिपुलेख में सड़क बनाए जाने के विरोध में भी इस साइट का निर्माण कराया है। जहाँ भारत ने 17 हजार फीट की ऊँचाई पर स्थित कैलाश मानसरोवर जाने के लिए लिपुलेख के पास 80 किलोमीटर लंबी सड़क बनवाई थी।

बता दें कि लिपुलेख को लेकर इस समय भारत और नेपाल के बीच तनाव चल रहा है। इसी तनाव का चीन फायदा उठाना चाहता है। वह नेपाल के साथ आकर भारत को परेशान करने की कोशिश कर रहा है।

बीते दिनों ऐसी ही नापाक हरकतों के कारण गलवान घाटी में सैनिकों के बीच झड़प हुई थी। भारत ने उस झड़प में अपने 20 सैनिकों को खोया था और चीन ने आधिकारिक तौर पर अपने हताहत सैनिकों का आँकड़ा ही नहीं बताया था। इसके बाद भारत ने चीन के ख़िलाफ़ सख्त कदम उठाते हुए सुरक्षा कारणों से उनकी कुछ ऐप्स को बैन कर दिया था। त्योहारों में भी बाजार में चीनी माल की बिक्री पर इसका असर देखने को मिला ।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया