दुनिया को तबाह करना चाहता था चीन: डॉक्टर ने खोली पोल तो मिली जान से मारने की धमकी, अब हैं लापता

डॉक्टर आई फेन ने खोली चीन की पोल (फोटो साभार: रेनवू मैगजीन )

चीन के वुहान सेंट्रल हॉस्पिटल में इमरजेंसी डिपार्टमेंट की निदेशक आई फेन कोरोना वायरस महामारी से निपटने में चीनी अधिकारियों की आलोचना के बाद गायब हो गई हैं। वह पहली इंसान थीं, जिन्होंने इस महामारी की तरफ आगाह किया था। फिलहाल आई फेन कहाँ है, किसी को भी इसके बारे में पता नहीं है। उन्होंने दिसंबर में ही अपने सहयोगियों और वरिष्ठ डॉक्टरों को इस वायरस को लेकर सचेत किया था, लेकिन उन्हें फटकार लगा दी गई और इस बारे मेंं कुछ भी बोलने से मना कर दिया।

मगर अब जब इतने लोगों की मौत हो चुकी है तो आई फेन चुप न रह सकीं और एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने चीन के सरकारी तंत्र का खुलासा करते हुए अधिकारियों की कड़ी आलोचना की है। दो हफ्ते पहले ही आई फेन ने चीन की मौगजीन रेनवू से बातचीत में चीनी सरकार की पोल-पट्टी खोली थी। अब चीनी सरकार इंटरनेट पर से उस वीडियो को हटाने के लिए काफी जद्दोजहद कर रही है।

इंटरव्यू में डॉ फेन ने कहा, “अगर मुझे यह पता होता कि यह विषाणु इतने लोगों की जान ले लेगा तो मैं चुप नहीं बैठती। मैं पूरी दुनिया में ये बात सभी को बताती। जिस भी माध्यम से कह पाती मैं ये जानकारी सभी को देती। फिर चाहे मुझे कोई जेल में ही क्यों न डाल देता। मैं किसी चीज की परवाह नहीं करती।”

डॉ फेन के मुताबिक, 30 दिसंबर को प्रयोगशाला में पता चला कि यह विषाणु ‘SARS Coronavirus’ जैसा है। डॉ फेन ने रिपोर्ट की तस्वीर लेकर अपने वरिष्ठों और सरकारी अधिकारियों को भेजी। शाम तक यह तस्वीर वुहान के सभी डॉक्टरों के पास पहुँच गई। डॉक्टर ली वेनलियांग ने इसे सोशल मीडिया पर डालकर दुनिया भर को बताया कि नया कोरोना विषाणु फैल रहा है। उसी रात में अस्पताल प्रबंधन का मैसेज आया कि डॉक्टर फेन आप इस बीमारी के बारे में किसी को नहीं बताएँगी। फिर दो दिन बाद उन्हें अस्पताल के अनुशासनात्मक निरीक्षण समिति के प्रमुख ने बुलाकर ‘अफवाह फैलाने’ के लिए फटकार लगाई और साथ ही धमकी दी कि अगर उन्होंने इसके बारे में किसी को बताया तो अंजाम बहुत बुरा होगा। इसके बाद स्टाफ को वायरस से संबंधित किसी भी फोटो या मैसेज को शेयर करने से मना किया गया था।

डॉ फेन ने सभी सरकारी अधिकारियों को बताने की कोशिश की, लेकिन उनकी बात किसी ने नहीं सुनी। उन्होंने कहा, मुझे पता था कि इसका प्रसार एक संक्रमित इंसान के संपर्क में आने से दूसरे को होगा। चीनी अधिकारियों के इसके पुष्टि करने के एक दिन बाद ही 21 जनवरी को इमरजेंसी विभाग में आने वाले मरीजों की संख्या पहले ही दिन में 1,523 तक पहुँच गई थी, जो कि सामान्य दिनों की तुलना में तीन गुना ज्यादा थी।

आगे चीनी डॉक्टर ने कहा कि वो दिन कभी नहीं भूल सकती जब एक पिता को उनके 32 वर्षीय बीमार बेटे की मौत के बाद डॉक्टर उनको डेथ सर्टिफिकेट दे रहे थे, और वह टकटकी लगाए डॉक्टरों को देख रहे थे। इसी तरह एक बुजुर्ग पिता तो इतने बीमार थे कि वो कार से ही नहीं निकल पाए, जब तक वो वहाँ पर गई बुजुर्ग की मौत हो चुकी थी।

बता दें कि डॉ आई फेन से पहले वुहान सेंट्रल हॉस्पिटल के डॉक्टर ली वेनलियांग ने भी कोरोना वायरस के बारे में चीनी सरकार पर आरोप लगाए थे। उन्हें भी चीनी अधिकारियों ने धमकी दी थी कि वे इस बात का जिक्र किसी से भी न करें। हालाँकि, बाद में डॉक्टर ली की कोरोना वायरस से मौत हो गई। मगर उनकी मृत्यु पर उनके कुछ करीबी लोगों ने शंका जताई है। उनके अनुसार ये प्राकृतिक मौत नहीं बल्कि हत्या है। डॉक्टर ली वेनलियांग की मौत के बाद चीनी अधिकारियों ने उनके परिवार के लिए माफीनामा जारी किया, जिसमें उनके जीवित रहने के दौरान उनके साथ किए गए व्यवहार के लिए माफी माँगी गई थी।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया