चीन से अपनी गन्दी होती नदियों को बचाने के लिए POK में लोगों ने निकाली मशाल रैली: हुआ भारी विरोध प्रदर्शन

नीलम झेलम नदी को बचाने के लिए pok नागरिकों का विरोध (साभार: india.com)

कोरोना वायरस के समय में एक ओर जहाँ चीन और पाकिस्तान की दोस्ती और गहरी हुई है। वहीं, पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में स्थानीय लोगों के बीच चीन के ख़िलाफ़ रोष बढ़ता ही जा रहा है।

खबरों की मानें तो नीलम-झेलम नदी पर बाँध निर्माण के विरोध में पीओके के मुजफ्फराबाद शहर में लोगों ने बुधवार (अगस्त 12, 2020) को विशाल मशाल रैली निकाल कर अपना विरोध दर्ज कराया है। ये विरोध मुख्यत: चीनी कंपनियों के खिलाफ़ था जो वहाँ बाँध निर्माण करवाने का काम कर रहे हैं।

बता दें कि पीओके की जनता की ओर से निकाली गई इस रैली में शामिल प्रदर्शनकारियों ने नदियों को बचाने के लिए नारेबाजी भी की। एएनआई न्‍यूज एजेंसी के मुताबिक वहाँ, ”दरिया बचाओ, मुजफ्फराबाद बचाओ,’ ‘नीलम-झेलम बने, हम जिंदा फिर से करें’ ‘नीलम और झेलम नदियों को बहने दो, हमें जीने दो” जैसे नारे लगाए।

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पीओके के कार्यकर्ता डॉ अमजद मिर्जा ने नदी पर चीनी कंपनियों द्वारा बाँध निर्माण को पानी के प्राकृतिक संसाधनों के लिए खतरनाक बताया। उन्होंने कहा, “नीलम-झेलम नदी अब नाले जैसी बनती जा रही है। यह गंदगी से भरी हुई है। स्थानीय लोगों के पास पीने का पानी नहीं है।” 

उन्होंने कहा कि पानी को लेकर हमारे प्राकृतिक संसाधन CPEC (चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारा) की चपेट में आकर बर्बाद होते जा रहे हैं।

यहाँ बता दें कि हाल ही में, पाकिस्तान और चीन ने पीओके में आजाद पट्टन और कोहाला जलविद्युत परियोजनाओं के निर्माण के लिए समझौतों पर हस्ताक्षर किए थे। इस समझौते के अनुसार 1.54 बिलियन अमेरिकी डालर की इस परियोजना को चीन के जियोझाबा ग्रुप कंपनी (CGGC) द्वारा प्रायोजित किया जाएगा।

कोहाला हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर प्रोजेक्ट जो झेलम नदी पर बनाया जाएगा, पीओके के सुधनोटी जिले में आज़ाद पट्टन ब्रिज से लगभग 7 किमी ऊपर और पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद से 90 किमी दूर है।साल 2026 तक पूरा होने की उम्मीद वाला यह प्रोजेक्ट चाइना थ्री गोरजेस कॉर्पोरेशन, इंटरनेशनल फाइनेंस कॉर्पोरेशन (IFC) और सिल्क बैंक फंड द्वारा प्रायोजित किया जाएगा।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया