ISI के इशारे पर तालिबान में बनी सरकार: जिसे बनना था PM उसे किया दरकिनार, इस्लामाबाद के ‘दोस्त’ को मिला पद

तालिबान के सह-संस्थापक मुल्ला अब्दुल गनी बरादर (फाइल फोटो: The Guardian)

अफगानिस्तान में तालिबान द्वारा अंतरिम सरकार के गठन की घोषणा करने के कुछ दिनों बाद ही ब्लूमबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में बड़ा खुलासा किया है। रिपोर्ट के मुताबिक, मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद को पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई (ISI) के साथ बेहतर संबंधों के कारण कार्यवाहक प्रधानमंत्री चुना गया था।

वैश्विक मंच पर तालिबान के सह-संस्थापक मुल्ला अब्दुल गनी बरादर के कद और उसके विचारों को देखते हुए शुरुआत में उसे इस्लामिक अमीरात के कार्यवाहक प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त करने का अनुमान लगाया था। उसे दुनिया भर के चर्चित नेताओं के बीच स्थान प्राप्त है। हालाँकि, पाकिस्तान के इशारे पर तालिबान ने बरादर को उससे कमतर तालिब यानी मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद के लिए दरकिनार कर दिया और नंबर दो पर रखा। तालिबानी शासन ने उसे उप-प्रधानमंत्री का पद दिया।

ब्लूमबर्ग न्यूज के मुताबिक, हक्कानी नेटवर्क के लिए खतरा न होने के अलावा, मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद के इस्लामाबाद के साथ घनिष्ठ संबंध भी थे। हसन को तालिबान के दिग्गज नेता उर्फ मौलवी हैबतुल्ला अखुंदजादा ने नियुक्त किया था।

ब्लूमबर्ग न्यूज ने आगे बताया कि मुल्ला अब्दुल गनी बरादर पर काबुल के प्रेसिडेंशियल पैलेस में हक्कानी नेटवर्क के आतंकवादी खलील उल रहमान हक्कानी ने हमला भी किया था। यह घटना सितंबर की शुरुआत में अंतरिम कैबिनेट गठन पर चर्चा के दौरान हुई थी। कथित तौर पर, बरादर दुनिया को नए तालिबान का उदाहरण पेश करना चाहता था। इसके लिए वो जातीय अल्पसंख्यकों और गैर-तालिबों को भी अपनी कैबिनेट में शामिल करना चाहता था, लेकिन हक्कानी इस विचार से सहमत नहीं था, जिसके चलते बरादर पर हमला कर दिया। उस दौरान हाथापाई जल्द ही मारपीट में बदल गई थी। बॉडीगार्ड्स द्वारा की फायरिंग में कुछ लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे, जबकि कुछ लोगों की मौत हो गई थी।

बरादार पर हक्कानी नेटवर्क के आतंकी ने किया था हमला

ब्लूमबर्ग न्यूज ने बताया कि बरादार इस हमले में घायल नहीं हुआ था, वह मौलवी हैबतुल्ला अखुंदजादा से इस पर बात करने के लिए काबुल से कंधार गया था। हक्कानी नेटवर्क के अंतरिम कैबिनेट में चार सदस्य हैं, जिनमें एफबीआई का मोस्ट वांटेड आतंकवादी सिराजुद्दीन हक्कानी भी शामिल है। उसे इस्लामिक अमीरात का कार्यवाहक गृह मंत्री नियुक्त किया गया।

बरादर ने पाकिस्तान की जेल में 8 साल बिताए थे और पिछले साल डोनाल्ड ट्रम्प सरकार के निर्देश पर उसे रिहा किया गया था। बरादार के ‘उदारवादी विचारों’ ने इस्लामाबाद और हक्कानी नेटवर्क दोनों के लिए खतरा पैदा कर दिया था, जिस कारण उसे किनारे कर दिया गया।

मुल्ला बरादर ने तालिबान में आंतरिक कलह से किया इनकार

तालिबान के सह-संस्थापक और कार्यवाहक उप-प्रधानमंत्री मुल्ला अब्दुल गनी बरादर ने तालिबान के भीतर आंतरिक कलह होने का खंडन किया था। उसने इस बात से भी इनकार किया था कि वह काबुल में राष्ट्रपति भवन में हुए एक संघर्ष में घायल हुआ था। बरादर ने अफगान राष्ट्रीय टीवी के साथ एक इंटरव्यू में पिछले हफ्ते काबुल में राष्ट्रपति भवन में हुए विवाद में घायल होने या यहाँ तक ​​कि मारे जाने की अफवाहों का खंडन करते हुए कहा था, ”नहीं, यह बिल्कुल भी सच नहीं है। अल्लाह का शुक्रिया अदा करो मैं पूरी तरह से ठीक हूँ।”

गौरतलब है कि 7 सितंबर को अफगानिस्तान में तालिबान ने अपनी अंतरिम सरकार का गठन किया था। उन्होंने काउंसिल का हेड व प्रधानमंत्री मुल्ला हसन अखुंद को नियुक्त किया था, जबकि अब्दुल गनी बरादर को देश का डिप्टी पीएम बनाया था। वहीं, मुल्ला याकूब को रक्षा मंत्री और अल्हाज मुल्ला फजल को मिलिट्री चीफ बनाने का फैसला लिया गया था।।

इसके अलावा काबुल के एक होटल में 2008 में हुए आतंकी हमले में मोस्ट वॉन्टेड रहे सिराजुद्दीन हक्कानी को गृह मंत्री का पद दिया गया। सिराजुद्दीन हक्कानी एक ग्लोबल आतंकी है। वह भारतीय दूतावास पर हुए हमले में भी शामिल रहा है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने सिराजुद्दीन हक्कानी की जानकारी देने पर 50 लाख अमेरिकी डॉलर का ऐलान किया था। उसके संबंध अल कायदा से भी रहे हैं। उसने पाकिस्तान में रहते हुए अफगानिस्तान में कई हमले करवाए थे। उसने अमेरिकी व नाटो सेनाओं को भी निशाना बनाया था। साल 2008 में हामिद करजई की हत्या की साजिश रचने के मामले में भी सिराजुद्दीन हक्कानी शामिल था।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया