नेपाल में चीन पैंतरे नाकाम, कम्युनिस्ट पार्टी ने कार्यकारी PM ओली को पार्टी से निकाला

केपी शर्मा ओली (फाइल फोटो)

नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी की आंतरिक लड़ाई रोकने की चीन की तमाम कोशिशें नाकाम हो गई हैं। कार्यकारी प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को पार्टी से निकाल कर उनकी सदस्यता रद्द कर दी गई है। ओली पर चीनी इशारे पर सरकार चलाने के आरोप लगते रहे हैं।

ओली को निकलने का फैसला पार्टी की सेंट्रल कमेटी की मीटिंग में लिया गया है। प्रवक्ता नारायण काजी श्रेष्ठ ने ANI से इसकी पुष्टि करते हुए कहा, “उनकी सदस्यता रद्द कर दी गई है।”

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हिमालयन टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ओली की सदस्यता खत्म करने का फैसला पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल उर्फ प्रचंड और माधव कुमार नेपाल की कमेटी ने किया। रविवार (जनवरी 24, 2021) को पार्टी की स्टैंडिंग कमेटी की बैठक में इस पर मुहर भी लगा दी गई। पार्टी में ओली के हालिया फैसलों को लेकर काफी नाराजगी थी। उनसे सफाई माँगी गई, लेकिन वे कमेटी के सामने पेश ही नहीं हुए। नेपाल में इसी साल मार्च से अप्रैल के बीच नए चुनाव हो सकते हैं।

कम्युनिस्ट पार्टी के प्रवक्ता नारायण काजी श्रेष्ठ का के अनुसार, ओली को पार्टी की बैठक में आने का प्रस्ताव दिया गया था, लेकिन ओली ने पार्टी मीटिंग में हिस्सा लेने से इनकार करते हुए पार्टी के विभाजन की धमकी दे डाली थी

ओली जिस तरीके से सरकार चला रहे थे उसका पार्टी का एक गुट लंबे समय से विरोध कर रहा था। इस गुट के नेताओं का कहना था कि ओली पूरी तरह से नाकाम साबित हो चुके हैं और अपनी नाकामी छुपाने के लिए भारत विरोधी बातें कर रहे हैं। जो नेता ओली का विरोध कर रहे थे उनमें नेपाल के तीन पूर्व प्रधानमंत्री, पुष्प कमल दहल, माधव कुमार नेपाल और झाला नाथ खनाल भी शामिल थे।

इनमें पुष्प कमल दहल, जो प्रचंड के नाम से मशहूर हैं, वे पार्टी के सह अध्यक्ष भी हैं। पिछले वर्ष प्रचंड और ओली के बीच का विवाद काफी बढ़ गया था। उस  वक्त पार्टी के नेताओं का सामना करने से केपी ओली बच रहे थे, क्योंकि उन्हें पता था कि स्थाई समिति के 45 में से 30 सदस्य उनके खिलाफ हैं। 

बता दें कि जब से ओली ने 275 सदस्यों वाली संसद को भंग किया है, उन्हें पहले ही पार्टी की सेंट्रल कमिटी के चेयरमैन पद से हटाया जा चुका था, लेकिन वह इसके सदस्य बने हुए थे। बता दें कि पीएम ओली की सिफारिश पर संसद भंग करने के बाद नेपाली राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी वहां 30 अप्रैल और 10 मई को ताजा चुनाव करवाने की घोषणा भी कर चुकी हैं। इस बीच नेपाली संसद को भंग करने का मामला नेपाली सुप्रीम कोर्ट के पास भी विचाराधीन है। ओली की इस कार्रवाई को उनका विरोधी खेमा असंवैधानिक बता रहा है।

कम्युनिस्ट पार्टी का विवाद समाप्त करने के लिए चीन काफी सक्रिय था। उसके एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने नेपाल आकर शीर्ष नेताओं से बात की थी, लेकिन वे भी सहमति बनाने में नाकाम रहे थे।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया