नॉर्वे के ट्रोंडहेम में इस्लामिक कट्टरपंथी का चेहरा पर्दाफाश हुआ है। जहाँ चार मुस्लिम युवकों ने एक ईसाई मार्ग-उपदेशक (स्ट्रीट प्रीचर) के साथ पहले मारपीट की, उन्हें लूटा और फिर उनके आगे विकल्प रखा कि या तो वो इस्लाम कबूल कर लें, नहीं तो वे उन्हें जान से मार देंगे। पीड़ित की पहचान रोर फ्लॉटम के रूप में हुई है और घटना 28 नवंबर की है।
बार्नाबस फंड की रिपोर्ट के अनुसार रोर ने बताया कि वे लगातार घूम-घूमकर लोगों को धार्मिक उपदेश देते हैं। साथ ही बीमार लोगों के लिए सड़कों पर प्रार्थना भी करते हैं। लेकिन, 28 नवंबर को उनकी मुलाकात चार लोगों से हुई, जो चाहते थे कि फ्लॉटम उनके घायल दोस्त के लिए प्रार्थना करें।
हालाँकि, पहले इन लोगों ने रोर से कहा कि उनके दोस्त के पाँव में चोट आई है, जो एंबुलेंस का इंतजार कर रहा है। लेकिन बाद में इन्होंने फ्लॉटम को सीढ़ी से नीचे ढकेल दिया। उनसे मारपीट की। उनका मोबाइल फोन, बैंक कार्ड छीन लिया। उनके बैंक अकॉउंट से 10,000 क्रोना (1000$) निकाले और उन्हें बंधक बना लिया। इसके बाद अपहरणकर्ताओं ने धर्म उपदेशक पर दबाव बनाया कि वे अरबी शब्दों को उनके पीछे दोहराएँ। दरअसल, वे चाहते थे कि रोर इस्लाम कबूल कर लें।
फ्लॉटम के अनुसार, “वे चारों लोग चाहते थे कि मैं अरेबिक में वो शब्द बोलूँ। मैं डर गया था और मेरे मन में ख्याल आ रहा था कि वे मुझे मार देंगे क्योंकि उन्होंने कहा था कि उनके पास चाकू है और उन्हें कोई गवाह नहीं चाहिए।”
Norway: Muslim Men Abduct, Assault, Rob Street Preacher; Threaten To Kill If He Doesn’t Convert To Islamhttps://t.co/sHhvStvA5T
— Swarajya (@SwarajyaMag) January 10, 2020
गौरतलब है कि ये पूरा मामला लगभग डेढ़ महीने पुराना हो चुका है। इसपर जाँच अभी भी चल रही है। लेकिन फिलहाल अभी तक इसमें कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है।
फ्लॉटम आज भी काफी इस घटना पर यकीन नहीं कर पाते कि उनके साथ ऐसा कुछ हुआ। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक उनका कहना है कि वे बतौर उपदेशक दोबारा सड़कों पर निकलकर अपना कार्य करने पर विचार कर रहे हैं।
उनका कहना है, “मैं सड़कों पर बहुत निकलता हूँ, लेकिन ऐसा मैंने कभी महसूस नहीं किया था। मेरे लिए वो दिन अभी भी कल जैसा है। इस घटना के बाद मैं बहुत आघात हूँ। लेकिन मुझे नहीं लगता कि ये घटना मुझे मेरा काम करने से रोकेगी। मैं सिर्फ़ लोगों को ईश्वर के प्रेम के बारे में बताता हूँ।” बता दें कि नॉर्वे में 5.7 प्रतिशत जनता मुस्लिम की है। जिनमें सुन्नी समुदाय के मुस्लिम बहुसंख्यक हैं और शिया मुस्लिम अल्पसंख्यक।