Apps-आतंक-Pak-अफगानिस्तान… QUAD में ऐसे घिर रहा चीन, बौखलाहट में उठा रहा गलवान का मुद्दा

QUAD बैठक में शामिल हुए नेता (फोटो साभार: PM मोदी ट्वीट)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार (सितंबर 24, 2021) को क्वाड (QUAD) देशों की बैठक में शामिल हुए। प्रधानमंत्री मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन की मुलाकात चीन और पाकिस्तान दोनों के लिए स्पष्ट संदेश है। साथ ही आने वाले दिनों में भारत की हिंद प्रशांत क्षेत्र में बड़ी भूमिका का संकेत भी। बाइडेन से मुलाकात के पहले उपराष्ट्रपति कमला हैरिस से मुलाकात में पीएम मोदी की यात्रा की दिशा और परिणाम की पटकथा लिख दी गई। विदेश सचिव ने बताया कि आतंकवाद पर उपराष्ट्रपति हैरिस ने स्वतः स्फूर्त कड़ा संदेश पाकिस्तान को दिया। यह दर्शाता है कि अफगानिस्तान के ताजा हालात और तालिबानी शासन के बाद पैदा हुए खतरों के प्रति भारत और अमेरिका की चिंता समान है।

क्वाड (QUAD) बैठक में पाकिस्तान को आतंकवाद और कट्टरपंथ पर कठोर संदेश तो मिला ही है, साथ ही अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान के नेतृत्व के साथ पीएम मोदी की चीन से उपजे खतरों पर विस्तृत चर्चा हुई है। खासतौर पर हिन्द प्रशांत क्षेत्र और दक्षिण चीन सागर में चीन के मनमाने रवैये पर इन देशो की चिंता समान है। ऑकस (AUKUS: Security pact between Australia, United Kingdom and United States) संबंधित आशंकाओं को भी द्विपक्षीय बैठकों में दूर किया गया। बैठक में भारत ने चीनी ऐप्स का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने क्लीन ऐप मूवमेंट (CLEAN APP MOVEMENT) पर जोर दिया। गौरतलब है कि भारत में कई चीनी एप्स बैन हैं।

बैठक में अमेरिकी नेतृत्व ने भी चीन के खतरों की ओर इशारा किया है और भरोसा दिया कि वो इससे निपटने के लिए भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं। आने वाले दिनों में क्वाड और ऑकस की भूमिका भी इस संदर्भ में बढ़ेगी। द्विपक्षीय बातचीत में इंडो पैसिफि‍क का जिक्र कर बाइडेन ने चीन को साफ संदेश देने की कोशिश की है कि वो समंदर में दादागीरी करना बंद करे। वहीं अफगानिस्‍तान के पूरे प्रकरण में अमेरिका की छवि को जिस तरह धक्‍का लगा, अब वो उसके लिए पाकिस्‍तान को जिम्‍मेदार मान रहा है। भारत के लिए भी पाकिस्‍तान प्रायोजित आतंकवाद चुनौती बना हुआ है। 

भारत ने ये भी बताया है कि कैसे तालिबान को चीन और पाकिस्तान का साथ मिल रहा है, उससे भारत के लिए ही नहीं दुनिया की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। अमेरिका ने भी भारत के इस रुख को स्वीकार किया है। दोनों पक्षों ने अफगानिस्‍तान में आतंकवाद से लड़ने पर जोर दिया। दोनों ने कहा कि तालिबान अपने उस वादे पर कायम रहे जिसमें कहा गया है कि अफगानिस्‍तान की जमीन का इस्‍तेमाल आतंकवाद के लिए नहीं होगा। ये भी कहा गया कि तालिबान अफगानिस्‍तान में महिलाओं, बच्‍चों और अल्‍पसंख्‍यकों के मानवाधिकारों का सम्‍मान करेगा, मानवीय मदद पहुँचने देगा। दोनों पक्ष इसके लिए सियासी बातचीत करेंगे। 

भारत ने आतंकी संगठनों को मिल रहे पाकिस्तान के सहयोगी और अफगानिस्तान में पाकिस्तान की भूमिका का भी मुद्दा उठाया और दोनों देश इस बात पर सहमत हुए हैं कि अफगानिस्तान की धरती से आतंकवाद का इस्तेमाल किसी दूसरे देश के लिए न किया जाए। इसके अलावा दोनों देश इस बात पर भी सहमत हुए हैं अफगानिस्तान के आतंकी संगठनों को पड़ोसी देशों से मिल रही आर्थिक मदद को भी रोका जाए।

चीन को लेकर अमेरिकी प्रशासन और भारत की सोच एक जैसी दिख रही है। एक तरफ वो आगे बढ़कर किसी लड़ाई में उलझना नहीं चाहता लेकिन उसकी तरफ आँख उठाने पर वो जवाबी कार्रवाई के लिए तैयार है। बाइडेन ने भी माना कि महात्‍मा गाँधी के दर्शन की इस समय दुनिया को सबसे ज्यादा जरूरत है। पिछले दो वर्षों में दुनिया बहुत बदल गई है, कोरोना से जंग हो या आतंकवाद से, अमेरिका और भारत दोनों को एक-दूसरे की पहले से ज्यादा जरूरत है, यही वजह है कि ये रिश्‍ता और मजबूत होने वाला है। 

इधर चीन एक बार फिर भारतीय सीमा पर अपनी बौखलाहट दिखा रहा है। चीन की तरफ से ताजा बयान में कहा गया है कि गलवान घाटी में संघर्ष इसलिए हुआ क्योंकि भारत ने चीन के क्षेत्र का अतिक्रमण किया और सभी समझौतों का उल्लंघन किया। चीन के इस बयान को खारिज करते हुए भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि चीनी कार्रवाई से द्विपक्षीय संबंधों पर असर पड़ा है।

उन्होंने कहा कि हमारे सभी द्विपक्षीय समझौतों के उलट यथास्थिति को बदलने के चीनी पक्ष के एकतरफा प्रयासों एवं भड़काऊ व्यवहार के कारण शांति एवं स्थिरता में बाधा आई। इससे द्विपक्षीय संबंधों पर भी असर पड़ा है।

बता दें कि गलवान घाटी में पिछले वर्ष जून में चीनी सैनिकों के साथ भीषण झड़प में भारतीय सेना के 20 जवान वीरगति को प्राप्त हो गए थे, जो दशकों बाद दोनों पक्षों के बीच गंभीर सैन्य झड़प थी। चीन ने फरवरी में आधिकारिक रूप से स्वीकार किया था कि भारतीय सेना के साथ संघर्ष में उसके पाँच अधिकारी मारे गए, जबकि माना जाता है कि मरने वाले चीनी सैनिकों की संख्या काफी अधिक थी।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया