पाकिस्तान के सिंध के घोटकी इलाके में पिछले साल दो हिंदू बहनों के अपहरण की खबर मीडिया में सामने आई थी। बताया गया था कि इन दोनों बहनों का धर्म परिवर्तन करवा कर इनका निकाह उम्र में बड़े दूसरे समुदाय के युवकों से करवा दिया गया और अर्जी में लिखवाया गया कि इन्होंने खुद इस्लाम से प्रभावित होकर अपना धर्म बदला है। मामला जब इस्लामाबाद हाईकोर्ट में पहुँचा तो अदालत ने भी लड़कियों को उनके शौहरों के साथ रहने का निर्देश दिया।
अब इस मामले के करीब डेढ़ साल बीत जाने के बाद वॉयस ऑफ पाकिस्तान माइनॉरिटी ने इसे दोबारा उठाया है। उन्होंने उस मजलूम पिता की वीडियो साझा की है, जिसे पिछले साल प्रशासन से उसकी बेटियों के लिए इंसाफ की जगह सिर्फ़ निराशा हाथ लगी। वीडियो में वह पुलिस थाने के बाहर अपने लिए इंसाफ माँग रहे हैं। जानकारी के मुताबिक, यह वीडियो पिछले साल की है।
वीडियो को लेकर ट्विटर अकॉउंट से दावा किया जा रहा है कि अपने साथ हुई नाइंसाफी से नाराज रीना-रवीना के पिता ने पुलिस स्टेशन के बाहर खुद पर पेट्रोल डालने की कोशिश की। मगर, प्रशासन ने उनकी सुनवाई करने की बजाय लड़कियों को उनके नए पतियों के साथ रहने के निर्देश दे दिए।
He is d father of Reena & Raveena Meghwar, two #Hindu sisters who were converted to Islam forcibly. He tried to pour petrol on himself in front of d police station. Instead of doing justice to him, d state ordered the girls live with their new husbands.#StopConvertingMinorities. pic.twitter.com/329GgO6P1f
— Voice of Pakistan Minority (@voice_minority) September 10, 2020
गौरतलब है कि 20 मार्च को, होली की पूर्व संध्या पर दो नाबालिग हिंदू लड़कियों, 13 वर्षीय रवीना और 15 वर्षीय रीना का अपहरण करके उन्हें पाकिस्तान के सिंध प्रांत में अपने उम्र से बहुत बड़े पुरुषों से जबरन निकाह करने के लिए मजबूर किया गया था। इसके बाद खबर आई थी कि मेघवार समुदाय की एक अन्य हिंदू नाबालिग लड़की को भी पाकिस्तान के सिंध प्रांत में बाडिन ज़िले के टांडो बाघो से कथित तौर पर अगवा कर लिया गया था।
इन घटनाओं को गंभीरता से लेते हुए पूर्व केंद्रीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने पाकिस्तान स्थित भारतीय उच्चायोग से रिपोर्ट माँगी थी। पाकिस्तान के सिंध में होली की शाम हुई इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना को लेकर गंभीर सुषमा स्वराज ने ट्वीट करते हुए भारतीय उच्चायोग को टैग किया था और इस सम्बन्ध में एक रिपोर्ट देने का निर्देश दिया था। इसके बाद इस मामले में 7 लोगों की गिरफ़्तारी भी हुई थी।
हालाँकि, बाद में पता चला कि इस्लामाबाद हाईकोर्ट में दोनों बहनों को अपने मुस्लिम पतियों सफ़दर अली और बरक़त अली के साथ रहने का आदेश दिया है। इस्लामाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश अथर मिनल्लाह की अगुवाई वाली एक उच्च न्यायालय की पीठ ने पाँच सदस्यीय आयोग की रिपोर्ट पेश करने के बाद यह निर्णय लिया था, जिसमें यह जाँच करने का काम सौंपा गया था कि क्या हिंदू बहनों का इस्लाम में धर्मांतरण मजबूर किया गया था।