पिछले दिनों पाकिस्तान से एक वीडियो सामने आया था। इसमें खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में ‘अल्लाह हू अकबर’ चिल्लाती मुस्लिमों की भीड़ हिंदू मंदिर को आग के हवाले करती नजर आ रही थी। अब एक खौफनाक तस्वीर सामने आई है जिससे पता चलता है कि वहाँ अल्पसंख्यकों को कितने भयावह तरीकों से प्रताड़ित किया जा रहा है।
ताजा मामले में सिंध प्रांत में एक पुलिस अधिकारी के कमरे में दो हिंदू फंदे से लटके मिले। आरोप है कि हत्या से पहले दोनों को टॉर्चर भी किया गया।
#Breaking | 2 girls found hanging inside a police officer’s room in Pakistan’s Sindh.
— TIMES NOW (@TimesNow) January 1, 2021
Pradeep Dutta with details. pic.twitter.com/mH9nlMVhQ5
रिपोर्टों के अनुसार बबीता मेघवार और उसके रिश्तेदार डोंगार मेघवार की लाश सिंध के थारपारकर स्थित मिठी में एएसआई गुल मोहम्मद के कमरे में मिली। पाकिस्तानी मानवाधिकार कार्यकर्ता और वकील राहत ऑस्टिन के अनुसार बबीता, डोंगार की साली थी और दोनों को हत्या से पहले बुरी तरह प्रताड़ित किया गया।
यह घटना ऐसे वक्त में सामने आई है जब एसोसिएटेड प्रेस ने एक रिपोर्ट में बताया था कि पाकिस्तान में इस्लाम के नाम पर हर साल 1000 से ज्यादा लड़कियों को अगवा कर उनका रेप किया जाता है। उनका धर्मांतरण कराया जाता है। इनमें से ज्यादातर लड़कियॉं हिंदू होती हैं। रिपोर्ट के अनुसार 12 से 25 साल की ईसाई, सिख और हिंदू महिलाओं का अपहरण, बलात्कार किया गया और उन्हें निकाह कर इस्लाम अपनाने के लिए मजबूर किया गया। ऐसे पीड़ितों के परिवारों के सीमित आर्थिक साधनों के कारण कई मामले तो सामने ही नहीं आ पाते हैं और उनकी रिपोर्ट ही नहीं लिखवाई जाती।
लड़कियों को ज्यादातर उनके ही परिचितों और रिश्तेदारों द्वारा या बड़े पुरुषों द्वारा दुल्हन की तलाश में अपहरण किया जाता है। कभी-कभी ऐसा भी होता है कि लड़कियों के माता-पिता जमींदारों या साहूकारों से ऋण लेते हैं, लेकिन उसे चुका नहीं पाते हैं, जिसके बाद जमींदार ऋण के भुगतान के रुप में जबरन उनकी लड़कियों को अपने कब्जे में ले लेता है।
पुलिस भी इस मामले में सताए हुए अल्पसंख्यकों की मदद न के बराबर ही करती है। पाकिस्तान के स्वतंत्र मानवाधिकार आयोग के अनुसार, एक बार इस्लाम में परिवर्तित हो जाने के बाद, लड़कियों की शादी अक्सर उम्रदराज पुरुषों या उनके अपहरणकर्ताओं से जल्दी से कर दी जाती है।
पाकिस्तान के 220 मिलियन लोगों में से 3.6 प्रतिशत अल्पसंख्यक हैं, जो अक्सर भेदभाव का शिकार होते रहते हैं। उचित जाँच का अभाव, अभियुक्तों का अभियोजन और अगवा किए गए पीड़ितों को उनके अभिभावकों के साथ पुनर्मिलन के अधिकार से वंचित करना इस्लामी शिकारियों के लिए अल्पसंख्यकों को निशाना बनाना और आसान बना देता है। ऐसे मामलों में प्रशासन से लेकर अदालतों तक का रवैया आरोपितों के पक्ष में झुका नजर आता है।
इसके अलावा अल्पसंख्यकों के धार्मिक स्थलों को भी आए दिन निशाना बनाया जाता है। खैबर पख्तूनख्वा में मंदिर जलाए जाने से पहले भीमपुरा कराची में हिंदुओं के प्राचीन मंदिर पर हमला किया गया था। नवंबर की उस घटना में मंदिर के हिंदू देवी-देवताओं को निकाल कर बाहर फेंक दिया गया था। इसके साथ ही देवी-देवता से संबंधित सामानों को भी फेंक दिया गया था।