Saturday, November 23, 2024
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BJP कार्यकर्ता की हत्या में कॉन्ग्रेस MLA विनय कुलकर्णी की संलिप्तता के सबूत: कर्नाटक हाई कोर्ट ने 3 महीने के भीतर सुनवाई का दिया आदेश

कॉन्ग्रेस विधायक विनय कुलकर्णी को साल 2020 में सीबीआई ने गिरफ्तार किया था। इसके बाद उनके खिलाफ आरोप पत्र दायर किया गया और ट्रायल कोर्ट ने दिसंबर 2023 में उनके खिलाफ आरोप तय किए। कुलकर्णी ने इस आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी और कहा कि उन्हें हत्या से जोड़ने के लिए रिकॉर्ड पर कोई सामग्री नहीं है। इसलिए, उनके खिलाफ कोई आरोप तय नहीं किया जा सकता।

कर्नाटक हाई कोर्ट ने भाजपा कार्यकर्ता योगेश गौदर की हत्या के मामले में कॉन्ग्रेस विधायक विनय कुलकर्णी के खिलाफ आरोप तय करने के आदेश को चुनौती देने वाली उनकी याचिका खारिज कर दी। हाई कोर्ट ने उनके खिलाफ दर्ज मामले को रद्द करने से भी इनकार कर दिया है। यानी कॉन्ग्रेस विधायक के खिलाफ मामला चलेगा।

न्यायमूर्ति कृष्ण एस दीक्षित ने कहा कि साल 2016 में विनय कुलकर्णी मंत्री थे। अप्रैल 2016 में आयोजित एक पंचायत बैठक में विवाद के बाद उन्होंने अपने करीबियों एवं अन्य आरोपियों के साथ भाजपा कार्यकर्ता योगेश गौदर की हत्या की साजिश रची थी। अदालत ने लंबी सुनवाई पर टिप्पणी किया कि कुलकर्णी सहित अन्य आरोपित 2016 में हुई घटना के बाद से कई बार अदालतों का रुख कर चुके हैं।

कोर्ट ने कहा, “वर्षों बीत गए, लेकिन एक पत्ता भी नहीं हिला। लंबे समय तक चलने वाला आपराधिक मामला आपराधिक न्याय प्रशासन के हित में प्रतिकूल होगा। प्रत्येक मामले, विशेष रूप से इस तरह के मामले में ‘स्मृति धुंधली होने से पहले’ उसका निपटारा किया जाना चाहिए। इसलिए, मेरा मानना है कि इस मामले की सुनवाई युद्धस्तर पर होनी चाहिए।”

बता दें कि धारवाड़ जिला पंचायत के निर्वाचित सदस्य योगेश गौदर की जून 2016 में उनके जिम में हत्या कर दी गई थी। इस मामले की शुरुआत में कर्नाटक पुलिस ने जाँच की थी और छह लोगों को गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद भाजपा सरकार ने साल 2019 में मामले को सीबीआई को स्थानांतरित कर दिया था।

कॉन्ग्रेस विधायक विनय कुलकर्णी को साल 2020 में सीबीआई ने गिरफ्तार किया था। इसके बाद उनके खिलाफ आरोप पत्र दायर किया गया और ट्रायल कोर्ट ने दिसंबर 2023 में उनके खिलाफ आरोप तय किए। कुलकर्णी ने इस आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी और कहा कि उन्हें हत्या से जोड़ने के लिए रिकॉर्ड पर कोई सामग्री नहीं है। इसलिए, उनके खिलाफ कोई आरोप तय नहीं किया जा सकता।

हालाँकि, सीबीआई की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने तर्क दिया कि कुलकर्णी के खिलाफ मामला परिस्थितिजन्य साक्ष्य और कई गवाहों द्वारा दिए गए बयानों पर आधारित है। उन्होंने यह भी दलील दी कि ट्रायल कोर्ट के समक्ष दायर किए गए दस्तावेज़ अभियोजन पक्ष के मामले को पर्याप्त विश्वसनीयता प्रदान करते हैं।

अदालत अभियोजन पक्ष के इस तर्क से सहमत हुई कि अपराध करने से पहले और बाद में आरोपित के आचरण से उसकी संलिप्तता का पता लगाया जा सकता है। अदालत ने यह भी कहा कि कुछ अभियुक्त गौदर की हत्या से कुछ दिन पहले कुलकर्णी द्वारा व्यवस्था किए गए स्थान पर रुके थे। इतना ही नहीं, हत्या से पहले आरोपियों और कुलकर्णी के बीच फोन पर बात भी हुई थी।

इसके बाद कोर्ट ने इस तथ्य को खारिज कर दिया कि विनय कुलकर्णी को शस्त्र अधिनियम के तहत दंडनीय किसी भी अपराध से जोड़ने के लिए कोई सामग्री नहीं थी। इस दलील के संबंध में कि कुलकर्णी को कुछ दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए गए थे, जो आरोपपत्र का हिस्सा हैं, अदालत ने ट्रायल कोर्ट के आदेश पत्र का हवाला दिया जिसमें दर्ज किया गया था कि आरोपपत्र की प्रति उनके वकील को प्राप्त हुई थी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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