महाराष्ट्र में पहली बार शिवसेना ने कॉन्ग्रेस और NCP के साथ मिलकर सरकार बनाई। जब से ये बेमेल सरकार बनी है, तब से सभी दलों में किसी न किसी मसले पर आपसी तकरार देखने को मिलती रहती है। बड़ी मुश्किल में कॉन्ग्रेस और एनसीपी में विभागों का बँटवारा हो पाया। इसके अलावा नागरिकता संशोधन कानून पर शरद पवार और कॉन्ग्रेस की विचारधारा से विपरीत उद्धव ठाकरे राय प्रकट कर चुके हैं। उन्होंने CAA का समर्थन करते हुए कहा था कि इससे किसी को घबराने की जरूरत नहीं है। इसे शरद पवार ने उनका निजी नजरिया बताकर खारिज कर दिया था। हालाँकि ठाकरे ने एनआरसी को लागू करने से मना कर दिया था।
अब उपमुख्यमंत्री अजित पवार और शरद पवार के बीच इसको लेकर मतभेद देखने को मिल रही है। अजित पवार खुलकर सीएए के समर्थन में आ गए हैं, जबकि उनके चाचा शरद पवार इस कानून का विरोध कर रहे हैं। अजित पवार ने CAA, NRC और NPR के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव पास करने की माँग को भी दरकिनार कर दिया है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र विधानसभा में बिहार की तरह सीएए, एनआरसी और एनपीआर के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने की आवश्यकता नहीं है। मुंबई में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते उन्होंने कहा कि इस कानून से किसी को घबराने की कतई जरूरत नहीं है और जो लोग इसे लेकर भ्रम की स्थिति पैदा करने में लगे हैं, उनकी बातों में आने की जरूरत नहीं है।
अजित पवार ने कहा, ‘‘शरद पवार एवं अन्य नेताओं ने भरोसा दिलाया है कि महाराष्ट्र में किसी भी व्यक्ति को इससे किसी तरह की दिक्कत नहीं होगी। किसी की नागरिकता नहीं जाएगी।” गौरतलब है कि शरद पवार ने पिछले वर्ष दिसंबर में कहा था कि महाराष्ट्र को आठ अन्य राज्यों की ही तरह CAA को लागू करने से इनकार करना चाहिए।
एनसीपी नेता नवाब मलिक ने भी पिछले माह कहा था कि एनआरसी महाराष्ट्र में लागू नहीं होगा। वहीं कॉन्ग्रेस ने सीएए, एनआरसी और एनपीआर के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव लाने की माँग की थी। अब इसको लेकर चाचा-भतीजे के बीच राजनीतिक जंग छिड़ गई है। बता दें कि राजनीतिक रूप से शरद पवार और अजीत पवार के बीच मतभेद कई बार उजागर हो चुके हैं।