पूछता है भारत- मौलाना साद बनाम अर्नब के बीच एक जंग: ड्रामा, सस्पेंस, थ्रिल और हाइवोल्टेज एंटरटेनमेंट का तड़का

(साभार: रिपब्लिक टीवी)

देश का ध्यान इन दिनों कोरोना वायरस के ख़िलाफ़ छिड़ी जंग को जीतने पर था और दूसरी ओर एक टीवी चैनल पर अलग ही जंग छिड़ी हुई थी। ये जंग चल रही थी रिपब्लिक टीवी के सीईओ अर्नब गोस्वामी और मरकज़ के मुखिया मौलाना साद के बीच। इस जंग में आप जितना ड्रामा, सस्पेंस, थ्रिल और हाइवोल्टेज एंटरटेनमेंट की कल्पना कर सकते हैं, वो सब था। दरअसल, जबसे मरकज़ का मामला खुला तबसे अर्नब गोस्वामी एक अलग ही फॉर्म में नजर आए। अभी तक उन्हें सिर्फ़ उनके ‘नेशन वॉन्ट्स टू नो’ के लिए जाना जा रहा था। मगर मौलाना साद की जमात का खुलासा होने के बाद जैसे उनकी शब्दावली में और आक्रमकता आ गई । उन्होंने मार्च से लेकर अब तक तबलीगी जमात पर ‘पूछता है भारत’ के तले 15 शो कर डाले और अपने शो में उन्होंने साद के लिए जो शब्द इस्तेमाल किए- उसने अर्नब गोस्वामी के साथ रिपब्लिक टीवी को किसी और ही स्तर तक पहुँचा दिया। 

उनके डिबेट के शीर्षकों से ही ये समझ आने लगा कि आखिर शो पर किस मुद्दे को लेकर बात होने वाली है। जैसे एक शो का शीर्षक था-लुटेरा साद, देश करेगा बर्बाद? इसके बाद एक था कोरोना से खतरनाक वायरस मरकज़? 

रिपब्लिक भारत इस बीच जनता को शो देखने के लिए आमंत्रित करने वाले मोनोलॉग पर भी इतनी ही आक्रमक भाषा का प्रयोग करता दिखा। रिपब्लिक भारत की ओर से ट्विटर पर भी वीडियोज शेयर करते हुए लिखा, “जो मौलाना देश को बीमार कर रहा है, वो अब तक गिरफ्तार क्यों नहीं हुआ? देखिए ‘पूछता है भारत’ अर्नब के साथ रिपब्लिक भारत पर LIVE” और “अगर मौलाना साद कोरोना से नहीं डरता, तो अपना इलाज क्यों करा रहा है? देखिए ‘पूछता है भारत’ अर्नब के साथ रिपब्लिक भारत पर LIVE”

निराली शब्दावली के साथ किया मौलाना साद का बखान

अर्नब गोस्वामी अपने शो में साद के लिए नए-नए शब्दों का भी प्रयोग करते दिखे। उन्होने अपने शो में साद के लिए सुपारी किलर, मौत का मौलाना, भगौड़ा, डरपोक, प्रोफेशनल किलर, डंडेबाज, लुटेरा, मक्कार, कायर, देश विरोधी, बुजदिल जैसे शब्दों का प्रयोग किया। अपने इन कार्यक्रमों में वे कुछ सवाल लगातार पूछते रहे। जैसे- जो हजारों लोगों को बीमार करे वो मौलाना कैसे बना। इसी तरह उन्होंने हर बार पूछा कि ये भाग क्यों रहा है?

तबलीगी जमातियों के लिए  उन्होंने पूछा, “ये (तबलीगी जमात सदस्य) बिल में चूहे की तरह छिपे हैं। ये बिल में, बुरा न मानें, चूहे की तरह क्यों छिपें हैं? ” 

इसके बाद उन्होंने मौलाना साद के समर्थकों को भी अपने शो में आड़े हाथों लिया और उन्हें बताया इस देश का नाम भारत है। उन्होंने एक कार्यक्रम में ये भी कहा, “हम तुम्हारा इलाज करें और तुम हमें बीमारी दो, ये अब देश को बर्दाश्त नहीं है।” अपने कार्यक्रम के एक स्लॉट में अर्नब गोस्वामी ने कहा, “पूरा देश अब कोरोना की बजाए ‘जमात वायरस’ से पैदा संक्रमण के खतरे को निपटने के उपाय तलाश रहा है। क्योंकि देश जितना कोरोनावायरस को हराने की दिशा में आगे बढ़ रहा है, तबलिगी जमात के सदस्य देश को उतना ही पीछे ले जा रहे हैं।”

शाहीन बाग को भी लिया आड़े हाथ

अपने इन कार्यक्रमों में अर्नब गोस्वामी ने शाहीन बाग को भी नहीं बख्शा। अर्नब ने शाहीन बाग को अपनी रडार पर लेते हुए देश से एक कार्यक्रम में पूछा कि शाहीन बाग के लोग क्या इस देश में कोरोना फैलाना चाहते थे? वहीं दूसरे में कहा, कोरोना फैलाएगा शाहीन बाग?

धमकियों के बाद में अर्नब ने ध्वस्त किया लेफ्ट का अजेंडा

पूरे मीडिया समूह से हटकर इस मामले पर कवरेज करने वाले अर्नब गोस्वामी को कई बार कई आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ा। उन्होंने दावा किया कि उन्हें अपनी इस रिपोर्टिंग के कारण धमकियाँ सुननी पड़ रही हैं। लेकिन साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि उन्हें इन दो कौड़ी के लोगों से कोई फर्क नहीं पड़ता। ये गौर करने वाली बात है जब हर संस्थान इस खबर को छिपाने और जमातियों को निर्दोष दिखाने के लिए आगे बढ़ता दिखा। वहीं अर्नब ने खुलेआम मौलाना साद के लिए भगौड़ा, कायर शब्द का प्रयोग किया।

तबलीगी जमात पर अर्नब का गुस्सा क्यों फूटा?

गौरतलब है कि ये गुस्सा, ये नाराजगी जो हमें अर्नब के शो में उनके चेहरे पर पिछले कुछ दिनों में दिखाई पड़ी। उसका कारण उनकी कोई निजी दुश्मनी नहीं है। बल्कि इसकी वजह उन जमातियों का जाहिलपना है जिसके कारण आज देश भर में कोरोना बुरी तरह फैला। रिपोर्ट्स पर गौर करें तो साफ पता चलता है कि इससे पहले देश में कोरोना के मामले बहुत कम थे। मगर इनका खुलासा होते ही हड़कंप मच गया। खुद दिल्ली में इतने ही मामले आ गए कि जरूरी रोकथाम होने के बावजूद दिल्ली महाराष्ट्र के बाद दूसरे नंबर पर आगई। जनता कर्फ्यू के दिन मरकज में 2500 लोग मौजूद थे। 1500 लोग 23 मार्च से रवाना हुए और उसके बाद के हालात किसी से छिपे नहीं हैं।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया