राजदीप की ‘गिद्ध पत्रकारिता’: दिल्ली दंगों की आरोपित नताशा के बचाव में उतरे, लिया उनकी पिता के मौत का सहारा

राजदीप की 'गिद्ध पत्रकारिता': दिल्ली दंगों की आरोपित नताशा नरवाल के बचाव में उतरे

फरवरी 2020 में दिल्ली में हुए हिन्दू विरोधी दंगों की साजिशकर्ता नताशा नरवाल के पिता महावीर नरवाल की कोरोना वायरस संक्रमण से मृत्यु के एक दिन बाद पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने नताशा के खिलाफ लगे आरोपों की गंभीरता को नजरअंदाज करते हुए नताशा की हिरासत को मानवीय त्रासदी करार दिया और न्याय व्यवस्था पर भी प्रश्न उठाया।

इंडिया टुडे के पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने सोमवार (10 मई) को ट्वीट करके नताशा नरवाल की हिरासत को मानवीय त्रासदी बताते हुए कहा कि नताशा का जेल में रहना बताता है कि अपराधिक न्याय व्यवस्था अपनी दिशा खो चुकी है।

राजदीप सरदेसाई के ट्वीट का स्क्रीनशॉट

वामपंथी प्रोपेगंडा वेबसाइट द वायर के सिद्धार्थ वरदाराजन ने भी नताशा के पिता की मृत्यु का उपयोग करते हुए UAPA के तहत जेल में बंद नताशा को बेकसूर कहा और दिल्ली पुलिस, पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को धमकी दी कि ‘सब याद रखा जाएगा।’  

सिद्धार्थ वरदाराजन के ट्वीट का स्क्रीनशॉट

हालाँकि सोमवार (10 मई) को ही दिल्ली उच्च न्यायालय ने नताशा नरवाल के पिता महावीर नरवाल की मृत्यु हो जाने के कारण 3 हफ्ते की अंतरिम जमानत दी है और दिल्ली पुलिस ने भी इस जमानत का कोई विरोध नहीं किया लेकिन नताशा के पिता की मृत्यु के बाद से ही वामपंथी पत्रकार और एक्टिविस्ट नताशा के गंभीर अपराधों पर पर्दा डालने के लिए उसके पिता महावीर नरवाल की मृत्यु का उपयोग कर रहे हैं।   

दिल्ली के सीएए और हिन्दू विरोधी दंगे और नताशा नरवाल का रोल :

24 फरवरी को उत्तर-पूर्वी दिल्ली में शुरू हुए हिंसक दंगों की साजिश के आरोप में वामपंथी समूह पिंजरा तोड़ की कार्यकर्ता नताशा नरवाल और देवांगना कालिता को 23 मई को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल द्वारा गिरफ्तार किया गया था। नताशा दिल्ली के सीलमपुर में हुए सीएए विरोधी दंगों की साजिशकर्ता थी। पिछले साल ही कोर्ट में बताया गया था कि नताशा 16 और 17 फरवरी को हुई उस मीटिंग का हिस्सा थी जिसमें सीएए विरोधी दंगों की साजिश रची गई और हिंसा को भड़काने के एजेंडा तय किया गया।

सबूतों और गवाहों पर विचार करते हुए कोर्ट ने माना था कि नताशा नरवाल दिल्ली दंगों की दोषी है उसके खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं। हिंसा और सड़कों को जाम कर देने के कारण ही पुलिस पर हमले हुए और आवश्यक वस्तुओं की सप्लाई भी प्रभावित हुई। हिंसा की गंभीरता को देखते हुए ही नताशा नरवाल पर UAPA के तहत मामला दर्ज किया गया था।

नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के नाम पर शुरू हुआ आंदोलन जल्दी ही हिन्दू विरोधी हिंसा में बदल गया। 24 फरवरी को शुरू हुए हिन्दू विरोधी दंगों में लगभग 53 लोग मारे गए थे जिनमें आईबी अधिकारी अंकित शर्मा और उत्तराखंड के दिलबर नेगी जैसे कई हिन्दू शामिल थे। दंगों में 200 से अधिक लोग घायल हुए थे। इन हिन्दू विरोधी दंगों में भीड़ ने हिंदुओं को बड़ा नुकसान पहुँचाया था।   

इन दंगों में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने चार्जशीट दाखिल की थी। जिसमें दिल्ली दंगों की पूरी योजना से लेकर इसके प्रमुख सजिशकर्ताओं के नाम भी शामिल थे। इन हिन्दू विरोधी दंगों के सजिशकर्ताओं में आम आदमी पार्टी के काउन्सलर ताहिर हुसैन, उमर खालिद, शरजील इमाम, नताशा नरवाल, देवांगना कालिता और कॉन्ग्रेस नेता इशरत जहाँ जैसे नाम शामिल हैं।

यहाँ ध्यान दिया जाना चाहिए कि दंगों पर दिल्ली पुलिस की चार्जशीट के बाद एनडीटीवी और द क्विंट जैसे वामपंथी मीडिया समूहों ने दंगों के साजिशकर्ताओं का भरपूर बचाव किया था और दिल्ली दंगों पर भाजपा नेता कपिल मिश्रा के खिलाफ प्रोपेगंडा फैलाने का कार्य किया था। ऑपइंडिया ने दिल्ली दंगों पर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की थी जो ईबुक के रूप में उपलब्ध है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया