राज्यसभा टीवी (RSTV) ने बौद्धिक संपदा अधिकारों और कॉपीराइट के उल्लंघन के लिए वामपंथी प्रोपेगेंडा वेबसाइट, द वायर को कानूनी नोटिस थमाया है। कानूनी नोटिस में, RSTV ने राज्यसभा टीवी की कॉपीराइट सामग्री के अवैध और गैरकानूनी तरीके से चोरी करने या चोरी की सामग्री प्राप्त करने और उनका उपयोग करने का आरोप लगाया है।
नोटिस में द वायर को 2 सप्ताह के भीतर आवश्यक विवरण और दस्तावेज प्रदान करने के लिए कहा है ताकि यह साबित हो सके कि उन्होंने चोरी नहीं की है या RSTV की चोरी की संपत्ति उनके कब्जे में नहीं है और उन्होंने RSTV के अनन्य बौद्धिक संपदा अधिकारों का उल्लंघन नहीं किया है या उन्होंने RSTV के कॉपीराइट अधिकारों का उल्लंघन नहीं किया है। कानूनी नोटिस में कहा गया है कि यदि द वायर ऐसा करने में विफल होता है, तो वे नागरिक और आपराधिक परिणामों के लिए ज़िम्मेदार होंगे।
17 सितंबर 2018 को, द वायर ने एक स्टोरी की थी, “RSTV ने भारत छोड़ो आंदोलन में वाजपेयी की भूमिका के बारे में सवाल किया था।” नोटिस में कहा गया है कि कहानी में, उन्होंने एक वीडियो क्लिप का इस्तेमाल किया था, जहाँ एक एंकर अटल बिहारी वाजपेयी और एक अन्य वरिष्ठ पत्रकार के साथ चर्चा कर रहा था।
नोटिस में कहा गया है कि द वायर ने अपनी स्टोरी में जिस वीडियो क्लिप का इस्तेमाल किया है, वह राज्यसभा टीवी की विशिष्ट संपत्ति है और पोर्टल द्वारा इस्तेमाल की गई क्लिप में राज्यसभा टीवी का लोगो भी नहीं है। नोटिस में यह भी कहा गया है कि द वायर ने इस क्लिप के इस्तेमाल के लिए RSTV से कोई अनुमति नहीं ली थी।
दिलचस्प बात यह है कि कानूनी नोटिस में सबूत के तौर पर यह मामला महज कॉपीराइट के उल्लंघन से ही जुड़ा नहीं है क्योंकि कानूनी नोटिस द वायर के खिलाफ कई गंभीर आरोप लगाया गया है।
राज्यसभा टीवी ने आरोप लगाया है कि चूँकि द वायर द्वारा प्रयुक्त क्लिप में RSTV का कोई लोगो नहीं था, इसलिए यह मूल क्लिप है जो राज्यसभा टीवी के पास है। पहली नज़र में, यह प्रतीत होता है कि द वायर ने न केवल प्राधिकरण के बिना परमिशन के क्लिप का उपयोग किया है, बल्कि “गैरकानूनी तरीके से RSTV की संपत्ति को अपने कब्जे में दिखाने की कोशिश की है।” वीडियो में RSTV का कोई लोगो भी नहीं है, यह भी गंभीर मामला है।
यहाँ यह ध्यान रखना आवश्यक है कि कॉन्ग्रेस सरकार के कार्यकाल में, राज्यसभा टीवी, जो पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी के नियंत्रण में था, प्रोपेगेंडा और कॉन्ग्रेसी एजेंडा फैलाने और वफादारों को बहुत कुछ नवाजने के लिए इस्तेमाल किया जाता रहा है।
हामिद अंसारी के दौरान करदाताओं की गाढ़ी कमाई का बड़ा हिस्सा द वायर के संस्थापक संपादक एम के वेणु और सिद्धार्थ वरदराजन, दोनों को 15,000 रुपए प्रति उपस्थिति की दर से लुटाया जा रहा था, कुल 33 लाख रुपए एम के वेणु को और 14.70 लाख रुपए वरदराजन को पिछले कुछ वर्षों में दिए गए।
वरदराजन, जिनकी शो की मेजबानी अप्रैल 2017 से बंद कर दी गई थी, जबकि वेणु को कहा गया था कि वे उन शो की मेजबानी न करें जिन्हें वह अगस्त तक होस्ट कर रहे थे। अगस्त के बाद ही द वायर द्वारा हिट-जॉब्स बढ़ गए हैं।
2018 में यह बताया गया कि राज्यसभा सचिवालय ने राज्यसभा टेलीविजन (RSTV) के कामकाज में अनियमितताओं की जाँच करने का निर्णय लिया है। आरएस सचिवालय ने अपनी स्थापना के बाद से ही आरोपों पर गौर करने के लिए एक-व्यक्ति जाँच समिति का गठन किया है, विशेष रूप से “राग देश” नामक फिल्म के निर्माण पर होने वाला खर्च की समीक्षा के लिए भी, जिसमें 13 करोड़ रुपए की लागत आई थी।
यह बताया गया है कि RSTV ने अपनी स्थापना के बाद से 2015 तक चैनल को संचालित करने के लिए करदाताओं के धन की 1,700 करोड़ रुपए की बड़ी राशि खर्च कर चुका है। बता दें कि RSTV के लिए बजट किसी भी सरकारी चैनल से बड़ा है और इससे कोई आय भी नहीं होती है, क्योंकि चैनल ने विज्ञापन से कोई लाभ नहीं कमाया है।
नोट- द वायर द्वारा कॉन्ग्रेस प्रोपेगेंडा और हिट जॉब्स की पूरी लिस्ट यहाँ है।