साल 2018 से ही समाचार चैनल रिपब्लिक टीवी ने अपने सभी प्रतिद्वंदी चैनलों को पछाड़ते हुए व्यूअरशिप मामले में काफी बढ़त हासिल की है। यह खुलासा अब ‘क्रोम डीएम’ (Chrome DM) के हवाले से हुआ है जो कि एक प्रतिष्ठित मार्केट रिसर्च फर्म है। ‘क्रोम डीएम’ ने बताया है कि रिपब्लिक टीवी के पास अपने प्रतिद्वंदी समाचार चैनल ‘टाइम्स नाउ’ से ज्यादा ‘ओटीएस’ (Opportunity-To-See) है।
ओटीएस का मतलब होता है कि एक दर्शक ने चैनल या ब्रांड को कितनी बार देखा। किसी चैनल का ओटीएस यदि अधिक है, तो मतलब साफ है कि उस चैनल को देखने वाले लोग भी अधिक हैं।
इंडियन टेलीविजन के अनुसार, क्रोम डीएम ने साल 2016 से 2020 का डेटा का विश्लेषण किया। इस दौरान उन्होंने पाया कि रिपब्लिक टीवी ने साल 2018 में अपने प्रतिद्वंदी चैनल टाइम्स नाउ को पछाड़ा और 2019 तक शहर में रहने वाले भारतीयों के घरों में देखे जाने वाला सबसे बड़ा चैनल बन गया।
अपनी रिपोर्ट में क्रोम डीएम ने कहा, “इस शैली (समाचार) में किसी भी अन्य चैनल की तुलना में चैनल (रिपब्लिक) का वितरण और उपलब्धता बहुत अधिक है।” फर्म ने यह भी पाया कि 2017 में इंडस्ट्री में रिपब्लिक टीवी के प्रवेश ने समाचार शैली को महत्वपूर्ण दिशा दी है।
साल 2017 के बाद ‘टाइम्स नाउ’ ने रिपब्लिक टीवी को कैसे पछाड़ा
रिपब्लिक टीवी चूँकि एक ‘फ्री टू एयर’ चैनल है। ऐसे में, TRAI ने जब अपने नए टैरिफ ऑर्डर (NTO) के कार्यान्वयन को सुनिश्चित किया, तो इसकी पहुँच पूरे भारत में बढ़ गई। और इस प्रकार, टाइम्स नाउ और रिपब्लिक टीवी के बीच दर्शकों की संख्या/पहुँच में साल 2018 से 2020 के बीच ज्यादा फर्क आ गया। क्रोम डीएम ने यह भी नोटिस किया कि साल 2017 में रिपब्लिक के लॉन्च के बाद चैनल ने अच्छी बढ़त बनाई। वहीं, उसके साथ शुरू हुए चैनल इतनी रफ्तार नहीं पकड़ पाए।
OTS विश्लेषण रिपब्लिक टीवी की बढ़त और नेतृत्व को दर्शाता है: रिपब्लिक मीडिया ग्रुप सीईओ
ओटीएस विश्लेषण पर रिपब्लिक मीडिया ग्रुप के सीईओ विकास खानचंदानी ने कहा कि रिपब्लिक नेटवर्क ने अपनी संबंधित शैलियों में सबसे ज्यादा ध्यान केंद्रित करके उसको व्यापक प्लेटफॉर्मों तक वितरित किया। उन्होंने कहा कि Chrome का उपरोक्त डेटा महज एक आँकड़ा है, जो दिखाता है कि हमारा ब्रांड और नेतृत्व कितना बढ़ा। मीडिया ग्रुप के सीईओ ने सोशल मीडिया पर भी रिपब्लिक टीवी को यूजर्स से जुड़ा हुआ बताया। साथ ही, विश्वास जताया कि वह उभोक्ताओं और विज्ञापनदाताओं के लिए सबसे बड़े अंग्रेजी और हिंदी समाचार के लिए मंच को लाते रहेंगे।
फेक टीआरपी स्कैम
यहाँ याद दिला दें कि एक ओर जहाँ रिपब्लिक टीवी आए दिन नई ऊँचाइयों को छू रहा है, उसकी कामयाबी के स्पष्ट सबूत आँकड़ों में नजर आ रहे हैं, वहीं, रिपब्लिक टीवी पिछले दिनों फेक टीआरपी मामले में विवादों में रहा। फेक टीआरपी का पूरा मामला 8 अक्टूबर को मुंबई कमिशनर की एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद शुरू हुआ था।
हालाँकि, एक दिन के भीतर ही रिपब्लिक टीवी ने यह सबूत दे दिए थे कि मामले में दर्ज हुई शिकायत में उनके चैनल का नाम नहीं है। लेकिन तब भी, मुंबई पुलिस चैनल को निशाना बनाती रही और पिछले दिनों रिपब्लिक टीवी पर कई कार्रवाई कर डाली।