कॉन्ग्रेस टूलकिट मामले में ट्विटर के बयान के बाद दिल्ली पुलिस ने इस प्लेटफॉर्म को जमकर लताड़ लगाई है। दिल्ली पुलिस ने कहा है कि ट्विटर के सारे आरोप मिथ्या हैं। इनका उद्देश्य वैध जाँच को बाधित करना है। पुलिस के बयान में यह भी कहा गया कि ट्विटर जाँच और न्यायिक प्राधिकारी होने का प्रयास कर रहा है, जबकि उसे इसकी इजाजत नहीं है।
दिल्ली पुलिस ने कहा है कि ‘टर्म्स ऑफ सर्विस’ के नाम पर ट्विटर मौजूदा दस्तावेजों (कॉन्ग्रेस टूलकिट) की प्रमाणिकता जाँचने की कोशिश कर रहा है। इसके अलावा वह खुद जाँच अधिकारी और न्यायाधीश बनने की कोशिश कर रहा है, लेकिन उसे इसकी मँजूरी नहीं है।
BIG BRK: #Toolkit row continues to explode as Delhi Police retorts
— Rohan Dua (@rohanduaTOI) May 27, 2021
1.Have come across Twitter statements on ongoing inquiry
2.1st,We registered prelim inquiry at instance of Cong. Hence,efforts by Twitter that portray FIR at behest of Govt of India wholly & completely incorrect pic.twitter.com/YMSJimgqgo
बयान में कहा गया कि इस मामले में जाँच के लिए अधिकृत एकमात्र कानूनी संस्था पुलिस है और दस्तावेजों की सत्यता का पता लगाने के लिए न्यायालय है। बयान में दिल्ली पुलिस ने ये भी कहा कि टूलकिट मामले में शिकायत को कॉन्ग्रेस पार्टी द्वारा दायर करवाया गया था। लेकिन ट्विटर ने यह दिखाने की कोशिश की कि इस शिकायत को भारत सरकार ने दर्ज करवाया है, जो बिलकुल झूठ है।
जानकारी है लेकिन पुलिस के साथ नहीं साझा करना चाहते
पुलिस ने बताया कि मामला जाँच के तहत था जब ट्विटर ने डॉक्यूमेंट को मैनिपुलेटि़ड मीडिया टैग के साथ जोड़ा। इसका मतलब है कि ट्विटर मामले से परिचित था और उसके पास ऐसी महत्वपूर्ण जानकारी थी जिसकी एक कानून प्रवर्तन एजेंसी को आवश्यकता थी। इसलिए ट्विटर से दिल्ली पुलिस ने पूछताछ का हिस्सा होने को कहा। उन्होंने यह भी बताया कि कानूनी तौर पर ट्विटर इस तरह की जानकारी पुलिस के साथ साझा करने के लिए बाध्य है, इसे लेकर तो कोई कन्फ्यूजन होनी ही नहीं चाहिए।
पुलिस के बयान में आगे कहा गया है कि ट्विटर इंडिया के एमडी ने दावा किया है कि वह केवल एक सेल्स प्रमुख है और कंटेंट में उनकी कोई भूमिका नहीं है। हालाँकि, ये दावे ट्विटर एमडी के अपने पहले की बातों (प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान की गई) से विरोधाभासी हैं, जहाँ उन्होंने अपमानजनक और मेनिपुलेटिव कंटेंट की पहचान करने के तरीकों को विकसित करने के लिए कंपनी की योजनाओं पर चर्चा की थी। पुलिस ने ट्विटर की इस पलटी को अंग्रेजी मुहावरे डियर कॉट इन हेडलाइट्स से जोड़ा है।
इसके आगे दिल्ली पुलिस ने ट्विटर के बयान को गलत और निराधार कहा। पुलिस के मुताबिक ट्विटर इंडिया के एमडी को केवल एक नोटिस दिया गया था। वह भी जाँच में भाग लेने के लिए। इसमें उन्हें ‘आरोपित’ नहीं बनाया गया था, क्योंकि ट्विटर (मैनिपुलेटिड मीडिया का टैग जोड़कर) ने मामले के बारे में जानकारी रखने का दावा किया था।
पुलिस का मानना है कि ट्विटर इंडिया के हालिया बयान सहानुभूति प्राप्त करने के लिए है, जबकि सच ये है कि वे खुद न केवल देश के कानून का पालन करने से इनकार करते हैं, बल्कि टूलकिट मामले चल रही पुलिस जाँच में सबूत होने के बावजूद उन्हें पुलिस से साझा नहीं करना चाहते।
उल्लेखनीय है कि कॉन्ग्रेस ने टूलकिट मामले में दिल्ली पुलिस के पास दर्ज शिकायत को हाल में वापस लेकर इसे छत्तीसगढ़ से आगे बढ़ाने का निर्णय लिया गया था। इसके बाद पार्टी ने ट्विटर को भी पत्र लिख कर भाजपा नेताओं पर कार्रवाई करने की अपील की थी।
बयान में ट्विटर ने क्या कहा था
बता दें कि ट्विटर ने इससे पहले दिल्ली पुलिस पर आरोप लगाते हुए कहा था कि वह पुलिस के डराने-धमकाने की रणनीति और अभिव्यक्ति की आजादी को खतरा होने से चिंतित हैं। Twitter ने अपने बयान में दावा किया कि नए IT नियमों के मूल तत्वों का वो पालन कर रहा है और साथ-साथ वैश्विक ‘टर्म्स ऑफ सर्विस’ के हिसाब से भी कार्य कर रहा है। उसने भारत सरकार द्वारा लाए गए नए IT नियमों के बारे में कहा कि वो इसके कुछ हिस्से में बदलाव चाहता है, ताकि लोगों के बीच बातचीत या चर्चा खुली व स्वतंत्र रूप से हो सके। उसने भारत सरकार के साथ अपनी बातचीत को जारी रखने की भी बात कही थी।