38 महीने में J&K में एनकाउंटर की 400 घटनाएँ: 630 आतंकी ढेर, 85 सुरक्षाबल वीरगति को प्राप्त

(प्रतीकात्मक तस्वीर)

पिछले तीन सालों में जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के साथ 400 एनकाउंटर की घटनाएँ हुई हैं। इस एनकाउंटर में 85 सुरक्षाबल वीरगति को प्राप्त हुए और 630 आतंकियों को ढेर किया गया। ये आँकड़ा मई 2018 से जून 2021 का है। गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने बुधवार (4 अगस्त 2021) को राज्यसभा में एक सवाल का लिखित जवाब देते हुए इस बात की जानकारी दी।

गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि सरकार ने आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस (बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं करने) की नीति अपनाई है और आतंकवादी संगठनों द्वारा दी जाने वाली चुनौतियों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए सुरक्षा तंत्र के सुदृढ़ीकरण, राष्‍ट्र-विरोधी तत्‍वों के विरूद्ध कानून को सख्‍ती से लागू करने, घेराबंदी एवं तलाशी अभियानों में वृद्धि जैसे विभिन्‍न उपाय किए हैं।

गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि सुरक्षा बल आतंकवादियों को सहायता देने का प्रयास करने वाले लोगों पर भी कड़ी नजर रखते हैं और उनके खिलाफ कार्रवाई करते हैं। उन्होंने कहा कि जम्‍मू कश्‍मीर सीमा-पार से प्रायोजित और समर्थित आतंकवादी हिंसा से प्रभावित रहा है।

वहीं, सरकार ने मंगलवार (अगस्त 3, 2021) को कहा था कि जम्मू कश्मीर में नियंत्रण रेखा (LOC) और अंतरराष्ट्रीय सीमा (IB) पर सीमापार गोलीबारी से संबंधित सभी समझौतों का पालन करने के लिए फरवरी में भारत और पाकिस्तान के बीच सहमति होने के बाद से संघर्ष विराम उल्लंघन की केवल छह घटनाएँ घटीं। नित्यानंद राय ने बताया कि 2020 में संघर्ष विराम उल्लंघन की 5,133 घटनाएँ घटीं, 2019 में ऐसी 3,479 और 2018 में 2,140 घटनाएँ घटी थीं।

नित्यानंद राय ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि भारत और पाकिस्तान के सैन्य अभियान महानिदेशकों के बीच हॉटलाइन पर निर्धारित बातचीत के बाद 25 फरवरी, 2021 को संयुक्त वक्तव्य जारी किया गया, जिसमें भारत और पाकिस्तान दोनों ने 24-25 फरवरी, 2021 की दरमियानी रात से नियंत्रण रेखा पर और अन्य सभी क्षेत्रों में सभी समझौतों, सहमतियों और संघर्ष विराम का सख्ती से पालन करने पर सहमति जताई।

मंत्री के जवाब के मुताबिक, इस साल जनवरी में संघर्ष विराम उल्लंघन की 380 घटनाएँ घटीं, वहीं फरवरी में 278 घटनाएँ घटीं। उन्होंने ने बताया कि मार्च महीने में संघर्ष विराम उल्लंघन की एक भी घटना नहीं घटी, वहीं अप्रैल में एक, मई में तीन और जून में दो ऐसी घटनाएँ घटीं।

इसके साथ ही बुधवार को उन्होंने राज्यसभा में बताया कि 31 दिसंबर 2019 तक देश की जेलों में कैदियों की संख्या 4 लाख 78 हजार 600 थी। इसमें से 1 लाख 44 हजार 125 दोषी थे और 3 लाख 30 हजार 487 अंडर ट्रायल थे। मंत्री ने बताया कि इसमें महिला कैदियों की संख्या 19 हजार 913 थी।

जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा समाप्त किए हुए गुरुवार को 2 वर्ष हो रहे हैं। 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू कश्मीर को मिला विशेष राज्य का दर्जा समाप्त कर दिया गया था और लद्दाख को अलग करके अलग केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया था, जम्मू-कश्मीर भी अलग केंद्र शासित प्रदेश बन गया है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया