जम्मू-कश्मीर में 29 वर्षीय मेजर कौस्तुभ राणे को वीरगति को प्राप्त हुए लगभग 2 वर्ष हो गए हैं। अब उनकी पत्नी भारतीय सेना में सेवा देने को तैयार हैं। कनिका राणे ने ज़िंदगी की तमाम मुसीबतों से लड़ते हुए और अपने परिवार को सँभालते हुए अथक परिश्रम कर खुद को देशसेवा के लिए तैयार किया है। उन्होंने चेन्नई स्थित भारतीय सेना की ‘ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी’ में अपना प्रशिक्षण भी पूरा कर लिया है।
अब वो भारतीय सेना में शामिल हो गई हैं। कौस्तुभ राणे और उनका परिवार मुंबई के मीरा रोड में रहता था। अगस्त 2018 में वो तीन अन्य भारतीय सैनिकों के साथ वीरगति को प्राप्त हुए थे। राइफलमैन हमीर सिंह (28), मनदीप सिंह (26) और विक्रमजीत सिंह (25) ने भी देश के लिए बलिदान दिया था। जहाँ हमीर और मनदीप उत्तराखंड से थे, वहीं विक्रमजीत हरियाणा के थे। बाँदीपोरा में ये चारों वीरगति को प्राप्त हुए थे।
LOC के नजदीक गुरेज़ सेक्टर में पाकिस्तान समर्थिक आतंकी वहाँ की फ़ौज की मदद से घुसपैठ कर रहे थे। श्रीनगर से 125 किलोमीटर दूर सीमा पर पाकिस्तानी आतंकियों की घुसपैठ को नाकाम करते हुए इन चारों ने भारत माता के लिए अपनी जान को न्योछावर कर दिया था। शनिवार (नवंबर 21, 2020) को मुंबई के डिफेन्स PRO ने एक वीडियो भी शेयर किया, जिसमें कनिका राणे बता रही हैं कि कैसे ये सब उनके लिए एक आसान विकल्प नहीं था।
कनिका राणे ने कहा कि उन्होंने तो बस अपने पति के साथ जिम्मेदारियों की अदला-बदली की है, क्योंकि उनकी जगह पर वो भी रहते तो यही करते। उन्होंने कहा कि वो अपने पति के उन स्वप्नों और लक्ष्यों को पूरा करने के लिए भारतीय सेना में आई हैं, जो वो अपने पीछे छोड़ गए हैं। उनके पति मेजर कौस्तुभ राणे पहले गढ़वाल रायफल्स में थे, लेकिन बाद में वो 36 इंडियन रायफल्स का हिस्सा बन गए थे।
उन्होंने भारतीय सेना में सेवा देते हुए 6 वर्ष पूरे कर लिए थे। वो अपने पीछे अपने माता-पिता, पत्नी और एक बेटे अगस्त्य को छोड़ गए थे। इस वर्ष की शुरुआत में उधमपुर में हुए एक समारोह में अपने पति की तरफ से कनिका ने गैलेंट्री अवॉर्ड रिसीव किया था। कनिका का कहना है कि सेना के प्रशिक्षण के लिए शारीरिक सहनशीलता से भी ज्यादा आवश्यक है मानसिक मजबूती का होना। उनका कहना है कि अगर आपके पास मानसिक ताकत और सहनशक्ति है तो आप कुछ भी कर सकते हैं।
https://twitter.com/ShivAroor/status/1330177715991965701?ref_src=twsrc%5Etfwकनिका बताती हैं कि यहाँ आने से पहले वे कभी 100 मीटर भी नहीं दौड़ी थीं, लेकिन अब वो 40 किलोमीटर की दौड़ लगाती हैं। शनिवार को उनके साथ अकादमी से 181 पुरुष और 49 महिला उत्तीर्ण हुए, जो अब भारतीय सेना में सेवा देंगे। कनिका 9 महीने का कठिन प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद अब लेफ्टिनेंट का पद प्राप्त करेंगी। वो परीक्षा और साक्षात्कार में भी उत्तीर्ण हुई थीं। इन सबके साथ-साथ वो अपने छोटे बेटे की भी देखभाल करती हैं।
कनिका को उनके पति हमेशा उन्हें अपने लक्ष्य, उद्देश्य और स्वप्नों को पूरा करने के लिए प्रोत्साहित करते थे। उन्होंने कहा कि प्रेरणा के माध्यम से ऐसा किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि ये उनकी तरफ से उनके दिवंगत पति को श्रद्धांजलि है। कनिका अभी 29 वर्ष की हैं। उन्होंने कहा कि वो हमेशा से अपने पति के पदचिह्नों का अनुसरण करना चाहती थीं। उन्होंने कहा था कि वो कश्मीर में सेवा देने के लिए भी तैयार हैं।
इसी तरह से सितंबर 2, 2015 को देहरादून के राइफलमैन शिशिर मल्ल बारामुला के राफियाबाद में आतंकियों से मुठभेड़ के दौरान बलिदान होने की खबर से सारा उत्तराखंड शोक में डूब गया था। 9 घंटे चली उस भीषण मुठभेड़ में वीर जवानों ने आतंकी संगठन लश्कर-ए-इस्लाम के आतंकी को मार गिराया था। उनकी पत्नी संगीता मल्ल भी भारतीय सेना में शामिल हो गई थीं। फ़िलहाल वो शॉर्ट सर्विस कमीशन में लेफ्टिनेंट के रूप में सेना में कार्यरत हैं।