Tuesday, April 23, 2024
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UN सुरक्षा परिषद ने जैश का नाम लेकर की पुलवामा हमले की निंदा; चीन ने जताई आपत्ति

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने कहा कि UNSC का बयान देर से आया लेकिन दुरुस्त आया। इस बयान में कई ऐसी चीजें हैं जो पहली बार हुई हैं।

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत को बड़ी कूटनीतिक सफलता मिली है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) ने आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का नाम लेते हुए पुलवामा आतंकी हमले की कड़ी निंदा की है। सुरक्षा परिषद ने अपने बयान में इसे एक जघन्य और कायराना हरकत करार दिया है। साथ ही, सुरक्षा परिषद ने कहा कि इस निंदनीय हमले के जो भी दोषी हैं, उन्हें दंड मिलना चाहिए। इसे पाकिस्तान के लिए तगड़ा झटका माना जा रहा है। सुरक्षा परिषद ने अपने बयान में कहा:

“इस घटना के अपराधियों, षडयंत्रकर्ताओं और उन्हें धन मुहैया कराने वालों को इस निंदनीय कृत्य के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए और उन्हें दंड मिलना चाहिए । सुरक्षा परिषद के सदस्य 14 फरवरी 2019 को जम्मू-कश्मीर में जघन्य और कायराना तरीके से हुए आत्मघाती हमले की कड़ी निंदा करते हैं जिसमें भारत के अर्धसैनिक बल के 40 जवान शहीद हो गए थे और इस हमले की जिम्मेदारी जैश-ए-मोहम्मद ने ली थी।”

सुरक्षा परिषद द्वारा पाकिस्तानी आतंकी संगठन जैश का नाम लेना भारत के लिए बड़ी सफलता है क्योंकि जैश के सरगना मसूद अज़हर को सुरक्षा परिषद द्वारा प्रतिबंधित कराने की भारत की कोशिशें अब तक विफल रही हैं। जब भी पाकिस्तानी आतंकी मसूद को प्रतिबंधित करने का प्रस्ताव लाया गया, चीन ने वीटो लगा कर उसमें अड़ंगा लगाया। सुरक्षा परिषद के ताज़ा बयान में भी जैश का नाम लिए जाने पर चीन ने आपत्ति जताई। मीडिया में प्रकाशित ख़बरों के अनुसार, चीन ने सुरक्षा परिषद के सदस्यों से इस साझा बयान में से जैश का नाम हटाने की माँग की।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने इस हमले के दोषियों को सज़ा दिलाने को लेकर भारत सरकार के सक्रिय सहयोग की भी बात कही। साथ ही घायल जवानों के जल्दी ठीक होने की कामना करते हुए वीरगति को प्राप्त हुए जवानों के परिजनों के प्रति संवेदनाएँ भी जताई गई। साझा बयान के अनुसार, सुरक्षा परिषद के सदस्यों ने पुष्टि की कि आतंकवाद अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए सबसे गंभीर खतरों में से एक है, चाहे यह किसी भी रूप में हो या इसके पीछे जो भी मंशा हो।

ज्ञात हो कि फ्रांस ने मसूद अज़हर को प्रतिबंधित करने के लिए सुरक्षा परिषद में प्रस्ताव लाने का ऐलान किया है। अमेरिका और जर्मनी भी इस मसले पर भारत के साथ हैं। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने कहा कि UNSC का बयान देर से आया लेकिन दुरुस्त आया। उन्होंने कहा कि इस बयान में कई ऐसी चीजें हैं जो पहली बार हुई हैं। उनका इशारा बयान में जैश का नाम लेकर निंदा करने की तरफ था।

भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि UNSC के इस बयान के बाद पाकिस्तान अपने नियंत्रण क्षेत्र में चल रही आतंकी गतिविधियों पर लगाम लगाने का अंतर्राष्ट्रीय दबाव में आ गया है। उन्होंने कहा कि पुलवामा हमले के जिम्मेदार आतंकियों पर कार्रवाई करने के लिए पाकिस्तान पर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने दबाव बनाया है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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