चंद्रयान-2: ‘नेहरू ने चाँद की खोज की… या चाँद ने खुद नेहरू को खोजा’

चंद्रयान 2 की सफलतापूर्वक लॉन्चिंग का श्रेय कॉन्ग्रेस ने दिया जवाहरलाल नेहरू को

चंद्रयान को सफलपूर्वक लॉन्च हुए अभी कुछ देर ही हुए हैं कि कॉन्ग्रेस पार्टी ने भारतीय वैज्ञानिकों की इस कामयाबी का पूरा श्रेय अपनी पार्टी के दिग्गज नेताओं पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और मनमोहन सिंह को दे दिया।

कॉन्ग्रेस ने चंद्रयान 2 लॉन्च होते ही ट्वीट किया कि जवाहर लाल नेहरू को याद करने का सही समय है। कॉन्ग्रेस ने कहा कि देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने अंतरिक्ष कार्यक्रमों के लिए 1962 में पहली बार INCOSPAR के जरिए फंड जुटाने की पहल की थी। यही बाद में इसरो बना। कॉन्ग्रेस ने अपने ट्वीट में कहा कि चंद्रयान मिशन को साल 2008 में यूपीए कार्यकाल के दौरान डॉक्टर मनमोहन सिंह ने मंजूरी दी थी।

https://twitter.com/INCIndia/status/1153232592122064897?ref_src=twsrc%5Etfw

जबकि चंद्रयान 2 की लॉन्चिंग का क्रेडिट कॉन्ग्रेस द्वारा लेने के बीच हकीकत ये है कि चंद्रयान-2 मिशन अगर किन्हीं वजहों से इतना लेट हुआ तो उसका मुख्य कारण भी कॉन्ग्रेस ही है। इस बात का दावा खुद इसरो चीफ़ जी माधवन नायर ने अपनी बातचीत के दौरान किया था। जब उन्होंने कहा था कि चंद्रयान-2 बहुत समय पहले लॉन्च हो चुका होता, लेकिन यूपीए सरकार के राजनैतिक निर्णयों के कारण ऐसा मुमकिन नहीं हो पाया। दरअसल, साल 2014 में लोकसभा चुनाव के कारण चंद्रयान के लॉन्च को स्थगित कर दिया गया था, क्योंकि यूपीए सरकार ऐसा चाहती थी। अब रही बात INCOSPAR की, तो उसकी सफलता का अधिकतर क्रेडिट भारतीय स्पेस प्रोग्राम के पिता विक्रम साराभाई को जाता है।

कॉन्ग्रेस के इस पोस्ट के बाद सोशल मीडिया पर सक्रिय यूजर्स उनका जमकर मजाक उड़ा रहे हैं। पुराने समय की तस्वीरे पोस्ट की जा रही है और याद दिलाया जा रहा है कि गाँधी परिवार के राज में मिसाइल का सामान किस तरह साइकिल पर जाता था जबकि नेहरू परिवार एरोप्लेन में सफर करता था।

https://twitter.com/pokershash/status/1153235402687315968?ref_src=twsrc%5Etfw

सोशल मीडिया पर लोग विक्रम साराभाई के इंडियन स्पेस रिसर्च में योगदान वालेे बिंदु को भी उजागर कर रहे हैं और बता रहे हैं कि कैसे विक्रम साराभाई को इस कामयाबी के पीछे श्रेय दिया जाना चाहिए।

https://twitter.com/theFirstHandle/status/1153236880915193857?ref_src=twsrc%5Etfw

खैर ये कोई हैरानी की बात नहीं है कि कॉन्ग्रेस इस कामयाबी श्रेय खुद लेना चाहती है क्योंकि ऐसा करना कॉन्ग्रेस के लिए पुरानी बात हो चुकी है। जब भारत ने अपनी एंटी सैटेलाइट मिसाइल के बारे में घोषणा की थी उस समय कॉन्ग्रेस भी कॉन्ग्रेस ने इसका क्रेडिट लेना चाहा था जबकि वास्तविकता में यूपीए सरकार के दौरान इस प्रोजेक्ट को क्लियरेंस ही नहीं दिया गया था। ‘मिशन शक्ति’ के लिए डीआरडीओ के चीफ़ ने खुद मोदी सरकार को श्रेय देते हुए कहा था कि मोदी सरकार ने ही मिसाइल बनाने के लिए हरी झंडी दिखाई थी।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया