गुजरात कॉन्ग्रेस विधायक सोमा पटेल और जेवी काकडिया ने राज्यसभा में उनके समुदाय के सदस्य को न भेजे जाने से नाराज होकर पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। सोमा पटेल ने राज्यसभा सीट कोली समुदाय को देने की माँग की थी। लेकिन गुजरात से कोली समुदाय के सदस्य को टिकट नहीं दिया गया।
इन 4 युवकों पर कच्छ के नलिया वायुसेना की डिप्लॉयमेंट की जानकारी और वायुसेना की मूवमेंट सीमा पार पाकिस्तान भेजने का आरोप है। इस काम के लिए ये एयरबेस के आसपास ऊँची जगह पर जाकर फोटो लेते थे और पाकिस्तान भेजते थे।
"मैंने सदन में नितिन भाई से कहा कि वह अकेले नहीं है। कॉन्ग्रेस उनके साथ है। यदि वे 20 विधायकों के साथ उनकी पार्टी (कॉन्ग्रेस) में शामिल हो जाएँ, तो कॉन्ग्रेस उन्हें डिप्टी सीएम से सीएम बना देगी।"
अब तक कुल 20 घरों को आग के हवाले किया जा चुका है और इतनी ही गाड़ियों को भी फूँका जा चुका है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के दौरे के कारण अहमदाबाद में अतिरिक्त पुलिसकर्मी तैनात किए गए थे, जिसका फायदा उठा कर हिन्दुओं के घरों व गाड़ियों को जला डाला गया।
खम्भात स्थित आनंद जिले के कार्यवाहक पुलिस अधीक्षक दिव्य मिश्रा ने बताया है कि रविवार को अकबरपुरा इलाके में दोनों समुदायों के बीच 24 जनवरी के दंगे को लेकर मौखिक बहस शुरू हो गई, जो आपस में मारपीट और पथराव में बदल गई।
“मुझे इस बात की घोषणा करते हुए खुशी है कि कल हमारे प्रतिनिधि 3 बिलियन डॉलर से ज्यादा की डिफेंस डील करने जा रहे हैं, जिनमें मिलिट्री हेलीकॉप्टर और भारतीय सुरक्षाबलों के लिए अन्य चीजों शामिल होंगी।”
व्यास ने पठान को शहर आने की चुनौती दी है। उन्होंने कहा- "हम आपके लिए सही व्यवस्था करेंगे कि क्या आप यह समझते हैं कि हमने चूड़ियाँ पहन रखी हैं? हम आप से निपटने के लिए तैयार हैं, लेकिन हम यह चाहते हैं कि समाज में आपसी भाईचारा बना रहे।"
किंजल ने अहमदाबाद पुलिस पर भी कई आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि क्राइम ब्रांच के अधिकारी रात के 10 बजे घर में घुस जाते हैं और जबरदस्ती तलाशी लेते हैं। उनका कहना है कि गुजरात पुलिस और सरकार उनके पति को बेवजह प्रताड़ित कर रही है।
मुनाफ हलारी 1993 में जावेरी बाज़ार में ब्लास्ट मामले में दोषी था। जाँच एजेंसियों को लंबे समय से इसकी तलाश थी। मुंबई ब्लास्ट के बाद मूसा पाकिस्तान भाग गया था। वो पाकिस्तानी पासपोर्ट पर ही यात्रा भी कर रहा था, जब उसे मुंबई एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया गया।
हिरासत में लिए गए लोगों से उनका डाक्यूमेंट्स दिखाने को कहा गया था, लेकिन उनके पास भारतीय नागरिकता साबित करने वाले कोई दस्तावेज नहीं थे। पुलिस को शक है कि उनमें से कुछ आपराधिक गतिविधियों में भी संलग्न हैं।