विरोध इतना बढ़ गया कि लोगों ने देखते ही देखते कोरोना संदिग्धों को लाने गई चार एंबुलेंस और उसकी सुरक्षा में कई पीसीआर वैन और स्वास्थ्य कर्मियों पर ईंट-पत्थरों से हमला करना शुरू कर दिया। एक एंबुलेंस को तोड़ दिया गया। हिंदपीढ़ी के लोगों का आक्रामक रूप देख कर एंबुलेंस ड्राइवर अनिल और भेंगरा ने थाने में जाकर अपनी जान बचाई।
ठगों ने पीएनबी और यूनियन बैंक में दो फर्जी खाते खोले। हजारीबाग के करीब 200 लोगों ने इन खातों में यह समझ कर पैसा जमा किया कि वे पीएम रिलीफ फंड में दान दे रहे हैं। इन खातों में जमा राशि को ठग अलग-अलग खातों में ट्रांसफर कर लेते थे।
मुँह ढके दो बाइक सवार आते हैं। सौ-सौ के पाँच नोटों पर थूक लगाते हैं और अलीगढ़ के एक गॉंव में फेंक फरार हो जाते हैं। उनकी यह हकरत एक महिला देख लेती है। ग्रामीणों को इसकी खबर देती है तो हड़कंप मच जाता है फिर...
हिंदपीढ़ी इलाके के लोगों से तंग आकर इंफोर्समेंट टीम के सदस्यों ने अधिकारियों से कहा है कि यदि इलाके में लोग यूँ ही उनके ऊपर थूकते रहेंगे तो वे उस क्षेत्र में सैनिटाइजेशन का काम कराने नहीं जाएँगे। उधर प्रशासन ने ऐसे लोगों को खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया है।
विशेष शाखा की रिपोर्ट में तीन ऐसे मोबाइल नंबर दर्ज हैं जो लोहरदग्गा के आदिवासियों के नाम हैं। जॉंच से पता चला है कि ये लोग कभी दिल्ली गए ही नहीं। इनमें से दो मोबाइल नंबर पर कॉल रिसीव नहीं हो रहा है। एक नंबर पर दिल्ली में कॉल रिसीव हो रहा है।
जमात के इज्तिमा में शामिल लोगों की देशभर में तलाश की जा रही है। झारखंड में इनमें से एक नाम मंत्री हाजी हुसैन अंसारी के बेटे तनवीर का भी है। लेकिन, हैरानी की बात यह है कि मंत्री पर इस बात को छिपाने के आरोप लग रहे हैं। हालॉंकि उनका पूरा परिवार होम क्वारंटाइन में चला गया है।
कोरोना के प्रकोप को देखते हुए 18 मार्च को ही छुट्टी कर दी गई थी। बावजूद इसके छात्राओं को जाने नहीं दिया गया। एक बच्ची ने जब अपने परिजनों को इस संबंध में सूचना दी तब पुलिस ने कार्रवाई कर उन्हें मुक्त कराया।