विवादस्पद NDTV की पहचान अब अक्सर फ़ेक न्यूज़ को प्रचारित करने की बन चुकी है। NDTV ने अपनी वेबसाइट में एक ऐसी भ्रामक हेडलाइन को प्रमुखता से जगह दी जिसमें यह दर्शाया गया कि पीएम मोदी ने वंदे भारत ट्रेन-18 का मजाक उड़ाते हुए लोगों के ख़िलाफ़ सज़ा की माँग की।
ऑल्ट न्यूज़ के कट्टर भक्त @zoo_bear ने अपने भक्तों से उसी ‘क्रॉप्ड वीडियो’ को री-ट्वीट करने का आग्रह किया, ताकि सांप्रदायिक द्वेष को भड़काया जा सके और इस फ़र्ज़ी ख़बर को अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचाया जा सके।
पाठकों की संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए ऑपइंडिया ने अपने फ़ैक्ट चेक के माध्यम से यह कोशिश की थी कि नवभारत टाइम्स जैसे नामी अख़बार अपने पाठकों को सही जानकारी से अवगत कराएँ।
भले ही देश आज अपने जवानों को खो देने की पीड़ा से गुज़र रहा हो, लेकिन वो सही और ग़लत को समझने में पूरी तरह से सक्षम हैं। कविता कृष्णन की यह ओछी हरक़त उनकी भ्रष्ट बुद्धि और विचारधारा को स्पष्ट करता है।
सोशल मीडिया के जमाने में मीडिया कुछ भी बोल-लिख-दिखा दे और ग़लतफ़हमी पैदा कर दे, यह अब संभव नहीं। कुछ ऐसे भी पाठक होते हैं जो ख़बरों को गंभीरता से पढ़ते हैं और उटपटांग लगने पर अपनी प्रतिक्रिया भी दर्ज करते हैं।
रॉयटर्स जैसी बड़ी और अंतरराष्ट्रीय न्यूज़ एजेंसी ख़बरों के साथ फ़र्ज़ीवाड़ा करती है।
भारतीय न्यूज़ एजेंसी में काम कर रहे हमारे एक साथी द्वारा शेयर किया गया चैट रॉयटर्स की इसी गंदगी का पर्दाफाश करती है।
द वायर पर लिखे अपने रिपोर्ट में स्वाति चतुर्वेदी ने बिना किसी तथ्य और सबूत के आधार पर लिखा कि मुरली मनोहर जोशी इस वीडियो को देखने के बाद गुस्से में हैं, और उन्होंने आरएसएस से भी इस बारे में शिकायत की है।
प्रियंका गाँधी की रैली में भीड़ दिखाने के लिए कॉन्ग्रेस पार्टी प्रवक्ता ने तेलंगाना की तस्वीर शेयर कर डाली, झूठ पकड़े जाने पर जिसे उन्होंने डीलिट कर दिया।
डेस्क पर बैठ कर और रिवर्स इमेज सर्च के सहारे ही अगर फै़क्ट चेक का धंधा चलाना है तो कृपया इसे फोटो चेक का नाम दीजिए। सिर्फ पेजव्यू के लिए शीर्षक भ्रामक मत बनाइए।