एनसीपी नेता ने बताया है कि शिकायत का समाधान करने की बजाय विधायक और उसके सहयोगियों ने उनके साथ बदतमीजी की और बीच सड़क पर गिराकर उन्हें खूब पीटा। उन्हें लात, घूसे, थप्पड़ मारे गए।
तेलंगाना के करीमनगर के पुलिस कमिश्नर ने बताया कि ये सांप्रदायिक मामला नहीं, बल्कि लव-स्टोरी का मामला है और पिछले कुछ दिनों से एक किशोर लड़की को परेशान करने के लिए लड़के को पीटा गया है। मुस्लिम लड़के के पिता ने ये भी बात स्वीकारी है।
हरीश मीणा का धरना तीन दिन से जारी है। उनकी माँग भजनलाल मीणा नामक ट्रैक्टर-चालक को न्याय दिलाने की है, जिनकी संदेहास्पद स्थितियों में टोंक के लक्ष्मीपुरा गाँव में मौत हो गई थी।
कुल 79 ऐसी लोकसभा सीटें हैं, जो अल्पसंख्यक बहुल हैं। इन 79 में से 41 पर भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की है। अर्थात, कुल अल्पसंख्यक बहुल लोकसभा सीटों में से 51.8% पर भाजपा ने कब्ज़ा किया। ये पिछले लोकसभा चुनाव के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन है।
वो मामला (इसे आप धार्मिक कह लें या सांस्कृतिक) जिसने बंगाल की रगों में ममता के विरुद्ध सोच पनपने की जमीन तैयार की। वो मामला राजनीतिक नहीं था। वो मामला RSS या BJP के द्वारा तैयार नहीं किया गया था। बल्कि उस मामले को ममता ने खुद अपने हाथों से तैयार किया। छले गए बंगालियों ने...
स्मृति इरानी से सुरेन्द्र के शव को कंधा दिया। बंगाल में मारे गए कार्यकर्ताओं के परिवारों को मोदी के शपथग्रहण समरोह में बुलाया जा रहा है। किसी भी नेता या दल को अपने कार्यकर्ताओं के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए, इसका उदाहरण रामायण में मिलता है।
‘धंधे’ में पक कर पक्के हुए निखिल वागले के द्वारा यह अनभिज्ञता नहीं, कुटिलता है, क्योंकि अगर इतने साल बाद भी वह ‘अनभिज्ञ’ हैं निर्वाचन और जनमत-संग्रह के अंतर से, तो वह इतने साल से कर क्या रहे थे?
सुभ्रांशु रॉय के अलावा नोआपारा से विधायक सुनील सिंह और बैरकपुर के विधायक शीलभद्र दत्ता मुकुल रॉय के साथ दिल्ली पहुँच चुके हैं। इन तीनों नेताओं के आज शाम 4 बजे बीजेपी दफ्तर में पार्टी में शामिल होने की खबर है।