"जब सेना की तारीफ होती है तो वे सबूत माँगने लगते हैं। मोदी का विरोध करने में पाकिस्तान की तारीफ़ करने लगते हैं। ऐसे गद्दारों के लिए एक नया कानून होना चाहिए, चाहे वे JNU में पढ़ रहे हों, या महाराष्ट्र में हों। उसके बाद कोई नसीरुद्दीन, हामिद अंसारी या सिद्धू नहीं होगा।"
शेखी बघारते हुए शेख रशीद ने एक सेमिनार में दावा किया कि वे हिंदुस्तान-पाकिस्तान के बीच युद्ध होता देख रहे हैं और अपनी कौम को तैयार करने (सेमिनार में ) आए हैं। उन्होंने धमकी भी दी कि पाकिस्तानी सेना के पास जो हथियार हैं, वे दिखाने के लिए नहीं, इस्तेमाल करने के लिए हैं।
भारतीय सिंधु जल आयोग के आयुक्त पीके सक्सेना ने कहा कि हिंदुस्तान-पाकिस्तान के बीच 1989 में पहली बार हुए और सालाना तौर पर नवीनीकृत होने वाले इस बाबत समझौते को हिंदुस्तान ने और आगे न बढ़ाने का निश्चय किया है।
"पाकिस्तानी सेना अभी कश्मीर मसले पर भारत से युद्ध लड़ने की स्थिति में नहीं है। सुस्त होती अर्थव्यवस्था और बढ़ती महँगाई का आम आदमी के जीवन पर त्रासद असर पड़ा है।"- ये शब्द किसी भारतीय नेता या अधिकारी के नहीं हैं। ये बयान है पाकिस्तान की सैन्य वैज्ञानिक आयशा सिद्दीका के।
"दुनिया को यह ज़रूर देखना चाहिए। RSS के 'गुंडे' खुले तौर पर हिंसा कर रहे हैं। जिन्न अब बोतल से बाहर आ चुका है। अगर विश्व समुदाय ने समय पर कार्रवाई नहीं की तो नरसंहार और घृणा का यह सिद्धांत फैलता चला जाएगा।"
समय का पहिया घूमा और गुजरात को नरेन्द्र मोदी के रूप में नया मुख्यमंत्री मिला। मोदी ने देश की कमान सम्भालने तक गुजरात की बागडोर थामे रखी। मोहसिन बताती हैं कि एक बार राखी बाँधते समय उन्होंने दुआ करते हुए कहा कि मोदी देश के प्रधानमंत्री बनें। इसके बाद नरेन्द्र मोदी मुस्कुराने लगे थे।
15 अगस्त 1947 को लंदन के इंडिया हाउस में लाल कुमार नृपेंद्र नाथ शाहदेव ने तिरंगा फहराया था। शाहदेव भारतीय स्काउटिंग टीम के कप्तान थे। इंडिया हाउस में यूनियन जैक की जगह भारतीय तिरंगा फहराया गया था, और इसकी अध्यक्षता अनुग्रह नारायण सिंह ने की थी।