भारत में कोरोना संक्रमितों के आँकड़ों का विश्लेषण करने पर एक चौंकाने वाले बात सामने आती है। 300+ संक्रमण के मामले उन लोगों के हैं जिनका प्रत्यक्ष रूप से विदेश यात्रा का इतिहास रहा है। इनमें से भी 142 पॉजिटिव मामले उन लोगों के हैं, जो मध्य-पूर्व के इस्लामी मुल्कों से लौटे हैं।
अगर भारतवासी इन मुश्किल दिनों और कठिन परीक्षाओं के लिए एक परिवार के रूप में, एक राष्ट्र के रूप में एकजुट होते हैं, तो कोरोना को निश्चित रूप से पराजित होना पड़ेगा। भारतीय संस्कृति के आधारभूत विचार ‘वसुधैव कुटुम्बकम्' के निर्णायक आत्मसातीकरण का क्षण निकट है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद भी सोशल डिस्टेंसिंग पर अमल कर रहे हैं और देश की जनता को भी इसके लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। आज उनकी कैबिनेट बैठक में इसकी झलक दिखी। साथ ही सोशल मीडिया में कई तस्वीरें सामने आई हैं जिससे पता चलता है कि आवश्यक वस्तुओं की दुकानों पर किस तरह लोग सोशल डिस्टेंसिंग पर अमल कर रहे हैं।
भगवान झूलेलाल ने अपने चमत्कारिक जन्म और जीवन से सिंधी हिंदुओं के जान की रक्षा की। हिन्दू धर्म को बचाए रखा। मिरखशाह जैसे ना जाने कितने इस्लामिक कट्टरपंथी आए और धर्मांतरण का खूनी खेल खेला। लेकिन भगवान झूलेलाल की वजह से सिंध में एक दौर में ऐसा नहीं हो पाया था।
तो क्या लॉकडाउन का मतलब लाइफ का लॉक हो जाना? खाना-पीना सब बंद? नहीं। घबराएँ नहीं। आज की रात से पहले जो लॉकडाउन किया गया था, कुछ वैसा ही आगे भी मतलब 14 अप्रैल तक चलेगा।
चीन में हंता वायरस का यह मामला ऐसे समय पर आया है जब पूरी दुनिया वुहान से निकले कोरोना वायरस की महामारी से जूझ रही है। चीन के युन्नान प्रांत में एक व्यक्ति की हंता वायरस से मौत हो गई। कोरोना वायरस से अब तक 16 हजार 500 लोगों की मौत हो गई है।
अमित कपूर लगातार अपने वीडियो में कहते हैं कि यह वायरस कोई बड़ा मुद्दा नहीं है बस आप को साफ़ सफाई का ध्यान रखना है, छींकते या खाँसते समय मुँह पर रुमाल रखिए।
"लॉकडाउन के साथ यह खतरा है कि अगर हम मजबूत जन स्वास्थ्य की सुरक्षा हेतु जरूरी कदमों को प्रभाव में नहीं लाते हैं तो आवागमन आदि गतिविधियों पर लगी रोक और लॉकडाउन खत्म होते ही, इस वायरस के वापस लौटने की आशंका बनी रहेगी।"
दक्षिण चीन में हुए रैपिड विकास के कारण वहाँ एनिमल प्रोटीन की माँग बहुत बढ़ चुकी है। इसमें रात्रिचर स्तनपाई civet (छोटे-पतले आकार के स्तनपाई) जैसे विदेशज जानवर भी शामिल हैं। इन्हें पिंजड़ों में ठूँस-ठूँस कर भर दिया जाता है। लोग बड़े चाव से...