सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अजित पवार ने 22 नवंबर को पत्र दिया था। पत्र में कहा गया था कि एनसीपी के सभी 54 विधायकों ने उन्हें नेता चुना है और सरकार बनाने के लिए अधिकृत किया है।
विचारधारा में अंतर न होते हुए भी जब 50-50 के फॉर्मूले पर शिवसेना ने भाजपा से गठबंधन तोड़कर एनसीपी और कॉन्ग्रेस जैसी पार्टियों संग विलय की जो उत्सुकता दिखाई, उसने जनता के सामने उसके सत्तालोलुप चरित्र को सामने लाकर रख दिया। शिवसेना ने हिंदुत्व से समझौता किया।
“सीबीआई, ईडी, आयकर विभाग और पुलिस भाजपा के चार मुख्य पार्टी कार्यकर्ता हैं। वर्तमान गवर्नर भी उनके कार्यकर्ता हैं, लेकिन भाजपा अब अपने ही खेल में फँस गई है। यह उनके अंत की शुरुआत है।”
कॉन्ग्रेस-शिवसेना-एनसीपी की तरफ से कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने दलीलें पेश की। सिब्बल ने कोर्ट से कर्नाटक की तर्ज पर 24 घंटे के भीतर बहुमत परीक्षण कराने का आदेश देने की माँग की।
छोटे दलों और निर्दलीयों को लेकर कोई भी दल पूरी तरह आश्वस्त नहीं है। मसलन, भारतीय शेतकारी कामगार पार्टी ने चुनाव कॉन्ग्रेस-एनसीपी गठबंधन के साथ लड़ा था। लेकिन, उसके इकलौते विधायक श्यामसुंदर शिंदे बीजेपी को समर्थन देने का ऐलान कर चुके हैं।
न्यायमूर्ति एनवी रमन की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ मामले की सुनवाई करेगी। पीठ में न्यायमूर्ति अशोक भूषण भी शामिल हैं। वे 2018 में कर्नाटक राजनीतिक संकट के दौरान फ्लोर टेस्ट का आदेश देने वाली तीन-सदस्यीय पीठ के भी सदस्य रहे हैं।
शिवसेना के नेता मिलिंद नार्वेकर और एकनाथ शिंदे दो एनसीपी विधायकों संजय बंसोड और बालासाहब पाटिल को मुंबई एयरपोर्ट से लेकर आए। कहा जा रहा है कि ये दोनों अजित पवार गुट के विधायक हैं।
संजय राउत ने कहा कि वो धनंजय मुंडे के संपर्क में हैं। साथ ही उन्होंने अजित पवार के वापस आने की भी संभावना जताई है। उनका कहना है कि अजित पवार को ब्लैकमेल किया गया है। उन्होंने कहा कि इसके पीछे कौन है, इसका खुलासा जल्द ही सामना अखबार में किया जाएगा।