एक वरिष्ठ नेता ने दलों के बँटवारे के बारे में बात करते हुए बताया कि शिवसेना और एनसीपी को लगभग बराबर की हिस्सेदारी सत्ता में मिलेगी, लेकिन कॉन्ग्रेस को कुछ कम में संतोष करना पड़ेगा। वहीं, ये भी कहा जा रहा है कि एनसीपी अभी भी...
"शिवसेना ने हिंदुत्व की रक्षा के नाम पर वोट माँगा था। इसके उलट नतीजे आने के बाद शिवसेना अपने खिलाफ चुनाव लड़ने वाली पार्टियों के साथ सरकार बनाने की कोशिश कर रही है जबकि उसने भाजपा-शिवसेना गठबंधन की सरकार बनाने के नाम पर वोट माँगा था।"
कॉन्ग्रेस शिवसेना की कट्टर हिन्दुत्व की छवि से संशय में है और वो चाहती है कि इस सन्दर्भ में CMP में एक स्पष्ट संदेश शामिल किया जा सके, जिससे नई सरकार के गठन में किसी तरह की समस्या का सामना न करना पड़े।
राउत की मानें तो गुरुवार दोपहर तक महाराष्ट्र में सरकार गठन की तस्वीर साफ हो जाएगी। उन्होंने कहा कि अब ज्यादा इतंजार करने की ज़रूरत नहीं है, सरकार गठन में बस 5-6 दिन और लगेंगे।
महाराष्ट्र में फिलहाल राष्ट्रपति शासन लगा हुआ है। आज राज्यसभा में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह इस संबंध में रिपोर्ट रखेंगे। एनसीपी और कॉन्ग्रेस के नेताओं के बीच होने वाली बैठक पर भी सबकी नजरें टिकी है। शिवसेना ने अपने सभी विधायकों को आधार कार्ड के साथ मुंबई तलब किया है।
महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए शिवसेना के एनसीपी से गठबंधन की भी खबर सामने आई थी। मगर इस पर एनसीपी ने खुद सोनिया गाँधी और उनकी पार्टी का मुँह ताकना शुरू कर दिया।
हिंदू समाज पार्टी के नेता कमलेश तिवारी की 18 अक्टूबर को निर्मम हत्या कर दी गई थी। सोनिया को पत्र लिखने वाले जमीयत ने इस मामले में गिरफ्तार किए गए आरोपितों के परिजनों से मुलाकात कर मदद का भरोसा दिलाया था।
जब शरद पवार से पूछा गया कि क्या सोनिया गाँधी महाराष्ट्र में शिवसेना के साथ मिल कर सरकार गठन करने के ख़िलाफ़ हैं, पवार ने कहा कि सरकार गठन को लेकर कोई चर्चा ही नहीं हुई। उन्होंने कहा कि किसी अन्य तीसरे दल के बारे में चर्चा हुई ही नहीं।
शरद पवार ने अपने बयान से शिवसेना को सकते में डाल दिया है। पवार ने कहा कि सरकार का गठन कैसे होना है, इस बारे में भाजपा और शिवसेना सोचे। उन्होंने मीडिया में चल रही उस चर्चा को नकार दिया, जिसमें कहा जा रहा था कि शिवसेना और एनसीपी मिल कर सरकार बना रही है।